
नई दिल्ली। यूपी में सहयोगी पार्टियों और अपने ही दलित सांसदों की नाराजगी के बीच पार्टी अध्यक्ष अमित शाह आज लखनऊ पहुंच रहे हैं। इस यात्रा का मकसद अंदरुनी मतभेदों को दूर करना और आगामी रणनीति पर विचार करना है। आपको बता दें दलित सांसद पीएम मोदी को पत्र लिखकर प्रदेश सरकार और पार्टी की दलित विरोधी नीतियों की शिकायत कर चुके हैं। अपना दल और सुहेलदेव समाज पार्टी ने पूरी तरह से भाजपा के खिलाफ अभियान चला रखा है।
अंदरुनी मतभेदों को दूर करने पर रहेगा जोर
पार्टी अध्यक्ष अमित शाह सभी के साथ बैठक भाजपा दफ्तर पर न कर सीएम योगी आदित्यनाथ के आवास पर करेंगे। इसके पीछे मुख्य मकसद बैठक की बातों को मीडिया तक पहुंचने से रोकना है। इस बैठक में यूपी के मंत्रियों, पार्टी पदाधिकारियों और सहयोगी दलों के नेता शामिल होंगे। इसके साथ ही संगठन से लेकर सरकार तक में फेरबदल को लेकर भी चर्चा होने की संभावना है। पार्टी अध्यक्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सभी मतभेदों को दूर कर लेना चाहते हैं। खबर यहां तक है कि योगी सरकार के कुछ मंत्री बदले जा सकते हैं और पिछड़ी और दलित जाति के नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। भाजपा के कुछ नेता प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र नाथ पांडे को राष्ट्रीय महामंत्री बनाकर उनकी जगह किसी पिछड़े नेता को देने पर जोर दे रहे हैं। हालांकि इस बारे में अभी अंतिम फैसला लेना बाकी है।
दलितों को नाराज नहीं करना चाहती भाजपा
पिछले कुछ समय से यूपी भाजपा के दलित सांसद पार्टी से नाराज चल रहे हैं। चार दलित सांसदों ने बकायदा पत्र लिखकर पीएम मोदी से शिकायत भी कर चुके हैं। इन सांसदों का आरोप है कि मोदी राज में दलितों के लिए कोई काम नहीं हुआ है। सांसद सावित्री बाई फूले पार्टी लाइन से बाहर जाकर लखनऊ में रैली तक कर चुकी हैं। इटावा के एमपी अशोक दोहरे का आरोप है कि भारत बंद के बहाने दलितों पर झूठे मुकदमें दर्ज किए जा रहे हैं। यही वजह है कि पार्टी हाईकमान ने नए सिरे से सभी सरकार, संगठन और सहयोगियों के बीच तालमेल पर जोर देना चाहती है।
Updated on:
11 Apr 2018 12:07 pm
Published on:
11 Apr 2018 09:48 am
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