
कांग्रेस पार्टी की वर्तमान स्थिति के लिए पुराने और नए नेताओं के बीच वैचारिक संघर्ष एक बार फिर चरम पर है।
नई दिल्ली। वैसे तो कांग्रेस ( Congress ) में पुराने और युवा नेताओं के बीच वैचारिक तकरार नई बात नहीं है, लेकिन भारती और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर करीब तीन महीनों से जारी तनाव के बीच मतभेद की यह खाई और गहरी होती जा रही है। जहां युवा नेता पार्टी ( Young Leaders ) की दुर्गति के लिए पुराने नेताओं पर सवाल उठा रहे हैं तो आहत पुराने नेता ( Old Leaders ) युवा नेताओं को नसीहत देने लगे हैं।
इस बीच अहम सवाल यह है कि आखिर कांग्रेस में ये हालात क्यों पैदा हुए, क्या युवा नेताओं को पार्टी से मोहभंग होने लगा है या पुराने नेताओं की पार्टी पर पकड़ न छोड़ने की एकाधिकारवादी सोच से, यह एक विचारणीय प्रश्न है। इस सवाल का जवाब कांग्रेस को आज न सही, कल तो देना ही होगा।
सच क्या है?
दरअसल, हाल ही में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ( Sonia Gandhi ) ने पार्टी के राज्यसभा सांसदों की बैठक बुलाई थी। बैठक में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ( Former Pm Manmohan Singh ) , पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, गुलाम नबी आजाद, एके एंटनी, कपिल सिब्बल जैसे पार्टी के तमाम दिग्गज मौजूद थे। इस दौरान पार्टी के लगातार कमजोर होने को लेकर जब एक वरिष्ठ नेता ने 'नीचे से ऊपर तक' आत्ममंथन की जरूरत की बात कही तो राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) के करीबी माने जाने वाले युवा नेता राजीव सातव ( Rajiv Satav ) ने इसका जोरदार तरीके से विरोध किया।
राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की हुई मांग
युवा नेता राजीव सातव ने कांग्रेस की दुर्गति के लिए यूपीए-2 सरकार ( UPA-2 Government ) की नाकामियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि अगर समीक्षा होनी ही है तो 2009 के बाद से अब तक की स्थिति की समीक्षा हो। इस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे। उनके लिए यह सब असहज करने वाला था। मामला तो तब तूल पकड़ने लगा जब मीटिंग में पीएल पुनिया ( PL Punia ) , छाया वर्मा और रिपुन बोरा जैसे नेताओं ने राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनाने की मांग की।
क्या कहते हैं पुराने नेता
ओल्ड बनाम यंग विवाद के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ( Manish Tiwari ) के बाद आनंद शर्मा, मिलिंद देवरा से लेकर शशि थरूर तक यूपीए-2 की मनमोहन सरकार के बचाव में कूद पड़े।
इन नेताओं का कहना है कि कोई भी कदम उठाने से पहले यह समझना जरूरी है कि आखिर कांग्रेस के भीतर 'पार्टी की दुर्गति के लिए कौन जिम्मेदार है? आखिर कौन है जो पार्टी में मतभेद की बातें खुलकर सार्वजनिक कर रहा है।
बुजुर्ग नेताओं ने दी नसीहत
कांग्रेस के पुराने नेताओं ने युवा नेताओं से अपनी ही विरासत को 'अपमानित' नहीं करने की नसीहत दी है। कई पूर्व केंद्रीय मंत्रियों ने पार्टी नेताओं को अपनी शिकायतों को सार्वजनिक करने को लेकर चेताते हुए कह रहे हैं कि ऐसा करने से बीजेपी को फायदा होगा।
यूपीए-2 पर गर्व करें
पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में कांग्रेस के डेप्युटी लीडर आनंद शर्मा ( Anand Sharma ) ने शनिवार को कहा कि किसी को भी अपनी ही विरासत को नीचा नहीं दिखाना चाहिए। 'कांग्रेस को यूपीए की विरासत पर गर्व होना चाहिए। कोई भी पार्टी अपनी विरासत को छोड़ती या अपमान नहीं करती है। नए नेता ये सोचने की भूल न करें कि बीजेपी उदार होगी और हमें पुराने कामों का क्रेडिट देगी। हमारे अपनों को तो विरासत का सम्मान करना चाहिए और भूलना नहीं चाहिए।
वैचारिक दुश्मनों का खिलौना न बनें
वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ( Shashi Tharoor ) ने भी यूपीए सरकार के 10 साल के कार्यकाल का बचाव करते हुए पार्टी के नेताओं को 'वैचारिक दुश्मनों' के हाथ न खेलने की नसीहत दी। थरूर ने ट्वीट किया, 'मैं मनीष तिवारी और मिलिंद देवरा से सहमत हूं।
हमें अपनी हार से सीखने के लिए बहुत कुछ है और कांग्रेस को पुनर्जीवित करने के लिए बहुत कुछ किया जाना है। लेकिन वैचारिक दुश्मनों के हाथों में खेलकर यह नहीं किया जा सकता।'
मीटिंग में मनीष और देवड़ा ने क्या कह दिया
दो दिन पहले पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कांग्रेस की अगुआई वाली पूर्ववर्ती यूपीए-2 सरकार का खुलकर बचाव करते हुए अपने ट्विट में लिखा कि बीजेपी 2004 से 2014 तक सत्ता से बाहर रही थी। उनमें से किसी ने भी एक बार भी कभी वाजपेयी या उनकी सरकार को अपनी दुर्दशा के लिए दोष नहीं दिया। लेकिन यह हमारा दुर्भाग्य है कि कांग्रेस में कुछ कम जानकारी वाले लोग BJP से लड़ने के बजाय डॉक्टर मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार पर हमला कर रहे हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवरा ( Milind Deora ) ने भी मनमोहन सिंह सरकार पर सवाल उठाने की आलोचना की। देवरा ने लिखा - बहुत खूब कहा है मनीष ने। 2014 में सत्ता से बाहर होने पर डॉक्टर मनमोहन सिंह ने कहा था- इतिहास मुझ पर दयालु होगा। क्या उन्होंने कभी कल्पना भी की होगी कि उनकी ही पार्टी के कुछ लोग उनकी देश सेवा को खारिज करेंगे और उनकी विरासत को नष्ट करना चाहेंगे, वह भी उनकी ही मौजूदगी में?
Updated on:
02 Aug 2020 04:33 pm
Published on:
02 Aug 2020 04:17 pm
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