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लोकसभा चुनाव भी लड़ेंगी कांग्रेस की नई महासचिव प्रियंका गांधी?

locationनई दिल्लीPublished: Jan 23, 2019 07:44:05 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

प्रियंका गांधी अब कांग्रेस महासचिव के रुप में सक्रिय राजनीति में उतर चुकी हैं लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या वे लोकसभा चुनाव में दांव ठोकेंगी?

Priyanka Gandhi

लोकसभा चुनाव भी लड़ेंगी कांग्रेस की नई महासचिव प्रियंका गांधी?

नई दिल्ली। 1984 लोकसभा चुनावों के बाद से कांग्रेस का ग्राफ पूर्वी उत्तर प्रदेश में लगातार नीचे गिरता रहा है। इसी क्रम को तोड़ने की नियत से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2019 से पहले बड़ा दांव खेल दिया। उन्होंने अपनी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी का महासचिव नियुक्त किया। इसके बाद तो कार्यकर्ताओं में जबरदस्त जोश देखने को मिला है। ये बिल्कुल वैसा ही है, जैसा राहुल गांधी के अध्यक्ष बनाए जाने पर देखने को मिला था। इसी का नतीजा है कि अब प्रियंका गांधी को नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाल लड़ाने की मांग उठने लगी है। हालांकि ये कयास पहले से लगाए जाते रहे हैं कि प्रियंका गांधी अपनी मां सोनिया गांधी की लोकसभा सीट रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं।

मोदी के खिलाफ प्रियंका लड़ेंगी चुनाव?

2014 लोकसभा चुनाव में वाराणसी लोकसभा सीट से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ चुके कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय राय ने प्रियंका को चुनाव लड़ने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं की वर्षों पुरानी मांग आज पूरी हो गई है। अब हम चाहते हैं कि प्रियंका को वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ना चाहिए।

प्रियंका ही करेंगी चुनाव लड़ने पर फैसला: राहुल
राहुल गांधी के अमेठी में पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि प्रियंका और ज्योतिरादित्य का योगदान निसंदेह अहम होगा। इन दोनों युवा नेताओं पर उत्तर प्रदेश की राजनीति को बदलने की जिम्मेदारी है। प्रियंका के चुनाव लड़ने के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि चुनाव लड़ने या ना लड़ने का फैसला प्रियंका के ऊपर है।

प्रियंका के आगे मोदी और योगी सबसे बड़ी चुनौती

दरअसल पूर्वी यूपी में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा है। इसी का नतीजा है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रियंका की राजनीति में एंट्री कांग्रेस को इस इलाके में नया जीवन मिल सकता है। इसके साथ ही ये पीएम नरेंद्र मोदी औस सीएम योगी आदित्यनाथ का चुनाव क्षेत्र इसी हिस्से में हैं। इस तरह प्रियंका गांधी को उन दोनों की चुनौतियों के साथ साथ सपा बसपा का सामना भी करना होगा। कांग्रेस ने राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़ा था लेकिन इस गठबंधन को भारी पराजय का सामना करना पड़ा था।

पूर्वी यूपी कांग्रेस की सबसे कमजोर कड़ी

लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन की बात की जाए तो इस क्षेत्र में 1984 के बाद से उसका ग्राफ लगातार नीचे गिरता रहा है। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस ने राज्य की 85 में से 83 सीटें जीती थीं। उसे 51 प्रतिशत से अधिक मत मिले थे। उसके बाद से उसकी स्थिति लगातार खराब होती रही है। न केवल उसकी सीटें घटती गई बल्कि उसे मिलने वाले मतों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई। पांच चुनावों में तो उसकी सीटों की संख्या दो अंकों तक में नहीं पहुंच सकी। पार्टी 1998 के आम चुनाव में राज्य में एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। पिछले लोकसभा चुनाव में सोनिया गांधी और राहुल गांधी अपनी सीटें बचा पाने में सफल हुये थे। पिछले तीन दशक में पार्टी को सबसे अधिक 21 सीटें 2009 के लोकसभा चुनाव में मिली थीं जब कांग्रेस केंद्र में लगातार दूसरी बार गठबंधन सरकार बनाने में सफल रही।

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