
happy teachers day: पत्रिका (फोटो: सोशल मीडिया)
Happy Teachers Day: राजधानी के शिक्षक धीरेंद्र तोमर ने रटाने की बजाय बच्चों को सिखाने पर जोर दिया। कठपुतलियों के इशारों से उन्होंने बच्चों को पढ़ाना शुरू किया तो पढ़ाई ही बदल गई। इससे बच्चों को कठिन विषय और चैप्टर आसानी से याद होने लगे। उन्हें रटने की जरूरत नहीं पड़ी। यह नवाचार सरकार को इतना पसंद आया कि इसे मॉडल के रूप में भोपाल समेत पूरे प्रदेश के स्कूलों में लागू कर दिया गया।
कठपुतली से संबंधित वीडियो को राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने शिक्षा विभाग की वेबसाइट और यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया है। तोमर को इनोवेशन के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अवॉर्ड मिल चुका है। ये तरीका पहली से आठवीं तक में शामिल है।
तोमर पढ़ाई में बच्चों का तनाव कम करने के तरीकों पर काम कर रहे हैं। इसके लिए वे आनंद सभाएं चलाते हैं। गीत, कहानियों को कठपुतली के जरिए पढ़ाते हैं। इस विधि से गणित, विज्ञान, सामाजिक विषय व हिंदी आदि विषयों के पाठों को को सहज भाषा व इशारों में समझाते हैं। यह नवाचार प्रदेश के 200 से ज्यादा स्कूलों में लागू हो चुका है।
शिक्षकों की पहल 'प्रदन्या' ने सरकारी स्कूल के 1000 बच्चों की किस्मत बदल दी। दो साल पहले जब 10वीं-12वीं का रिजल्ट 30% से नीचे चला गया, तक डीईओ पीएस सोलंकी ने 12 शिक्षकों की टीम बनाई। टीम ने 5 साल के प्रश्न पत्रों का विश्लेषण कर 'प्रदन्या' (बुकलेट) तैयार की। नतीजा, पहले ही साल में 1000 से ज्यादा बच्चों के अंक 60त्न से बढ़कर 85-90त्न तक पहुंच गए। इस अभिनव पहल को केंद्र सरकार की 'स्टोरी ऑफ चेंज' पुस्तिका में जगह मिली है।
- प्रदन्या में तय समय पर बच्चों को पढ़ाया।
- हर सप्ताह पढ़ने के लिए पेज तय किए। फिर परीक्षा ली।
- छुट्टी के दिन अतिरिक्त कक्षाएं लगीं। इसका वीडियो बनाया।
- ऑनलाइन और ऑफलाइन विशेष कक्षा लगाईं।
शैक्षणिक सत्र 2023-24 में 10वीं और 12वीं बोर्ड में 27 स्कूलों का रिजल्ट 30% से भी कम था। 20 के रिजल्ट 50 और 47 स्कूलों के 50% से कम रहे। तब 100-100 पेज की बुकलेट से पढ़ाई कराई और एक वर्ष में परिणाम 60% से बढ़कर 83.3% और हायर सेकंडरी में 70% से 84.3% हो गया। 1000 बच्चों को 83.3% से 80% अंक मिले। अब प्रदन्या-2 लागू की है।
Updated on:
05 Sept 2025 10:04 am
Published on:
05 Sept 2025 10:02 am
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