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कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: किन 5 बड़े मुद्दों पर लड़ा जा रहा कर्नाटक चुनाव?

कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस व बीजेपी रण जीतने के लिए कोई कसर छोड़ना नहीं चाहती।

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नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। एक तरफ जहां राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस ने अपनी पिछली सीटों पर किलेबंदी शुरू कर दी है, तो वहीं विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उसमें सेंध लगाने के प्रयास तेज कर दिए हैं। ऐसे में पड़ताल करते हैं उन मुद्दों की जो इस बार चुनाव में सबसे अधिक चर्चित हैं।

1. कौन-कौन झेल रहा भ्रष्टाचार का दंश?

कर्नाटक चुनाव में इस बार भ्रष्टाचार का मुद्दा हावी है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां एक-दूसरे के नेताओं पर भ्रष्टाचार का कीचड़ उछाल रहे हैं। कांग्रेस ने बीजेपी के सीएम पद के उम्मीदवार येदियुरप्पा के पिछले कार्यकाल पर तमाम सवाल खड़े किए हैं। वहीं बीजेपी भी 3000 किसानों की आत्महत्या, चाय का करोड़ों का बिल जैसे मुद्दों को लेकर कांग्रेस के सिद्धारमैया को घेरने की कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती। बता दें कि मैसूर रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए लोगों से पूछा था कि आपको कमीशन वाली सरकार चाहिए या फिर मिशन वाली। यही नहीं सिद्धारमैया ने मोदी के बयान पर पलटवार करते हुए येदुरप्पा पर निशाना साधा था और प्रधानमंत्री मोदी को भ्रष्टाचार में सहयाक तक कह दिया था।

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2. कन्नड़ स्वाभिमान का मुद्दा

कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018 में कन्नड़ स्वाभिमान का मुद्दा हवा पा चुका है। कांग्रेस इस मुद्दे को अपना हथियार बनाकर चल रही है। इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रेलवे को यह निर्देश दिया गया है कि टिकटों पर कन्नड़ भाषा का इस्तेमाल करे। यहां तक कि राज्य के केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर तो कन्नड़ भाषा का प्रयोग शुरू भी हो चुका है। यह कन्नड़ स्वाभिमान अभियान का ही असर है कि सिद्धारमैया ने कर्नाटक के लिए अलग झंडे की घोषणा कर प्रस्तावसे कैबिनेट से पास कराकर केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेजा दिया है।

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3. महादायी नदी का मुद्दा

कर्नाटक चुनाव में इस बार महादायी नदी का मुद्दा का भी खूब जोरों पर है। राज्य में पिछले चार साल से जारी सूखा सिद्धारमैया सरकार की परेशानी बढ़ा सकता है। यही वजह है कि गोवा से महादायी नदी के जल वितरण के मुद्दे ने सियासी हलचल ला दी है। दरअसल, महादायी या मांडोवी नदी नॉर्थ-वेस्ट कर्नाटक के बेलागावी जिले के पश्चिमी घाट के भीमगढ़ से निकलकर गोवा होते हुए अरब सागर में जाकर गिरती है। कर्नाटक में इस नदी का विस्तार क्षेत्र 29 किलोमीटर है। राज्य में 2001 से चल रही महादायी जल वितरण विवाद इस बार चुनावों पर काफी प्रभाव छोड़ेगा। कर्नाटक पड़ोसी राज्य गोवा से 7.6 अरब क्यूबिक फीट नदी का पानी छोड़ने की मांग करता आया है। जबकि गोवा को इस मांग पर कड़ी आपत्ति है। यदि यह जल कर्नाटक को मिल जाता है तो इससे सूखा प्रभावित धारवाड समेत 4 जिलों की जरूरतें पूरी हो सकती हैं। महादायी नदी का मुद्दा नॉर्थ कर्नाटक की 25 सीटों को प्रभावित करता है।

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4. राजनीतिक चेहरा

कर्नाटक में कांग्रेस के पास सीएम सिद्धारमैया के रूप में एक बड़ा चेहरा है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी राज्य में पार्टी चुनाव कार्यक्रम को धार दे रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस को सत्ता की दूसरी पारी खेलने की पूरी उम्मीद है। वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी मोदी लहर और येदियुरप्पा के लिंगायत कार्ड को भुनाने के प्रयास में जुटी है। इस बार बीजेपी सत्ता वापसी के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ता चाहती। इसके अलावा जेडीएस भी तीसरे विकल्प के रूप में उभरा है। यहां कुमारस्वामी ने बीएसपी के साथ भाग्य आजमा रहे हैं।

5. विकास का मुद्दा

कांग्रेस के सिद्धारमैया की मानें तो उनकी नीतियों के कारण कर्नाटक लगातार पिछले दो सालों से देश का सबसे अगड़ा राज्य है। यह आंकड़ा निवेश के आधार पर निकाला गया है। राज्य की कांग्रेस सरकार का दावा है कि उसके कार्यकाल में लड़कियों की शिक्षा को प्रार्थमिका देते हुए उनको मुफ्त शिक्षा मुहैया कराई। इसके साथ ही राज्य को सोलर पावर में नंबर वन बनाया गया। इसके जवाब में बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का आरोप है कि कांग्रेस और भ्रष्टाचार पुराना संबंध है। बीजेपी का आरोप है कि आईटी हब होने के बावजूद भी लोगों को 24 घंटे बिजली नहीं मिल पा रही है। इसके अलावा सरकार राज्य में हेल्थ संबंधी केंद्र सरकार की योजनाओं को लागू करने में असफल रही है।