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मदरसे-संस्कृत विद्यालय बंद करेगी असम सरकार , कहा- धार्मिक शिक्षा देना हमारा काम नहीं

शिक्षिकों की नौकरी नहीं जाएगी घर बैठे रिटायरमेंट तक दिया जाएगा वेतन सामान्य स्कूलों में पढ़ाने का भी मौका

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राज्य में सरकार की ओर से चलाए जा रहे मदरसे और संस्कृत विद्यालयों के बारे में बड़ा फैसला लिया है। सरकार इन्हें बंद करेगी। इन धार्मिक स्कूलों को हाई स्कूल और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में बदलने की योजना है। सरकार ने एक महीने में इस काम को पूरा करने की बात कही है। इसके पीछे फंड ना देने का हवाला दिया गया है।

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सामान्य स्कूलों में बदले जाएंगे दोनों तरह के संस्थान

असम के शिक्षा मंत्री हेमंत विश्व शर्मा के अनुसार- हमने सभी मदरसों और संस्कृत विद्यालयों को हाई स्कूल और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में बदलने का फैसला किया है। उन्होंने कहा राज्य सरकार धार्मिक संस्थानों को फंड नहीं दे सकती है। हालांकि, गैर सरकारी संगठनों और सामाजिक संगठनों की ओर से चलाए जाने वाले मदरसे जारी रहेंगे। उन्होंने इनके लिए नए नियम बनाए जाने की बात कही है।

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धार्मिक शास्त्र पढ़ाना सरकार का काम नहीं

हेमंत विश्व शर्मा ने कहा कि- किसी भी मदरसों या संस्कृत स्कूलों में धार्मिक शास्त्र, अरबी या फिर कोई अन्य भाषा की पढ़ाई कराने का काम सरकार का नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा यह भी जोड़ा कि कोई गैर सरकारी संगठन या सामाजिक संगठन इन स्कूलों के लिए फंड की व्यवस्था करता है तो इस पर उन्हें कोई ऐतराज नहीं है।

सरकार नहीं देगी फंड

उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कुरान की पढ़ाई के लिए मदरसों राज्य सरकार की ओर से धन दिया जाता है तो हमें गीता, बाइबिल के लिए भी ऐसा करना होगा। ऐसे में धार्मिक उद्देश्य के लिए चलाए जाने वाले संस्थानों को सरकार फंड नहीं देगी। इन्हें बंद कर दिया जाएगा।

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नहीं जाएगी शिक्षिकों की नौकरी

हेमंत शर्मा ने स्पष्ट किया कि- मदरसों और संस्कृत स्कूलों में काम करने वाले शिक्षकों की नौकरी पर कोई खतरा नहीं। इन्हें घर बैठे सेवानिवृत्त होने तक वेतन दिया जाएगा। इन शिक्षकों को सामान्य स्कूलों में पढ़ाने का भी मौका दिया जा सकता है।