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छत्तीसगढ़ का ऐसा गांव… जहां एक सप्ताह पहले मनाई जाती है दिवाली, जानें सदियों पुरानी परंपरा का राज

Dhamtari Diwali Traditions: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का सेमरा (भखारा) गांव अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है। यहां हर त्योहार— दीपावली, होली, पोला और हरेली— देशभर से एक हफ्ते पहले मनाया जाता है।

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Dhamtari Diwali Traditions (Photo source- Patrika)

Dhamtari Diwali Traditions (Photo source- Patrika)

Dhamtari Diwali Traditions: छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का सेमरा (भखारा) गांव हर साल देशभर से अलग अंदाज में दिवाली मनाता है। जब बाकी जगह लोग दीपावली की तैयारियों में जुटे होते हैं, तब यहां के आंगन दीयों की रौशनी से पहले ही जगमगाने लगते हैं। वजह है- एक सदियों पुरानी परंपरा, जिसके तहत गांववाले हर त्योहार-दीवाली, होली, हरेली और पोला-एक सप्ताह पहले मनाते हैं। माना जाता है कि यह परंपरा ‘सिरदार देवता’ के आदेश से शुरू हुई थी, जिन्होंने अपने भक्तों को सपने में ऐसा करने का आशीर्वाद दिया था। आज भी सेमरा गांव की यह अनोखी परंपरा श्रद्धा और आस्था का प्रतीक बन गई है।

सदियों पुरानी मान्यता

गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि बहुत समय पहले एक बुजुर्ग राजा सिरदार इस क्षेत्र में आकर बसे थे। वे चमत्कारी शक्ति वाले और प्रजा-हितैषी राजा थे। (Dhamtari Diwali Traditions) एक दिन शिकार पर निकले और दुर्भाग्यवश शिकार के शिकार हो गए। गांव के बैगा को सपना आया कि राजा का शव जंगल में है। शुरुआत में किसी ने उस पर विश्वास नहीं किया, लेकिन बाद में गांव के मुखिया को भी वही सपना आया। जब ग्रामीण मौके पर पहुंचे, तो सपना सच निकला। राजा का अंतिम संस्कार वहीं किया गया और उसी स्थान पर ‘सिरदार देव’ के नाम से मंदिर स्थापित हुआ।

देवता का आदेश और परंपरा की शुरुआत

कहते हैं, इसके बाद सिरदार देवता एक रात गांव के लोगों के सपने में आए और कहा- “गांव की सुख-शांति के लिए सभी प्रमुख त्योहार देशभर से एक सप्ताह पहले मनाओ।” तब से लेकर आज तक, गांव के लोग दीपावली, होली, पोला और हरेली जैसे त्योहार एक हफ्ते पहले ही मनाते हैं।

मंदिर और परंपराएं

सिरदार देव का मंदिर गांव की आस्था का केंद्र है। (Dhamtari Diwali Traditions) यहां पुरुष पूजा-अर्चना करते हैं, लेकिन महिलाओं को मंदिर के पास जाने की अनुमति नहीं है। यह परंपरा कब और क्यों शुरू हुई, इसका सटीक कारण किसी को ज्ञात नहीं है, परंतु ग्रामीण इसे आस्था से जोड़कर मानते हैं।

त्योहार का उत्साह और उमंग

हर साल जब देशभर में लोग दिवाली की तैयारी कर रहे होते हैं, तब सेमरा गांव पहले ही दीपों से जगमग हो उठता है।

गांव के चौक-चौराहे दीयों से सजे होते हैं।

बच्चे पटाखे फोड़ते हैं और घरों में मिठाइयां बनती हैं।

आसपास के गांवों से भी लोग इस अनोखी परंपरा को देखने पहुंचते हैं।

परंपरा और आधुनिकता का संगम

आधुनिक समय में भी इस परंपरा को ग्रामीण पूरी श्रद्धा और उल्लास से निभा रहे हैं। उनके लिए यह सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि राजा सिरदार देव के आशीर्वाद का प्रतीक है, जो उन्हें एकजुटता और परंपरा से जोड़ता है।