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नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि उपराज्यपाल मंत्री परिषद द्वारा सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं। वहीं, भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कड़ी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है। भाजपा ने कहा कि उनके लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं, बल्कि संविधान सर्वोपरी है। दिल्ली में भाजपा नेता विजय गोयल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जो चाहे निर्णय दे, लेकिन होगा वही जो संविधान में निहित होगा। संविधान की जीत और अराजकता की हार हुई।
दरअसल, दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच काफी समय से चल रहे गतिरोध के बीच बुधवार को सर्वोच्च अदालत ने आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि उपराज्यपाल मंत्रीपरिषद की सहायता और सलाह पर कार्य करने के लिए बाध्य हैं। अदालत ने कहा कि उपराज्यपाल किसी खास मामले में विचार के मतभेदों की स्थिति में राष्ट्रपति को फाइल भेजने के लिए भी बाध्य हैं। इसके अलावा उपराज्यपाल एक 'अवरोधक' के रूप में कार्य नहीं कर सकते हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार को सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करना होगा। उपराज्यपाल को यह महसूस करना चाहिए कि मंत्रिपरिषद लोगों के प्रति जवाबदेह हैं और वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी) की सरकार के हर निर्णय को रोक नहीं सकते हैं।
वहीं, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता शीला दीक्षित ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बिल्कुल स्पष्ट बताया है। पूर्व सीएम का कहना है कि संविधान के आर्टिकल 239 (एए) के अंतर्गत दिल्ली एक राज्य नहीं, बल्कि केंद्रीय शासित प्रदेश है। यहां अगर दिल्ली सरकार और एलजी मिलकर काम नहीं करते तो दिल्लीवासियों के सामने परेशानी खड़ी हो सकती है। शीला दीक्षित ने कहा कि कांग्रेस ने दिल्ली में कांग्रेस की 15 सालों तक सरकार रही है, लेकिन इस तरह का टकराव कभी नहीं हुआ।
Updated on:
04 Jul 2018 02:15 pm
Published on:
04 Jul 2018 01:29 pm
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