
Brigadier Mohammad Usman
NCERT समय-समय पर किताबों और सिलेबस में नए चैप्टर जोड़ती और काटती रहती है। NCERT ने अपनी पाठ्यपुस्तकों में भारतीय सेना के तीन महान वीरों, ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और मेजर सोमनाथ शर्मा पर नए अध्याय जोड़ने का फैसला किया है। कक्षा 7वीं के उर्दू और कक्षा आठवीं के उर्दू और अंग्रेजी के किताबों में इनके बारे नया चैप्टर जोड़ा गया है। इसका उद्देश्य विद्यार्थियों को भारत के सैन्य इतिहास और शौर्य गाथाओं के बारे में जानकारी देना और बताना है।
ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान, भारतीय सेना के ऐसे अधिकारी थे जिन्होंने 1947-48 के भारत-पाक युद्ध में अद्वितीय साहस का प्रदर्शन किया। उन्हें ‘नौशेरा के शेर’ के नाम से जाना जाता है। पहले भारत-पाक युद्ध (1947-48) के दौरान जम्मू-कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में उस्मान ने अद्वितीय नेतृत्व और साहस का परिचय दिया। पाकिस्तानी कबायली हमलों के बीच उन्होंने अपनी टुकड़ी के साथ मोर्चा संभाला और दुश्मन के इरादों को नाकाम किया। उनकी रणनीति और वीरता के कारण नौशेरा दुश्मन के कब्जे में नहीं जा सका। इसी वीरता के लिए उन्हें ‘नौशेरा का शेर’ कहा जाने लगा। पाकिस्तान से भारी दबाव और प्रलोभन के बावजूद उन्होंने भारत के प्रति अपनी निष्ठा बनाए रखी। 1948 में नौशेरा की रक्षा करते हुए वे वीरगति को प्राप्त हुए। उनके बलिदान के सम्मान में उन्हें मरणोपरांत ‘महा वीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था। मोहम्मद उस्मान उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे। उनका परिवार एक जमींदार परिवार था। साल 1934-35 में उन्होंने सेना में अपने सेवा देनी शुरू की।
1947 में भारत के विभाजन के समय, मोहम्मद उस्मान भारतीय सेना में एक प्रतिष्ठित अधिकारी थे। विभाजन के बाद कई मुस्लिम अफसर पाकिस्तान चले गए, लेकिन पाकिस्तान की ओर से सेना प्रमुख का पद मिलने के बावजूद उस्मान ने भारत को चुना। उनका कहना था कि उन्होंने जिस भूमि से वफादारी की शपथ ली है, उसे कभी नहीं छोड़ेंगे।
3 जुलाई 1948 को, नौशेरा सेक्टर में ऑपरेशन के दौरान ब्रिगेडियर उस्मान शहीद हो गए। वे उस समय भारतीय सेना के सबसे वरिष्ठ अधिकारी थे, जिन्होंने युद्ध में प्राण न्यौछावर किए। उनकी शहादत पर देशभर में शोक की लहर थी और उनका अंतिम संस्कार पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
मेजर सोमनाथ शर्मा, परम वीर चक्र से सम्मानित होने वाले पहले भारतीय सैनिक थे। 1947 में कश्मीर में पाकिस्तानी कबायलियों के हमले के दौरान बडगाम सेक्टर में मोर्चा संभालते हुए उन्होंने अद्वितीय वीरता दिखाई। उन्होंने कहा था, "हम एक इंच जमीन भी छोड़ेंगे और अंतिम सांस तक अंतिम फौजी तक लड़ाई लड़ेंगे"। सैम मानेकशॉ भारतीय सेना के पहले फील्ड मार्शल थे और 1971 के भारत-पाक युद्ध में निर्णायक भूमिका निभाने वाले सेनापति थे। उनके नेतृत्व में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को पराजित कर बांग्लादेश को स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।
NCERT का यह कदम नई पीढ़ी को देश की सुरक्षा में योगदान देने वाले असली नायकों से परिचित कराने की दिशा में अहम है। इन अध्यायों के माध्यम से छात्र न केवल युद्ध के इतिहास को जानेंगे, बल्कि देशभक्ति, नेतृत्व क्षमता और बलिदान जैसे मूल्यों से भी प्रेरित होंगे।
Published on:
15 Aug 2025 12:54 pm
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