scriptकांग्रेस में कलह: पशोपेश में हाईकमान, भाजपा से लड़े या अपने नेताओं के झगड़े निपटाएं | discord in congress rahul gandhi and sonia gandhi worried about it | Patrika News

कांग्रेस में कलह: पशोपेश में हाईकमान, भाजपा से लड़े या अपने नेताओं के झगड़े निपटाएं

Published: Jun 28, 2021 01:14:34 pm

Submitted by:

Ashutosh Pathak

चुनावी राज्य पंजाब और उत्तराखंड के अलावा महाराष्ट्र तथा झारखंड में भी अब विरोध के सुर तेज हो रहे है, जबकि पार्टी इन दोनों राज्यों में गठबंधन सरकार का हिस्सा है। यही नहीं, केरल में भी हालात बुरे होते दिख रहे हैं और दिलचस्प यह है कि कुछ नेता तो यहां आलाकमान से ही खुश नहीं है, जबकि राहुल गांधी इस राज्य में वायनाड सीट से सांसद है।
 

rahul_and_sonia.jpg
नई दिल्ली।

कांग्रेस में नेताओं के बीच आपसी कलह का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है। एक के बाद दूसरे और फिर तीसरे राज्य में पार्टी नेताओं के बीच मतभेद-मनभेद की खबरें लगातार सामने आ रही हैं, जो आलाकमान के लिए मुसीबत का सबब बन गई है। खासकर, चुनावी राज्य पंजाब और उत्तराखंड के अलावा महाराष्ट्र तथा झारखंड में भी अब विरोध के सुर तेज हो रहे है, जबकि पार्टी इन दोनों राज्यों में गठबंधन सरकार का हिस्सा है। यही नहीं, केरल में भी हालात बुरे होते दिख रहे हैं और दिलचस्प यह है कि कुछ नेता तो यहां आलाकमान से ही खुश नहीं है, जबकि राहुल गांधी इस राज्य में वायनाड सीट से सांसद है।
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच घमासान चल रहा है। पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तकरार जारी है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव के बीच मतभेद बना हुआ है। महाराष्ट्र में राज्य के पार्टी प्रमुख भाई जगताप के खिलाफ विधायक जीशान सिद्दीकी ने मोर्चा खोला हुआ है। वहीं, केरल में पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी और वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नीथला समेत कई वरिष्ठ नेता आलाकमान से नाराज हैं। इसके अलावा यहां एर्नाकुलम से कांग्रेस सांसद हिबी एडेन खुद राहुल गांधी से नाराज हैं।
यह भी पढ़ें
-

क्या है कैप्टन और सिद्धू के बीच मनमुटाव की वजहें, जिसे दूर करने में गांधी परिवार की रणनीति भी नहीं आ रही काम

राजस्थान: बगावती सुर की धुन फिर होने लगी तेज
राज्य में विधानसभा चुनाव करीब ढाई साल बाद होने हैं। लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस की मुसीबत विपक्ष से ज्यादा उसके अपने ही नेता बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तनातनी बढ़ती ही जा रही है। सचिन पायलट ने अब से करीब एक साल पहले यानी पिछले साल जुलाई में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ खुलेआम बगावत कर दी थी और यह अब तक जारी है। काफी जद्दोजहद और हाईकमान के हस्तक्षेप के बाद उस समय दोनों गुट में सुलह हो गई थी, मगर कहा जा रहा है कि जिन शर्तों पर सुलह हुई, वह अब तक पूरी नहीं हुई है और हाईकमान को यह याद दिलाने के लिए ही एक बार फिर बगावती सुर तेज होने लगे हैं। हालांकि, इस बार सचिन पायलट कम और उनके करीबी कुछ नेता सामने आकर विरोध का झंडा बुलंद किए हुए हैं। अशोक गहलोत गुट से भी कई लोग सामने आकर सीधा जवाब दे रहे हैं, जिससे कलह स्पष्ट दिखाई दे रही है।
पंजाब: कोई पीछे हटने को तैयार नहीं, कैसे सुलझे विवाद
कांग्रेस के लिए पंजाब इस समय मुसीबत का सबब बना हुआ है। यहां पार्टी में अंदरूनी कलह थमने का नाम नहीं ले रही। एक मुद्दा खत्म होता है, तो दूसरा शुरू। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रहे आपसी मनमुटाव को खत्म करने के लिए मल्लिकार्जुन खडग़े और हरीश रावत की जोड़ी भी काम नहीं आई। खुद प्रियंका गांधी आगे आईं, मगर बात अब तक बनती नहीं दिख रही। सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी नाराज नेताओं से बात कर चुके हैं, मगर सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए। यहां अभी तक सभी रणनीतियां फेल साबित हुई हैं। दिलचस्प यह है कि दोनों ही नेता चाहे वह अमरिंदर सिंह हों या नवजोत सिंह सिद्धू, कोई भी पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रहा। ऐसा में यह देखना होगा कि कांग्रेस आलाकमान इस पूरे मुद्दे को कैसे और कब तक काबू में कर पाता है, क्योंकि जल्द ही राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और यह विवाद पार्टी पर भारी पड़ सकता है।
महाराष्ट्र: पार्टी प्रमुख के खिलाफ मैदान में उतरा युवा विधायक
राज्य में कांग्रेस प्रमुख भाई जगताप के खिलाफ खुद पार्टी के युवा विधायक जीशान सिद्दीकी ने मोर्चा खोला हुआ है। हालांकि, जीशान इसे पार्टी का अंदरूनी मामला बताते हैं, मगर उन्होंने भाई जगताप की शिकायत कांगे्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से कर दी है। जगताप ने अपने शिकायती पत्र में कहा है कि उन्हें सार्वजनिक मंचों से मेरे खिलाफ बयान नहीं देने चाहिए। दरअसल, जीशान की जगताप से नाराजगी की दो वजहें बताई जा रही हैं। पहली, मुंबई कांग्रेस की तरफ से जनता को टूल किट बांटने का एक कार्यक्रम पिछले दिनों आयोजित किया गया था, मगर इस कार्यक्रम में जीशान को आमंत्रित नहीं किया गया। बस जीशान इसी बात से नाराज है। उन्होंने इस बात का जिक्र आलाकमान को लिखे अपने पत्र में भी किया है। इसके अलावा नाराजगी की दूसरी वजह यह है कि जीशान को लग रहा है पार्टी ऐसे लोगों को आगे बढ़ा रही है, जो उनके खिलाफ काम कर रहे हैं। वैसे, जगताप इन सभी आरोपों से इनकार करते हुए अपनी सफाई में कहते हैं कि ऐसा कुछ नहीं है। जीशान केवल 27 साल का है और मैंने पार्टी को 40 साल दिए हैं। मैंने जीशान को कभी भी जमीनी स्तर पर काम करते नहीं देखा है।
यह भी पढ़ें
-

