
तो चंद्रशेखर राव ने कर दिया तेलंगाना को 'कांग्रेस मुक्त'!
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेसमुक्त भारत का नारा लोकसभा चुनाव 2014 में दिया था। अभी तक पीएम इस बात को हकीकत में तब्दील नहीं कर पाए। लेकिन तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (KCR) ने कांग्रेस को विकट स्थिति में ला खड़ा किया है। केसीआर ने प्रदेश कांग्रेस के 18 में से 12 विधायकों को टीआरएस में शामिल कर न केवल कांग्रेस के अंदर भूचाल ला दिया है बल्कि तेलंगाना को लगभग कांग्रेसमुक्त बना दिया है।
छिन गया विपक्षी होने का दर्जा
दरअसल, तेलंगाना कांग्रेस के 12 विधायकों के टीआरएस में शामिल हो जाने से 119 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस के पास सिर्फ 6 विधायक बचे हैं। अब तेलंगाना विधानसभा में कांग्रेस से मुख्य विपक्षी पार्टी होने का दर्जा भी छिन गया है।
ऐसा इसलिए कि शेष बचे 6 विधायक भी नियमों के मुताबिक अब कांग्रेसी नहीं रहे। दल-बदल कानून के अनुसार 12 विधायकों के टीआरएस में शामिल होने के साथ ही कांग्रेस विधायक दल का विलय भी स्वत: केसीआर की पार्टी में हो गया है।
तेलंगाना विधानसभा कांग्रेसमुक्त
कांग्रेस के दो तिहाई विधायक टीआरएस में शामिल होने की लिखित में सूचना विधानसभा अध्यक्ष को चिट्ठी के जरिए दे चुके हैं। इसलिए कांग्रेस को तेलंगाना में अपना अस्तित्व साबित करने के लिए 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव तक का इंतजार करना पड़ेगा।
केसीआर ने तेलंगाना विधानसभा को न सिर्फ कांग्रेसमुक्त कर दिया बल्कि विपक्ष को नाममात्र के बराबर कर दिया है। कांग्रेस पार्टी के टीआरएस में विलय से तेलंगाना में अब असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम तेलंगाना में मुख्य विपक्षी हो गई है। ऐसा इसलिए कि सत्ताधारी पार्टी के बाद उसी के पास सबसे ज्यादा 7 विधायक हैं।
12 विधायकों का फैसला ही मान्य होगा
तेलंगाना कांग्रेस के 18 में से 12 विधायक एक हो गए हैं। इस वजह से ये विधायक कुल संख्या में दो-तिहाई हो गए। यानी इन 12 विधायकों के पार्टी छोड़कर टीआरएस में आ जाने की वजह से इन पर दल-बदल कानून लागू नहीं होगा। बल्कि इन्हीं 12 विधायकों का फैसला मान्य हो गया है। यह घटना कांग्रेस के लिए बहुत बड़ा नुकसान मानी जा रही है।
लोकसभा चुनाव में टीआरएस को हुआ था भारी नुकसान
आपको बता दें कि टीआरएस को लोकसभा चुनाव 2019 में सियासी तौर पर भारी नुकसान हुआ था। राज्य की 17 लोकसभा सीटों में से टीआरएस के सिर्फ 9 प्रत्याशी ही जीत पाए थे। मुख्यमंत्री केसीआर की बेटी कविता भी चुनाव हार गई थीं। तेलंगाना से टीआरएस के 9, भाजपा के 4, कांग्रेस के 3 और एआईएमआईएम के एक प्रत्याशी ने जीत हासिल की। जबकि टीआरएस 16 सीटों पर जीत की उम्मीद लगाए बैठी थी।
इससे पहले तेलंगाना में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 119 में से केवल 19 सीटें ही मिली थी। टीआरएस ने 88 सीटें जीतकर शानदार जीत दर्ज की थी और केसीआर दोबारा मुख्यमंत्री बने थे।
इस अभियान पर पहले से काम कर रहे थे केसीआर
2018 विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से वापसी के बाद से ही तेलंगाना के सीएम केसीआर प्रदेश को कांग्रेसमुक्त करने के अभियान में जुटे थे। कांग्रेस के कई विधायक नियमित रूप से उनके संपर्क में थे। कुछ कांग्रेसी विधायकों ने खुलकर कह दिया था कि वे टीआरएस में शामिल होंगे, लेकिन दल-बदल कानून के डर से वे ऐसा नहीं कर पाए थे।
हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी विधायक उत्तम कुमार रेड्डी नलगोंडा से जीतकर लोकसभा सदस्य बन गए। उन्हें विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसी के चलते कांग्रेसी विधायकों की संख्या 19 से कम होकर 18 हो गई। और अब इन 18 में से 12 विधायक टीआरएस में शामिल हो गए हैं।
Updated on:
07 Jun 2019 04:25 pm
Published on:
07 Jun 2019 03:16 pm
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