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Gen Z सिर्फ विद्रोही और फास्टफूड खाने वाले नहीं होते, भारतीयता की प्रैक्टिस करने वाले ये युवा भी हैं जेन जी

Gen Z News: राजस्थान के प्राचीन और ऐतिहासिक शहर डीग में एक गुरुकुल है जहां बच्चे मोबाइल, वीडियो गेम और टीवी से दूर रहकर वैदिक जीवन और भारतीय संस्कृति का अध्ययन कर रहे हैं। ये जेन जी की नई परिभाषा रच रहे हैं।

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Gen Z

राजस्थान के डीग में भारतीयता का अभ्यास करता Gen Z

Gen Z : नेपाल में Gen Z के विद्रोह के बाद से यह शब्द फिर से प्रचलन में आ गया है। नेपाल में Gen Z ने सोशल मीडिया को हथियार बनाकर देश की ओली सरकार को सत्ता से हटाया दिया और कार्की की सरकार बना दी।

अब नेपाल के बाद भारत का जेन जेड भी सुर्खियों में है। लद्दाख में राज्य का देने की मांग करते हुए इन्होंने खूब उत्पात मचाया। हालांकि, पुलिस-प्रशासन की कोशिशों के बाद अब वहाँ स्थिति नियंत्रण में है।

नेपाल और लद्दाख में बीते कुछ दिनों में जो हुआ, उसने दुनिया भर में जेन जेड की गुस्सैल छवि का परिचय दिया।

लेकिन चंद घटनाओं से हम यह दावा नहीं कर सकते कि जेन जेड का मिजाज आक्रोश और विद्रोह से भरा होता है।

Gen Z जो भारतीयता के रस में डूब चुके हैं

दुनिया के चकाचौंध से दूर भारत में जेन जी का एक बड़ा वर्ग है, जो शाम को अपने रोजमर्रा के कामों में से समय निकाल कर गरीब बच्चों को पटरी पर शाम को पढ़ाता है। मोबाइल की रोशनी से बाहर आकर देश के किसी भी इलाके में आई प्राकृतिक आपदा की त्रासदी से बाहर आने में अपना खून, पसीना बहाकर भरपूर मदद देता है। भारत का एक जेन जी है जो नदियों की सफाई में अपना श्रमदान करता है। देश का एक जेन जी वह भी है जो सर्दियों में ठिठुर रही आबादी को ठंड से बचाने के लिए लोगों की भरपूर मदद करता है। एक जेन जी का वर्ग वह भी है जब कोरोना से त्रस्त संसार में अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जान बचाता रहा।

राजस्थान में एक और Gen Z की दुनिया है जो मोबाइल, सोशल मीडिया और सत्ता से टकराने की बात छोड़कर ब्रह्म मुहूर्त में उठकर योग, ध्यान, यज्ञ और गो सेवा में लगे हुए हैं। आइए हम धर्म और भारतीयता के रस में आकंठ उतरने वाले अलग Gen Z की दुनिया के बारे में जानते हैं।

डीग में Gen Z को दी जाती है वेदों की शिक्षा

राजस्थान के भरतपुर जिले का प्राचीन और ऐतिहासिक शहर डीग में एक गुरुकुल है जहां बच्चे मोबाइल, वीडियो गेम और टीवी से दूर रहकर वैदिक जीवन और भारतीय संस्कृति का अध्ययन कर रहे हैं। इस गुरुकुल में शिक्षा देने का लक्ष्य केवल ज्ञान बांटना नहीं, बल्कि अनुशासन, नैतिक मूल्यों को जीवन में उतारना है। श्रीजड़खोर गोधाम में संचालित श्री गणेशदास भक्तमाली वेद विद्यालय में रह रहे बटुक ब्रह्मचारियों को भारत और भारतीयता से जुड़ने की शिक्षा दी जा रही है।

4 बजे छोड़ देते हैं बिस्तर करते हैं योग

इस गुरुकुल में निवास करने वाले बटुक ब्रह्मचारी ब्रह्म मुहूर्त में बिस्तर छोड़कर योग और ध्यान से अपनी दिनचर्या शुरु करते हैं। वे यहां रोज यज्ञ करते हैं और गो सेवा करते हैं। वेद मंत्रों की ऋचाओं का नियमित पाठ, सूर्य उपासना और त्रिकाल संध्या उनकी दिनचर्या का हिस्सा है।

गुरुकुल में वेद के साथ अंग्रेजी और गणित पढ़ाई जाती है

इस गुरुकुल में सात वर्षीय पाठ्यक्रम लागू किया जाता है। यहां बच्चे वेद, संस्कृत के अलावे हिंदी, अंग्रेजी और गणित भी पढ़ते हैं। बच्चो को आधुनिक जिम की जगह भारतीय योग और व्यायाम का अभ्यास कराया जाता है।

गुरुकुल में इन बातों को लेकर सख्त प्रतिबंध

गुरुकुल में मोबाइल और टीवी के प्रयोग पर पूरी तरह पाबंदी है। यहां पढ़ने वाले छात्रों को अपने अभिभावकों से सप्ताह में एक बार फोन पर बात करने की इजाजत दी जाती है। वहीं अभिभावकों से एक महीने में एक बार मिलने की अनुमति है। कैंपस में नॉनवेज, फास्ट फूड, सिगरेट और शराब की पूर्ण पाबंदी है।

Gen Z को सोशल मीडिया की लत से पाना होगा छुटकारा

भारत की एक संस्था इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन IAMAI की एक 2023 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के 16-24 साल के 82% युवा हर रोज 4-5 घंटे सोशल मीडिया पर बिताते हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में भारत में सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ता 820 मिलियन थे और यह देश की कुल जनसंख्या का 55% से अधिक हैं।

NCERT के एक अध्ययन में यह पाया गया कि सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग बच्चों की पढ़ाई और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता को औसतन 35% तक घटा देता है। WHO के अनुसार, भारत में लगभग 15-20% किशोर अवसाद और तनाव से जूझ रहे हैं।