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रक्षाबंधन पर भाई-बहन की जोड़ी बनी शांति और साहस की अनोखी मिसाल, नक्सलियों से मुख्यधारा में लौटने का किया आह्वान

Raksha Bandhan 2025: बीजापुर में रक्षाबंधन पर डीआरजी की महिला जवान सुखमति ने अपने भाई को राखी बांधकर सुरक्षा की कामना की, दोनों पूर्व नक्सली अब सुरक्षाबल में शामिल होकर शांति और मुख्यधारा का संदेश दे रहे हैं।

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रक्षाबंधन पर पेश की अनोखी मिसाल (Photo source- Patrika)

रक्षाबंधन पर पेश की अनोखी मिसाल (Photo source- Patrika)

Raksha Bandhan 2025: Bijapur/भाई-बहन के अटूट स्नेह का पर्व रक्षाबंधन इस बार बीजापुर में एक अनोखी मिसाल बनकर सामने आया। जिले में तैनात जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) की महिला जवान सुखमति ने अपने भाई वेंकट नाग (परिवर्तित नाम) को राखी बांधकर उसकी लंबी उम्र और सुरक्षा की कामना की। विशेष बात यह रही कि इस अवसर पर उन्होंने नक्सलियों से समाज की मुख्यधारा में लौटकर सम्मानजनक और बेहतर जीवन जीने का आह्वान भी किया।

Raksha Bandhan 2025: भाई बहन ने ऐसे थामा संगठन का दामन

सुखमति और वेंकट, दोनों ही कुछ वर्ष पहले तक नक्सल संगठन में सक्रिय सदस्य थे। साल 2007 में, जब सलवा जुडूम के दौर में नक्सली हिंसा अपने चरम पर थी, तब महज 10 साल की उम्र में सुखमति नक्सल संगठन में शामिल हो गई थीं। शुरुआत में वह भैरमगढ़ एरिया कमेटी में पीसीसी सदस्य रहीं और बाद में प्रमोशन पाकर ओडिशा भेज दी गईं। करीब 10 साल तक वह जंगलों में नक्सल गतिविधियों में संलग्न रहीं। इस दौरान उनके छोटे भाई वेंकट ने भी नक्सल संगठन का दामन थाम लिया।

नक्सल संगठन में रहते हुए इन्हें अपने पारंपरिक पर्व और त्यौहार मनाने की मनाही थी। परिवार के साथ इन खास पलों में शामिल न हो पाने की कसक उनके दिल में हमेशा रही। आखिरकार, 2016 में सुखमति ने नक्सल संगठन छोड़ आत्मसमर्पण किया और मुख्यधारा में लौट आईं। एक साल बाद 2017 में वेंकट ने भी हथियार डाल दिए।

भाई-बहन ने रक्षाबंधन पर पेश की अनोखी मिसाल

Raksha Bandhan 2025: दोनों ने पहले पुलिस आरक्षक के रूप में सेवा शुरू की और बाद में डीआरजी में शामिल होकर अपने पुराने साथियों के खिलाफ मोर्चा संभाला। अब वे न केवल पारिवारिक और सामाजिक आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं, बल्कि ऑपरेशन के दौरान भी एक-दूसरे का हौसला बढ़ाते हैं। वेंकट का कहना है कि मेरी दीदी जब ऑपरेशन में साथ होती है तो मनोबल दोगुना हो जाता है। हम दोनों मिलकर नक्सलियों को जवाब देते हैं।

दोनों के आत्मसमर्पण के बाद नक्सलियों ने उनके परिवार को गांव से निकाल दिया था। माता-पिता, तीन भाई और दो बहनें मजबूरी में बीजापुर मुख्यालय में रहने लगे। हालांकि, अब हालात बदल चुके हैं। गांव में सड़कों का निर्माण हो चुका है, खेत फिर से लहलहा रहे हैं और परिवार का आना-जाना लगा रहता है।

रक्षाबंधन के इस अवसर पर सुखमति और वेंकट ने अपने जिले में स्थायी शांति और खुशहाली की ईश्वर से प्रार्थना की। साथ ही, नक्सल संगठन में सक्रिय युवाओं से हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का संदेश भी दिया।