मंडीपखोल गुफा अपनी प्राचीन मान्यता के अनुसार साल में केवल एक दिन अक्षय तृतीया पर्व के बाद आने वाले प्रथम सोमवार को खोला जाता है।
पट खुलने के बाद स्थानीय जमींदार सबसे पहली पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मानी जाने वाली मंडीप खोल गुफा है।
छत्तीसगढ़ का मंडीप खोल गुफा राजनांदगां से अलग होकर बने नए जिले खैरागढ़ छुईखदान गंड़ई में स्थित है। मण्डीप खोल गुफा को लेकर कई रियासत कालीन मान्यताएं जुड़ी हैं।
दुर्गम रास्ते, घने जंगल और नदी नालों को पार कर श्रद्धालु मंडीप खोल गुफा पहुंचते हैं। यहां गुफा राजनांदगांव जिले से अलग होकर बने जिला यानी खैरागढ़-छुईखदान-गंड़ई में स्थित है।
चट्टान हटाने से जंगली जानवरों से बचाव के लिए पहले हवाई फायर भी किया जाता है। गुफा में पहला प्रवेश जमींदार परिवार के लोग ही करते हैं।
भक्तों ने मंडीप खोल गुफा में प्रवेश किया तो उन्हें शीतलता का अहसास हुआ। यह भी एक तरह का रहस्यमय किस्सा है। सकरे मुख वाली इस गुफा के अंदर अनेक बड़े कक्ष है।