दिल्ली की सातों सीट पर भाजपा का कब्जा
2019 लोकसभा चुनाव परिणाम में बीजेपी ने दिल्ली की सातों सीट पर जीत दर्ज की है। 2014 लोकसभा चुनाव में भी दिल्ली में बीजेपी को सातों सीटें मिली थी। वहीं, 2009 में कांग्रेस ने दिल्ली की सातों सीटों पर जीत दर्ज की थी। भाजपा ने 2019 में पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले और बेहतरीन प्रदर्शन किया है। पूर्वी दिल्ली और उत्तर पूर्वी दिल्ली की दो सीटों पर बीजेपी ने 3 लाख से अधिक वोटों के मार्जिन से जीत दर्ज की है। वहीं, उत्तर-पश्चिमी सीट पर भाजपा उम्मीदवार की बढ़ साढ़ पांच लाख वोटों से अधिक रहा। इसके अलावा अन्य बचे हुए सीट पर भी BJP के जीत का अंतर दो लाख से अधिक है। वहीं, 2014 में भी पार्टी को सातों सीटों पर अच्छे अंतर से जीत मिली थी।
इस बार कुछ ऐसे रहे सातों सीट के नतीजें-
क्रमांक | साढ़े तीन लाख | जीते हुए प्रत्याशी | जीत का अंतर |
1. | चांदनी चौक | डॉ. हर्ष वर्धन | 2 लाख से अधिक |
2. | पूर्वी दिल्ली | गौतम गंभीर | करीब 4 लाख |
3. | नई दिल्ली | मीनाक्षी लेखी | ढाई लाख |
4. | उत्तर पूर्वी दिल्ली | मनोज तिवारी | साढ़े तीन लाख |
5. | उत्तर पश्चिमी दिल्ली | हंसराज हंस | साढ़े पांच लाख |
6. | दक्षिणी दिल्ली | रमेश बिधुड़ी | साढ़े तीन लाख |
7. | पश्चिमी दिल्ली | परवेश साहिब सिंह वर्मा | करीब छह लाख |
2009 से शुरू हुआ था यह ट्रेंड
इस नायाब ट्रेंड का सिलसिला शुरू हुआ वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव से। उस साल कांग्रेस ने न सिर्फ केंद्र की कमान अपने नाम की थी, बल्कि राजधानी में भी भाजपा को क्लीन स्वीप दिया था। दिल्ली की जनता ने उस साल कांग्रेस को सातों सीटों पर चुना था। हालांकि, इसके बाद आम आदमी पार्टी के राजनीति में आने और मोदी लहर के प्रभाव से कांग्रेस की पकड़ लगातार दिल्ली से छुटती चली गई। अब आलम यह है कि न को विधानसभा और न लोकसभा में ही कांग्रेस अपना सिक्का जमा पाई है।
AAP-कांग्रेस के गठबंधन से बदल सकता था समीकरण
लोकसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही काफी लंबे समय तक इस बात की अटकलें लगाई गईं। हालांकि, आखिरकार दोनों दल किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए और अलग-अलग ही चुनाव लड़ने का फैसला किया। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर AAP और कांग्रेस के बीच गठबंधन होता तो, BJP के लिए इस तरह क्लीन स्वीप करने में मुश्किल होती।