
Tinnitus : क्या आपके कानों में भी आती है सीटी बजने की आवाज? जानिए इसके लक्षण और कारण (फोटो सोर्स: AI image@Gemini)
Causes of Tinnitus : क्या आपको या आपके किसी करीबी को कान में घंटी या भिनभिनाहट की आवाजें सुनाई देती हैं, जो सिर्फ आप ही महसूस कर सकते हैं? इसे टिनिटस (Tinnitus) कहा जाता है। सीनियर ENT विशेषज्ञ डॉ. भीम सिंह पांडेय के अनुसार, टिनिटस कोई बीमारी नहीं बल्कि बीमारी का लक्षण है। यह हमारे कान और ब्रेन की आवाज़ों को पहचानने की प्रक्रिया में किसी गड़बड़ी के कारण हो सकता है। अक्सर यह शांत जगहों पर या रात में ज्यादा महसूस होता है।
डॉ. भीम सिंह पांडेय ने कहा , सबसे पहले तो मैं यह क्लियर कर देना चाहूंगा कि टिनिटस कोई बीमारी नहीं बल्कि बीमारी का एक लक्षण होता है, ठीक उसी तरह जैसे बुखार होना कोई बीमारी नहीं बल्कि बीमारी का एक लक्षण होता है। जिस प्रकार बुखार कई कारणो से हो सकता है जैसे कि टाइफाइड, मलेरिया, वायरस इत्यादि इस तरह टिनिटस भी कई कारणो से हो सकता है।
टिनिटस के बारे में और जानने से पहले यह अच्छा रहेगा कि हम अपने और अपने आसपास होने वाली आवाजों के संबंध को समझें। हमारे आसपास के वातावरण में कई तरह की मिक्सड आवाजें होती हैं। अगर आपने कभी अपने मोबाइल फोन पर रिकॉर्डिंग करने की कोशिश की हो तो आपने नोटिस किया होगा कि पीछे से लगातार एक शोर आता है जैसे हवा चल रही हो।
आमतौर पर हम इन आवाजों को नहीं सुनते हैं क्योंकि हमारा ब्रेन जानता है कि यह आवाजें किसी काम की नहीं है और इन पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है। दूसरी बात ये कि हमारे शरीर में भी कई तरह की आवाज पैदा होती है जैसे कि दिल का धड़कना, नसों में खून का दौड़ना, हमारे पेट में आंतों का घूमना और सांस लेने की आवाजें इत्यादि। यह सब आवाजें बाहर के शोर में दब जाती है। इससे हमें दो बातें पता चलती है पहली ये कि हमारे चारों तरफ काफी शोर रहता है और वह हमारे शरीर में से पैदा होने वाली आवाजों को दबा देता है इसी कारण टिनिटस भी शांत जगहों पर या रात को सोते हुए ज्यादा परेशान करता है, और दूसरी ये कि हमारे ब्रेन में यह क्षमता है कि वह बेकार की आवाजों को नजरअंदाज कर देता है ताकि हम उनको ना सुन पाएं।
टिनिटस के कारणों को समझने के लिए यह जरूरी है कि हम यह समझ लें कि हम सुनते कैसे हैं। हमारे कान के तीन हिस्से होते हैं बाहरी, मध्य और अंदरूनी। कोई भी आवाज कान के बाहरी और मध्य भाग से होते हुए कान के अंदरूनी हिस्से तक पहुंचती है और यहां मौजूद हेयरसेल उन्हें इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स में बदल देते हैं। इन इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स को ऑडिटरी नर्व यानी कान की नस हमारे ब्रेन तक पहुंचाती है। इस पूरे रास्ते में या इसके आसपास कोई गड़बड़ी होने पर टिनिटस हो सकता है।
टिनिटस को हम मुख्यतः दो भागों में बताते हैं पहला ऑब्जेक्टिव टिनिटस यानी कोई भी असामान्य आवाज जो आपके शरीर में पैदा हो रही है और जिसे आप सुन पा रहे हैं। ऐसा कान के आसपास किसी असामान्य खून की नस, मांसपेशियों की जकड़न या जबड़े के जोड की खराबी के कारण हो सकता है। इन आवाजों को आपके डॉक्टर भी अपने स्टेथोस्कोप की मदद से सुन सकते हैं।
