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प्रभात गुप्ता केस में अजय मिश्र टेनी हुए बरी, भाई ने कहा कि हाई कोर्ट से नहीं मिला न्याय, अब जाएंगे सुप्रीम कोर्ट

Prabhat Gupta Murder Case: प्रभात गुप्ता मर्डर केस में हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसला को बरकरार रखा। कोर्ट ने अजय मिश्र टेनी को बरी कर दिया।

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प्रभात गुप्ता के भाई राजीव अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।

Prabhat Gupta Murder Case: प्रभात गुप्ता मर्डर केस में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए अजय मिश्र समेत चारों आरोपी को बरी कर दिया है। इस वारदात में अजय मिश्र समेत सुभाष मामा, शशि भूषण पिंकी ,राकेश डालू हत्या के आरोपी हैं।

हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद प्रभात गुप्ता के भाई राजीव गुप्ता ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा कि न्याय नहीं हुआ। सबूत और गवाह है। अब इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। वहीं हाई कोर्ट का फैसला आने से पहले राजीव ने कहा था कि उन्हें द्वारकाधीश और न्यायाधीश पर पूरा भरोसा है। उन्हें न्यायपालिका पर यकीन है, जो फैसला कोर्ट देगा, वो मंजूर है।

3 बार फैसला को रखा गया सुरक्षित
2004 में यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में पहुंचा। तब से अब तक लखनऊ बेंच ने हत्याकांड में 3 बार फैसला सुरक्षित रखा, लेकिन फैसला नहीं आ पाया। आज जस्टिस AR मसूदी और OP शुक्ला की बेंच ने केस पर फैसला दिया है।

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दिन- दहाडे़ प्रभात को मारी गई थी गोली
दरअसल, 2000 में जिला पंचायत चुनाव के दौरान तिकुनिया में बीच बाजार लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र नेता प्रभात गुप्ता की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मोटरसाइकिल पर सवार चार हमलावर ताबड़तोड़ फायरिंग के बाद फरार हो गए थे।

प्रभात गुप्ता और अजय मिश्रा टेनी की बीच थी सियासी रंजिश
प्रभात गुप्ता तिकुनिया के रहने वाले थे। पास के बनवारीपुर गांव में अजय मिश्र टेनी रहते थे। दोनों के बीच सियासी रंजिश थी और आपस में विरोध भी था। प्रभात हत्याकांड के बाद अजय मिश्र टेनी पर हत्या कराने का आरोप लगा। इसके बाद अजय मिश्र टेनी समेत चार लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर होने के कारण जिला जज ने सभी की जमानत खारिज कर दी।

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जिला जज की अदालत में 2003 में हुए पेश
मामले में 25 जून 2003 को अजय मिश्र टेनी जिला जज चंद्रमा सिंह की अदालत में हाजिर हुए। इसके बाद अभियोजन पक्ष ने उनकी तरफ से सुनवाई के लिए पांच दिन का समय मांगा, लेकिन, उनकी अर्जी नामंजूर कर दी गई। अदालत ने अभियुक्त के विरुद्ध चार्जशीट दाखिल होने का हवाला दिया।

जिला जज ने अजय मिश्र टेनी की जमानत को कैंसिल कर दिया। हालांकि, उनके दिल का मरीज होने के कारण जेल के बजाय अस्पताल में भर्ती कराने के आदेश दिए। वहीं अगले दिन अपर जिला जज ने अजय मिश्र ट्रेनी की जमानत मंजूर करते हुए रिहा कर दिया।

इसके बाद 29 मार्च 2004 को लखीमपुर जिला कोर्ट में सुनवाई होने के बाद 15 मई 2004 को अजय मिश्र टेनी समेत चारों आरोपियों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया। इस फैसले के खिलाफ वर्ष 2004 में ही हाईकोर्ट में अपील दाखिल की गई थी।