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Mamata Banerjee ने बीजेपी को रोकने के लिए दुर्गा पूजा चंदे में की 1650% बढ़ोतरी, ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र’ का बना मजाक

Durga Puja Grant: पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने दुर्गा पूजा के ग्रांट में लगातार इजाफा किया। पिछले 8 साल में चंदा की राशि 10 हजार रुपये से बढ़कर 1.10 लाख हो गई है।

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West Bengal Durga Puja 2025

पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा की चंदे की राशि में काफी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है। (Photo: Patrika)

Mamata Banerjee Durga Pooja Grant: पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने दूर्गा पूजा पांडालों को चंदा देने शुरुआत 2018 में की थी। इसे बंगाल में दुर्गा पूजा डोल की रस्म कहते हैं। इस राशि में लगातार इजाफा होता रहा और इसके दायरे में पांडालों की संख्या में भी तेजी से इजाफा होता रहा। वर्ष 2018 में बंगाल की ममता सरकार ने एक पंडाल को 10 हजार रुपये चंदा दिया था। चंदे की यह राशि 2018 में सरकार की ओर से 28,000 पांडालों को दिया गया। इस सरकारी इमदाद में लगातार इजाफा होता रहा। पांडांलों की संख्या भी बढ़ती रही। राजनीति के विश्लेष ममता बनर्जी की इस पहल को अगले साल होने वाले राज्य चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। आइए यहां जानते है कि चंदे की राशि में किस तरह पिछले 8 सालों में 1650 फीसदी का इजाफा हो चुका है। यहां पढ़िए दुर्गा पूर्जा में सरकारी चंदे के सफर की कहानी।

ममता सरकार ने शुरू किया दुर्गा पूजा डोल की रस्म

बंगाल में दुर्गा पूजा चंदा को डोल भी कहा जाता है। आमतौर पर सामाजिक रूप से धार्मिक आयोजन अपनी बिरादरी और श्रद्धा रखने वालों के चंदे से होता रहा है लेकिन कई बार ऐसे आयोजनों के महत्व को देखते हुए उस विशेष धर्म में अपनी साख बढ़ाने के लिए कुछ नेता व्यक्तिगत तौर पर ऐसा करते रहते हैं। कई बार सरकारें भी ऐसा करती हैं। पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली सरकार ने मानों इसे नियम बना लिया। उन्होंने वर्ष 2018 में सरकारी खजाने से 10 हजार रुपये का चंदा प्रत्येक पांडाल को देना शुरू कर दिया। उस साल 28 हजार पांडालों को करीब 28 करोड़ की राशि प्रदान की गई थी।

वर्ष 2025 में हर पांडाल को 1.1 लाख रुपये चंदा देने का ऐलान

ममता सरकार की दुर्गा पूजा पांडालों के प्रति दरियादिली बढ़ती चली जा रही है। पिछले साल 85 हजार रुपये प्रति पांडाल को चंदा दिया गया था और यह वादा किया था कि अगले साल यानी 2025 में चंदे की राशि 1 लाख रुपये कर दिया जाएगा। लेकिन ममता सरकार ने अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए पांडालों को 1 लाख की बजाय 1.1 लाख रुपये चंदा देने की घोषणा कर दी। ममता बनर्जी ने 45 हजार पांडालों को चंदा देने की घोषणा की है। इससे राज्य सरकार पर लगभग 500 करोड़ रुपये का खर्च आएगा।

2023 में हर पांडाल को दिया 85 हजार और किया था ये वादा

ममता बनर्जी ने वर्ष 2023 में दुर्गा पूजा पांडाल को 85 हजार रुपये दिया और यह वादा भी किया था कि अगले वर्ष चंदा की राशि 1 लाख प्रति पांडाल दूंगी। पूरे पश्चिम बंगाल में बीते साल 40 हजार दुर्गा पूजा पांडाल को चंदे की राशि मुहैया कराई गई। कोलकाता में अकेले 3,000 पूजा के पांडालों को बंगाल सरकार ने चंदा दिया। वहीं वर्ष 2022 में बंगाल सरकार ने हरेक पांडाल को 70 हजार रुपये चंदा दिया था। यूनेस्को ने 2021 में कोलकाता में दुर्गा पूजा को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची में शामिल किया। इससे राज्य के दुर्गा पूजा की प्रसिद्धि में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और बढ़ोतरी हुई।

2025 में पंडालों की संख्या बढ़कर हुई 45000

पश्चिम बंगाल में पांडालों की संख्या वर्ष 2018 में 28,000 थी जो बढ़कर इस साल 45 हजार तक पहुंच गई। राज्य के विपक्षी राजनीतिक पार्टी ममता सरकार के इस कदम की आलोचना भी कर रहे हैं। उनका कहना है कि ममता सरकार संविधान में वर्णित 'धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक राज्य' के सिद्धांत का मजाक उड़ा रही है।

धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक राज्य की क्या है परिभाषा

संविधान में धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक राज्य का उल्लेख है। वहां यह कहा गया है कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक राज्य है जिसका मतलब यह होता है कि देश की कोई भी सरकार किसी धर्म को आधिकारिक तौर समर्थन नहीं कर सकता है और ना ही किसी का विरोध। बीजेपी सरकार पर भी 'धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक' की उपेक्षा करने के आरोप लगते रहे हैं।