लेकिन ज्यादा काॅमन है सब्जेक्टिव टिनिटस। इसमें कोई भी आवाज न होने के बावजूद मरीज को आवाज सुनाई देती है ऐसा दो प्रमुख कारणों की वजह से होता हैः
आउटर या मिडल इयर में कोई रुकावट पैदा हो जाए और आवाज इनर इयर तक ना पहुंच पाए, इसे हम कंडक्टिव हियरिंग लॉस भी कहते हैं। ऐसी स्थिति में बाहरी आवाजों की कमी के कारण हमें शरीर के अंदर पैदा होने वाली आवाजें सुनाई देने लगती हैं। ऐसा कई कारणों से हो सकता है, जैसे कान में जमा हुआ वैक्स, कान के परदे में छेद मिडल इयर में इंफेक्शन यह मिडल इयर की हड्डियों की कोई समस्या।
अधिकतर लोगों को टिनिटस इनर इयर या कान की नसों की समस्या की वजह से होता है। इसके साथ हियरिंग लॉस भी हो सकता है जिसे हम सेंसरी न्यूरल हियरिंग लॉस कहते हैं। जब इनर इयर से आने वाले साउंड सिग्नल्स कमजोर हो जाते हैं तो उन्हें सुनने की कोशिश में ब्रेन सेल्स में एक्टिविटी बढ़ जाती है। इसे कई मरीज टिनिटस के रूप में महसूस करते हैं।
इनर इयर के सेल्स को कई कारण से नुकसान पहुंच सकता है जैसे कि तेज आवाजें बढ़ती उम्र के कारण होने वाले डैमेज, कुछ दवाइयों के साइड इफेक्ट्स और इनर इयर की कुछ बीमारियां। टिनिटस कान की नस या ब्रेन के इन्फेक्शन या चोट लगने या टयूमर्स जैसे एकॉस्टिक न्यूरोमा की वजह से भी हो सकता है। इस संशय को दूर करने के लिए डॉक्टर आपको MRI करवाने के लिए कह सकते हैं।
- कान में घंटी, भिनभिनाहट या फुसफुसाहट
- एक या दोनों कानों में आवाज सुनाई देना
- हियरिंग लॉस
- नींद में परेशानी
- गुस्सा, चिड़चिड़ापन, ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
कुछ लोगों में टिनिटस के साथ हियरिंग लॉस भी हो सकता है। कई लोग टिनिटस को अपने जीवन का एक हिस्सा मानते हैं और उसे पर ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं लेकिन कई लोगों को इसके कारण छोटी बड़ी मानसिक दिक्कत हो जाती है। कई लोग काफी अकेला महसूस करते हैं क्योंकि लोग उनकी परेशानी समझ नहीं पाते। टिनिटस के मरीजों में गुस्सा घबराहट, चिड़चिड़ापन, कंसंट्रेट करने में दिक्कत और सोने में परेशानी आदि देखे जाते हैं।
जिन्हें अपनी ही गलती से टिनिटस हो जाता है जैसे पटाखों और हेडफोन के इस्तेमाल से, उन्हें यह आत्मबोध भी रहता है कि काश मैंने अपने कानों का ख्याल रखा होता। किसी भी प्रकार के टिनिटस को नजरअंदाज ना करके विशेषज्ञ की सलाह लेना जरूरी है। अगर आप किसी भी वजह से कोई भी दवा ले रहे हैं तो उसका नाम अपने डॉक्टर को जरूर बताएं। अगर आपको एक ही कान में टिनिटस या हियरिंग लॉस है या टिनेटस के साथ चक्कर भी आते हैं या दिल की धड़कन जैसी आवाज सुनाई देती है तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाएं।
इसी क्रम में हम अपने अगले आर्टिकल में टिनिटस के इलाज के बारे में बात करेंगे।
Updated on:
19 Sept 2025 06:23 pm
Published on:
19 Sept 2025 02:36 pm
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