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अकाली दल-भाजपा की खत्म होगी दरार, फिर बनेंगे दोस्त! सुगबुगाहट जारी है…

अकाली दल-भाजपा करीब 23 वर्ष तक साथ-साथ रहे। अब जरूरत है तो दोनों दल एक-दूसरे की तरफ पीठ कर बैठे हैं। लोकसभा चुनाव 2024 करीब हैं। और इस चुनाव के लिए दोनों दलों में एक दूसरे की झप्पियां लेने की जरूरत है। पर अकाली दल के कुछ नेता जहां इस नए गठबंधन को राह दिखा रहे हैं तो कुछ नेता अकाली दल को अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के पक्षधर हैं। दोनों दलों को उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। पर पहल कौन करेगा इसका इंतजार है।

Jun 09, 2023 / 03:35 pm

Sanjay Kumar Srivastava

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अमित शाह व सुखबीर सिंह बादल File Photo

भाजपा और अकाली दल की दोस्ती की कहानी बहुत पुरानी है। 23 साल पुरानी दोस्ती सिर्फ एक झटके में टूट गई। तीन साल गुजर गए। भाजपा से दोस्ती निभाने वाले प्रकाश सिंह बादल भी नहीं रहे। सुर्खियों में है कि लोकसभा चुनाव 2024 से पहले अकाली दल और भाजपा साथ-साथ आ जाएं। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए अकाली दल अपने रुठे साथियों को मनाने में भी लगी हुई है। साथ ही भाजपा से दोबारा गठबंधन के भी तैयारी कर सकता है। बताया जा रहा है कि अकाली दल और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, जनता को अलग-अलग राजनीतिक दलों के फिर से एक साथ आने में “उम्मीद की किरण” दिखाई दे रही है।

2020 में अकाली दल ने भाजपा से तोड़ा नाता

अकाली दल भाजपा गठबंधन कई उतार-चढ़ाव से गुजरा। शांति और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए काम करने की अपनी घोषणाओं पर एकदम खरा उतरा। पर तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अकाली दल 2020 में एनडीए से बाहर चला गया। और भाजपा से नाता तोड़ लिया। आखिरकार भाजपा की मोदी सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस ले लिया।
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राजनीति में दरवाजे कभी बंद नहीं होते

शिरोमणि अकाली दल उपाध्यक्ष और पूर्व मंत्री महेशिंदर सिंह ग्रेवाल का मानना ने बताया, राजनीति में दरवाजे कभी बंद नहीं होते। कुछ भी असंभव नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, महेशिंदर सिंह ग्रेवाल ने बताया, गठजोड़ में वापसी करने के लिए अभी भी कुछ शर्तें हैं। इन शर्तों में जैसे “भाजपा शासित राज्य में सिख मामलों के प्रबंधन के लिए हरियाणा के लिए एक अलग समिति का गठन, पार्टी की “बंदी सिंह” मुक्त करने की मांग को पूरा करना, और चंडीगढ़ पर पंजाब के दावे को कमजोर करने के लिए हरियाणा के हस्तक्षेप” को खत्म करना।

पहले एसएडी ने थामा था भाजपा का हाथ

महेशिंदर सिंह ग्रेवाल ने कहा, अगर भाजपा इन पर सहमत होती है तो हम उनके साथ फिर से गठबंधन में शामिल हो जाएंगे। ग्रेवाल ने याद दिलाया कि एक वक्त ऐसा जब भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी के रूप में माना जाता था। पर “अल्पसंख्यक सिख समुदाय के प्रतिनिधियों के रूप में” एसएडी एकमात्र पार्टी थी जिसने भाजपा का हाथ थामा था।

NDA मूल रूप से अकाली दल की देन

ग्रेवाल ने कहा, NDA मूल रूप से अकाली दल की देन है। जब वाजपेयी को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, तो कोई भी उनसे हाथ मिलाने को तैयार नहीं था। क्योंकि भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी करार दिया गया था। उनके साथ एकमात्र पार्टी अविभाजित शिवसेना थी। हमने खुद राज्य में बसपा के साथ गठबंधन किया था।

SAD के समर्थन के बाद अन्य दलों की राय बदली

ग्रेवाल ने आगे कहा, प्रकाश सिंह बादल ने पार्टी के सदस्यों को राष्ट्रीय स्तर पर वाजपेयी का समर्थन करने के लिए राजी किया। हमें अभी भी विश्वास था कि उन्हें (वाजपेयी को) बहुमत नहीं मिलेगा। पर हमारे समर्थन के बाद, भाजपा के बारे में अन्य दलों की राय बदली। और एसएडी के बाद कई दल एनडीए का हिस्सा बनें।
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गठबंधन दोबारा शुरू करने के लिए भागीदारी की भावना जरूरी

ग्रेवाल ने 2019 के बाद अफसोस जताते हुए कहा, एनडीए के सहयोगियों को सरकार के फैसलों पर सहमति नहीं थी, और कई बार उन्हे समाचार पत्रों से उनके बारे में जानकारी मिलती थी। अकाली दल-भाजपा गठबंधन को दोबारा शुरू करने के लिए ग्रेवाल ने कहा, भागीदारी की भावना होनी चाहिए। हमें आदेश नहीं दी जानी चाहिए। हमें विश्वास में लेने की जरूरत है। हम महत्वपूर्ण अल्पसंख्यक लोग हैं, और हमने राज्य और देश के लिए बहुत योगदान दिया है।

मुद्दे सुलझ जाएंगे तो गठबंधन हो सकता है – अकाली दल प्रवक्ता

महेशिंदर सिंह ग्रेवाल ने यह साफ किया कि अकाली दल किसी भी ऐसे विपक्षी मोर्चे का हिस्सा नहीं हो सकता है, जिसमें कांग्रेस शामिल हो। अकाली दल प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने पुष्टि करते हुए कहा कि मुद्दे सुलझ जाएंगे तो अकाली दल, भाजपा में शामिल हो सकती है। अभी तो हम अपनी पार्टी को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।

मैं माफी मांगता हूं, छोड़ कर गए नेता वापस आएं – सुखबीर सिंह बादल

इस बात को शिरोमणि अकाली दल अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल का यह बयान मजबूत करता है। सुखबीर सिंह बादल ने गुरुवार देर रात कहा, मैं उन सभी नेताओं से अपील करता हूं जिन्होंने पिछले कुछ वर्षों में अकाली दल को छोड़ दिया है और पार्टी में फिर से शामिल हों। अगर मुझसे कोई गलती हुई है तो मैं उनसे माफी मांगता हूं।

भाजपा नेता मनोरंजन कालिया गठबंधन का किया समर्थन

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, वरिष्ठ भाजपा नेता मनोरंजन कालिया ने भी अकाली दल के साथ गठबंधन का समर्थन करते हुए कहा, ‘ऐसा देखा गया है कि जब भी अकाली दल-बीजेपी गठबंधन होता है, उसने राज्य की बेहतरी के लिए काम किया है। यहां शांति और सांप्रदायिक सद्भाव है। आम आदमी पार्टी की कोई विचारधारा नहीं है।

मंत्री और भाजपा नेता हरदीप सिंह पुरी का इनकार

केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता हरदीप सिंह पुरी ने हालांकि भविष्य में अकाली दल के साथ किसी तरह के गठबंधन से इनकार कर दिया।

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