
पश्चिम बंगाल: भाजपा अध्यक्ष दिलिप घोष बोले, सरकार बनीं तो ममता के राज में भी लाएंगे 'एनआरसी'
नई दिल्ली। असम ने एनआरसी को लागू कर देश में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। लेकिन सोमवार को फाइनल ड्राफ्ट जारी होती ही विपक्षी दलों ने इस बात को लेकर शोर मचाना शुरू कर दिया। इस पर सबसे तीखी प्रतिक्रिया पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दी। लेकिन अब उनका अपना राज ही एनआरसी के धेरे में आ गया है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने साफ कर दिया है कि हमारी सरकार बनी तो पश्चिम बंगाल में भी एनआरसी लागू होगा। उनके बयान से ममता के सामने वोट बैंक को बचाने की चुनौती उठ खड़ी हुई है।
घडि़याली आंसू न बहाएं मतता
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का दूसरा और अंतिम ड्राफ्ट आने पर सियासत थमने के बदले और तेज हो गया है। अब भाजपा ने पश्चिम बंगाल में भी इसी तर्ज नागरिकों की पहचान कराने की बात कही है। बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि अगर उनकी पार्टी की सरकार आती है असम की तरह ही बंगाल में भी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कुछ नेता एनआरसी को लेकर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं क्योंकि उन्हें अपनी वोट बैंक की राजनीति के खत्म होने का अंदेशा है। उन्होंने कहा कि इस बात की चिंता अब सबसे ज्यादा ममता बनर्जी को है। ऐसा इसलिए कि वो मुस्लिमपरस्त राजनीति करती हैं और प्रदेश में सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने में लगी है। उनके राज में हिंदुओं को डराने का किया जाता है।
विरोध करने वालों को दिखाएंगे बाहर का रास्ता
दिलीप घोष ने कहा है कि हमलोग अवैध नागरिकों को बांग्लादेश वापस भेजेंगे। हमलोग किसी अवैध प्रवासी को पश्चिम बंगाल में नहीं बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने यहां तक कह दिया कि जो लोग अवैध प्रवासियों का समर्थन करते हैं उन्हें भी देश से निकाल बाहर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एनआरसी का आइडिया कांग्रेस की है। अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ही इसका विरोध कर रहे हैं। ऐसा कर वो पार्टी की कब्र खोदने में लगे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा देश की सुरक्षा एवं अखंडता से कोई समझौता नहीं करेगी। भाजपा नेता दिलीप घोष के इस बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। अगर राज्य में सत्ता परिवर्तन होने की स्थिति में ऐसा कुछ होता है तो सियासत और भी गरमा कर सकती है।
सरकार का दखल नहीं
सोमवार को फाइनल ड्राफ्ट आते ही एक सुर में जिस तरह से कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों ने इसका विरोध किया उसको देखते हुए लोकसभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इस मामले में सरकार का कोई दखल नहीं है और सब कुछ सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हो रहा है। असम में जो लिस्ट आई है वह अंतिम नहीं है और सभी को 28 अगस्त के बाद अपनी बात कहने का मौका मिलेगा और उसके बाद अंतिम ड्राफ्ट जारी होगा।
40 लाख अवैध नागरिक
आपको बता दें कि असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम मसौदा सोमवार को जारी कर दिया गया। ऐसा करने वाला असम देश का पहला राज्य बन गया है। एनआरसी में असम के 3.29 करोड़ आवेदकों में से 2.89 करोड़ लोगों के नाम हैं। 40 लाख लोगों को अवैध करार दिया गया है। अब वो भारतीय नागरिक नहीं रहे।
Published on:
31 Jul 2018 08:11 am
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