
Chirag Paswan ने जेडीयू के खिलाफ 131 सीटों पर उतारे अपने उम्मीदवार।
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव ( Bihar assembly Election ) में सियासी घमासान अब चरम पर पहुंच गया है। आज पीएम मोदी ( PM Modi ) और राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) की चुनावी रैली के बाद इस बात की संभावना ज्यादा है कि बिहार का चुनाव एनडीए बनाम महागठबंधन में 2015 की तरह तब्दील हो जाएगा। थर्ड फ्रंट लगभग फाइट से पूरी तरह बाहर हो गया है। लेकिन बिहार चुनाव में इस बार खास बात यह है कि एनडीए ( NDA ) में शामिल पार्टियां ही एक-दूसरे को हराने में जुटी हैं। इसका सीधा लाभ महागठबंधन ( Mahagathbandhan ) को मिलता दिख रहा है।
फिलहाल नीतीश के सामने बड़ी चुनौती यह है कि वो अपनों से कैसे निपटें। खासतौर से लंबे अरसे से सियासी मुद्दों पर मतभेद की वजह से नाराज चल रहे चिराग पासवान ( Chirag Paswan ) फैक्टर से खुद को और जेडीयू के प्रत्याशियों को कैसे बचाएंं। नीतीश अभी तक चिराग संकट की काट नहीं निकाल पाए हैं। चिराग ने न केवल एलजेपी के नेताओं को जेडीयू के खिलाफ मैदान में उतारा है, बल्कि बीजेपी के बागी 21 कद्दावर नेताओं को भी जेडीयू के खिलाफ टिकट देकर जेडीयू की मुसीबत बढ़ा दी है।
नीतीश का सबसे बड़ा सियासी संकट
सीएम नीतीश कुमार ( Nitish Kumar )के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसा इसलिए कि चिराग पासवान नीतीश कुमार को पसंद नहीं हैं। इस बात का चिराग पासवान कई बार खुद ऐलान कर चुके हैं। उन्होंने साफ शब्दों में कह दिया है कि वो नीतीश कुमार को चौथी बार सीएम नहीं बनने देंगे। इस बात को साबित करने के लिए उन्होंने बिहार में 136 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। जेडीयू प्रत्याशियों को हराने का तो उन्होंने कसम तक खा ली है। नीतीश कुमार के लिए यही इस बार सबसे बड़ा सियासी संकट भी है।
बीजेपी के बागी भी नीतीश के खिलाफ
एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान ने सबसे अधिक 22 टिकट बीजेपी ( BJP ) के बागियों को दिया है। इतनी अधिक सीटें किसी और दल के बागियों को किसी पार्टी ने नहीं दिया है। इन 22 में से 21 उम्मीदवार जेडीयू के खिलाफ मैदान में उतरे हैं। एक उम्मीदवार बनियापुर से वीआईपी के खिलाफ है। चिराग ने हर चरण में बीजेपी से आए नेताओं को जेडीयू के खिलाफ मैदान में उतारा है।
बीेजेपी के ये नेता जेडीयू के खिलाफ
बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में दिनारा से राजेंद्र सिंह, सासाराम से रामेश्वर चौरसिया, संदेश से श्वेता सिंह, अमरपुर से मृणाल शेखर, पालीगंज से उषा विद्यार्थी, झाझा से डॉ रवींद्र यादव, जहानाबाद से इंदु कश्यप, घोषी से राकेश कुमार सिंह शामिल हैं। दूसरे चरण में रघुनाथपुर से मनोज कुमार सिंह, जीरादेई से विनोद तिवारी, बनियापुर से तारकेश्वर सिंह, एकमा से कामेश्वर सिंह मुन्ना, गौड़ाबौराम से राजीव कुमार ठाकुर, दरभंगा ग्रामीण से प्रदीप कुमार ठाकुर और महाराजगंज से कुमार देव रंजन सिंह शामिल हैं ।
इसी तरह तीसरे चरण में सुगौली से विजय प्रसाद गुप्ता, रानीगंज से परमानंद ऋषिदेव, अररिया से चंद्रशेखर सिंह बबन, कदवा से चंद्रभूषण ठाकुर, लोकहा से प्रमोद कुमार प्रियदर्शी, मधेपुरा से साकार सुरेश यादव और बरारी से विभाषचंद्र चौधरी शामिल हैं।
जेडीयू की रणनीति
बिहार चुनाव में अपनों परेशान जेडीयू के प्रमुख नीतीश कुमार ने पार्टी को हार से बचाने के लिए नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके तहत उन्होंनें पीएम मोदी की हर रैली का आयोजन वहां कराया है जहां पर जेडीयू के प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। नीतीश के दबाव पर ही बीजेपी के बड़े नेता यह बयान दे रहे हैं कि चुनाव के बाद नीतीश कुमार ही एनडीए की ओर से सीएम होंगे। तीसरी बात ये है कि नीतीश ने अपने समर्थकों से कह दिया है कि वो बीजेपी प्रत्याशी को हराने का काम करेंगे। ये बात अलग है कि ये काम जेडीयू के नेता बैकडोर से कर रहे हैं।
Updated on:
23 Oct 2020 09:44 am
Published on:
23 Oct 2020 09:38 am
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