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कार्तिक आर्यन से तंग शिक्षक ने बम पर मारा था डंडा, टीचर्स ने सुनाई ‘बदमाश स्टूडेंट’ की कहानी

Teachers Day 2025: कार्तिक आर्यन के शिक्षकों ने टीचर्स डे पर याद किया स्टूडेंट कार्तिक को। सुनाए रोचक किस्से, बताया पढ़ाई में नहीं था ज्यादा तेज, लेकिन कुछ अलग बात थी, एक अलग सी चमक थी उसमें...patrika.com पर आप भी पढ़ें स्टूडेंट् कार्तिक आर्यन के रोचक किस्से...

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Teachers Day 2025 Kartik Aryan

Teachers Day 2025 Kartik Aryan पत्रिका (फोटो: सोशल मीडिया)

Teachers Day 2025: बॉलीवुड में आज अगर कोई नाम है जो सिर्फ लुक्स और एक्टिंग से नहीं, बल्कि अपनी मेहनत और सादगी से सबका दिल जीत रहा है, तो वो है कार्तिक आर्यन। लाखों दिलों की धड़कन कार्तिक के बचपन की कुछ यादें अब भी उनकी टीचर अनीता मेहता के जेहन में ताजा हैं।

ग्वालियरके मुरार स्थित सेंट पॉल स्कूल में इंग्लिश पढ़ाने वाली अनीता बताती हैं वो क्लास में सबसे तेज नहीं था, लेकिन उसमें जो बात थी, वो बाकी बच्चों में नहीं दिखती थी-एक अलग सी ऊर्जा, एक अलग सी चमक। कार्तिक ने स्कूल की 8वीं और 9वीं क्लास यहीं से की थी।

लास्ट पीरियड छोड़ फुटबॉल खेलने भाग जाता था कार्तिक

अनीता मैम मुस्कराते हुए याद करती हैं कि, पढ़ाई का आखिरी पीरियड होता और कार्तिक चुपके से फुटबॉल ग्राउंड की ओर निकल जाता। उसे खेल से ह्रश्वयार था और जिंदगी से भी। किताबों से ज्यादा उसे मैदान और मस्ती भाते थे। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि उस शरारती बच्चे के माता-पिता का सपना बेटे का डॉक्टर बनाने का था। पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था।

पहली बार टीवी पर देख रो पड़े थे टीचर्स

जब मैंने उसे पहली बार टीवी पर देखा, तो आंखों में आंसू आ गए-वो बच्चा जो क्लास में हर वक्त मुस्कुराता था, आज पूरी दुनिया को मुस्कुराने की वजह दे रहा है। अनीता मैम कहती हैं। उनके चेहरे पर आज भी वही गर्व झलकता है, जैसे किसी मां को अपने बच्चे की कामयाबी पर होता है। मेरी दिली दुआ है कि वो ऐसे ही आगे बढ़ता रहे और फिल्म इंडस्ट्री में एक नई मिसाल कायम करे।

'बम पर स्टिक से डराया था उसे, आज वही स्टार बना बैठा है…'

बॉलीवुड के चमकते सितारे कार्तिक आर्यन को आज करोड़ों लोग सिर्फ बड़े पर्दे पर एक्टर के रूप में जानते हैं, लेकिन उनके भीतर छुपा खिलाड़ी का जुनून उनके स्कूल के दिनों से ही नजर आने लगा था। ग्वालियर के सेंट पॉल स्कूल में उनके स्पोट्र्स टीचर अब्दुल राशिद आज भी कार्तिक के उस जोशीले और शरारती अवतार को नहीं भूले। राशिद सर मुस्कराते हुए बताते हैं, उसे फुटबॉल से खास लगाव था लेकिन टेबल टेनिस और बास्केटबॉल में भी कम नहीं था।

जब बाकी बच्चे खेल से ऊब जाते, तब भी कार्तिक पूरे 45 मिनट का स्पोट्र्स पीरियड एकाग्रता और जोश के साथ खेलता था लेकिन सिर्फ जुनून ही नहीं, कार्तिक में वो बचपन की शरारतें भी थीं, जो उसे सबसे अलग बनाती थीं। कई बार प्रिंसिपल साहब उसे मैदान से खुद पकड़कर क्लास में ले जाया करते थे।

उसकी हरकतों से आ गया था तंग

सर हंसते हुए कहते हैं कि एक बार तो उसकी हरकतों से तंग आकर मैंने उसके बम पर स्टिक से मारने का नाटक किया, बस डराने के लिए! वो पल आज भी मुझे हंसा देता है। समय बीत गया, लेकिन रिश्ता नहीं। कुछ समय पहले जब कार्तिक एक प्रोग्राम के लिए ग्वालियर आया, तो अपने इस पुराने गुरु से मुलाकात करके पुरानी यादें ताजा की। वो गले लगकर बोला-सर, आपकी मार भी याद है और मैदान भी। उस दिन समझ आया कि बड़ा स्टार बनने के बाद भी कार्तिक वही पुराना बच्चा है, जो दिल से खेलता है।