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रेमिटेंस पर निर्भरता और सोशल मीडिया बैन ने भड़काया युवाओं का गुस्सा, ओली सरकार की तख्तापलट की एक वजह ये भी

Nepal Protest: रेमिटेंस का नेपाल की GDP में एक चौथाई हिस्सा है। सोशल मीडिया ऐप्स के बैन होने का एक कारण रेमिटेंस पर निर्भर लोगों को पैसों की तंगी का डर सताने लगा था। इसलिए रेमिटेंस को भी विद्रोह का एक कारण माना जा रहा है।

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नेपाल में युवाओं का प्रदर्शन (Photo: IANS)

Nepal Protest: नेपाल में की जेन-जी क्रांति एक अचानक भड़की नाराजगी नहीं है, जैसा कि बाहर से बैठकर देखने में नजर आ सकता है। बल्कि यह वर्षों से जमा हो रहे असंतोष, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, और आर्थिक ठहराव का नतीजा है। पांचवां कारण बना रेमिटेंस (प्रवासी आय) पर निर्भरता। जिस देश के जीडीपी (GDP) का चौथाई से भी ज्यादा हिस्सा विदेशों से आने वाले रेमिटेंस पर टिका हो और 10 फीसदी से ज्यादा लोग रोजी के लिए विदेश में मुश्किल हालात में काम करने को मजबूर हों, वहां सोशल मीडिया पर बैन जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा साबित हुआ। दरअसल यह सोशल मीडिया ही था, जिनसे लोग न केवल विदेशों में बसे अपनों से लगातार संपर्क में बने हुए थे, बल्कि व्हाट्सएप जैसे एप तो रेमिटेंस भेजने, मंगाने का भी साधन बन चुके थे।

40 लाख नेपाली कर रहे विदेशों में काम

नेपाल की कुल आबादी लगभग 3 करोड़ है। इनमें से करीब 40 लाख नेपाली विदेशों में काम कर रहे हैं, विशेषकर खाड़ी देशों, मलेशिया और भारत में। 2023 में नेपाल ने लगभग 11 अरब डॉलर की रेमिटेंस प्राप्त की, जो उसके सकल घरेलू उत्पाद का
26 से 27 फीसदी है। इतना ही नहीं, आकंड़े बता रहे हैं कि साल दर साल यह बढ़ता ही जा रहा है। जो यह बताता है कि नेपाल में बेरोजगारी के चलते ज्यादा से ज्यादा युवा देश छोड़ने और विदेशों का रुख करने को मजूबर हैं।

जानिए कैसे पड़ता है रेमिटेंस पर निर्भरता से देश को आर्थिक नुकसान

दूसरे देशों में काम करने गए लोगों द्वारा भेजे जाने वाले रकम को रेमिटेंस कहा जाता है। यह कई विकासशील और अविकसित देशों की अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इकोनॉमी में रेमिटेंस को अस्थिर आय का स्रोत माना जाता है, जोकि पूरी तरह से वैश्विक उतार-चढ़ाव पर निर्भर रहता है। GDP में रेमिटेंस का हिस्सा अधिक होने से देश की अर्थव्यवस्था भी अस्थिर रहती है। रेमिटेंस, देश की कृषि और विनिर्माण को नुकसान पहुंचाता है। क्योंकि यह देश में कृषि और विनिर्माण को हतोत्साहित करता है। वहीं, रेमिटेंस देश में आर्थिक असमानता को बढ़ावा देता है। यह सिर्फ उन्हीं परिवार को लाभ पहुंचाता है, जिनके परिजन विदेशों में नौकरी करते हैं। नेपाल में रेमिटेंस सकल घरेलू उत्पाद का 26 से 27 फीसदी है। इसलिए रेमिटेंस को विद्रोह पनपने का एक कारण माना जा रहा है।

देश में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है

नेपाल टूरिज्म बोर्ड की मैनेजर श्रद्धा श्रेष्ठ ने कहा कि देश में स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। अब सेना ने स्थिति संभाली है। आंदोलन जेनजी के प्रोटेस्ट से शुरू हुआ था। पर अब लगता है कि इसमें कुछ और तत्व भी शामिल हो गए हैं। कन्फ्यूजन की स्थिति है। सरकार बनेगी तब कुछ स्थिति सुधरेगी। आम लोगों की राय है कि हिंसा या आगजनी नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने आगे कहा कि कारागार से कैदियों के भागने की सूचना मिल रही है। इससे भी लोगों के मन में असुरक्षा है। जहां-जहां सेना मौजूद है वहां-वहां स्थिति ठीक है। पर जहां सेना नहीं है। वहां हालात बुरे हैं। आम जनता का मानना है कि किसी तरह से सुरक्षा की स्थिति बननी चाहिए। यहां बाहर से आए पर्यटकों के मन में अभी डर का वातावरण है। यहां हयात होटल में ठहरे परिवारों के परिजनों के लिए हमारे पास कॉल आए थे। हमने भारतीय दूतावास से उनका संपर्क करवाया।