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बिहार: महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद, 50-50 फार्मूले पर सहमति के आसार कम

locationनई दिल्लीPublished: Oct 28, 2018 02:51:44 pm

Submitted by:

Dhirendra

कांग्रेस चाहती है कि भाजपा-जेडीयू की तरह सीटों के बंटवारे को लेकर बिहार में आरजेडी 50-50 फार्मूले को मान ले। लेकिन आरजेडी इस बात से सहमत नहीं है।

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बिहार: महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद, 50-50 फार्मूले पर सहमति के आसार कम

नई दिल्‍ली। एनडीए के घटक दलों के बीच बिहार में लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर मचे घमासान के बाद अब महागठबंधन में कांग्रेस और आरजेडी के मतभेद उभरकर सामने आए हैं। दोनों प्रमुख पर्टियां सीटों के बंटवारे को लेकर फार्मूला तय नहीं कर पा रही हैं। यहां तक कि दोनों तरफ से खुलकर बयान भी सामने आने लगे हैं। इससे महागठबंधन में शामिल पार्टियों के बीच एका को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
राहुल और तेजस्‍वी तय करेंगे फार्मूला
कांग्रेस और आरजेडी नेताओं के ये बयान एनडीए की ओर से आगामी लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला घोषित किए जाने के एक दिन बाद सामने आया है। बिहार प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा कि गठबंधन के लिए सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस और आरजेडी के शीर्ष नेता अंतिम फैसला लेंगे। उन्‍होंने कहा कि यह प्रक्रिया पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की हलचल पूरी तरह थमने के बाद ही पूरी होने की उम्मीद है। कादरी ने कहा कि लेकिन चुनाव समिति को अभी गठित किया जाना है। ऐसी किसी कवायद के मध्य दिसंबर से पहले होने की उम्मीद नहीं है क्योंकि समूची पार्टी मशीनरी मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे राज्यों में अहम विधानसभा चुनावों में व्यस्त है। कौकब ने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि जिस तरह से बिहार में भाजपा ने जेडीयू के लिए सीटें छोड़ी हैं उसी तरह जेडीयू को कांग्रेस को ज्‍यादा सीटें देनी चाहिए।
हम और वाम को साथ लेकर चलने की योजना
दूसरी तरफ राष्‍ट्रीय जनता दल के प्रवक्ता वीरेंद्र कुमार ने दावा किया कि गठबंधन में सीटों के बंटवारे का फॉर्मूला नवंबर के अंत या दिसंबर की शुरुआत तक तय हो जाएगा। इस गठबंधन में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (एचएएम) और वाम दल भी शामिल हो सकते हैं। इस पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कौकब कादरी ने बताया कि मुझे नहीं पता कि आरजेडी नेता किस आधार पर यह दावे कर रहे हैं। मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि कांग्रेस अलाकमान के जरिए ऐसा कोई भी फैसला प्रदेश इकाई की चुनाव समिति की अनुशंसा के आधार पर लिया जाएगा। स्वाभाविक रूप से आरजेडी के सर्वोच्च नेतृत्व को भी इस प्रक्रिया से अवगत रखा जाएगा। आपको बता दें कि 2009 के लोकसभा चुनावों और उसके एक साल बाद प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों में दोनों दलों ने सीटों के बंटवारे पर सहमति न बनने के बाद अलग-अलग चुनाव लड़ा था। इसके चलते दोनों दलों को नुकसान उठाना पड़ा और एनडीए को शानदार जीत मिली।
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