भाजपा के आरोप पर कांग्रेस बोली- सोनिया गांधी वैक्सीन ले चुकी हैं, राहुल गांधी भी जल्द लगवाएंगे

केरल: पुराने नेताओं का दुख, अनदेखी क्यों की जा रही उनकी
उत्तर और पश्चिम भारत से होते हुए कांग्रेस में गुटबाजी का दौर अब दक्षिण के राज्यों में भी मुखर हो गया है। केरल में पार्टी अलग-अलग तरीके से विवादों का सामना कर रही हैं। यहां पार्टी के एक गुट का मानना है कि उन्हें धीरे-धीरे साइडलाइन किया जा रहा है। आलाकमान उन्हें नजरअंदाज कर रहा है और नए चेहरों को पार्टी में जगह दी जा रही है। इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे ए. रामचंद्रन, रमेश चेन्नीथला और खुद पूर्व मुख्यमंत्री ओमान चांडी भी शिकार हुए हैं। इसके अलावा, एर्नाकुलम के युवा सांसद हिबी एडेन भी राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं। उन्हें पिछले महीने मई में अपने फेसबुक पेज पर लिखा था हमें अभी भी लगातार सोते रहने वाले हाईकमान की जरूरत क्यों हैं? वहीं, कोट्टायम के जोसेफ वाजखान भी आलाकमान के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं।
झारखंड: गठबंधन सरकार में कोई पूछ नहीं, नहीं सुधरे तो नुकसान होगा
यहां भी कांग्रेस में अनबन शुरू हुई तो थम नहीं रही। झारखंड सरकार से नाराज चल रहे कांग्रेस के चार विधायक इस बारे में दिल्ली में हाईकमान से मिल भी चुके हैं, मगर उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला। पार्टी के चार विधायक इरफान अंसारी, उमाशंकर अकेला, राजेश कच्छप और ममता देवी राज्य सरकार के कुछ फैसलों से नाराज चल रहे हैं। कई बार राज्य इकाई को अपनी शिकायत दी, लेकिन आरोप है कि गुटबाजी के चलते कुछ नहीं होता। ऐसे में अब आलाकमान से सीधे बात करने का फैसला किया, मगर स्पष्ट जवाब वहां भी नहीं मिला, तो बगावत के सुर बुलंद होने लगे हैं। इन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि हमारी मांगों को तरजीह नहीं मिली तो पार्टी को नुकसान होगा।
यह भी पढ़ें
-

कैप्टन की दो टूक- सिद्धू को न तो उप मुख्यमंत्री बना सकते हैं और न ही प्रदेश अध्यक्ष

छत्तीसगढ़: लड़ाई अभी सतह पर तो नहीं, मगर मतभेद जरूर दिख रहा
राज्य में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच विवाद कोई नई बात नहीं है। हालांकि, अभी यहां शांति है, मगर अंदरूनी स्तर पर कलह स्पष्ट दिखाई पड़ रही है। कई मामलों में एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी हो या फिर एक दूसरे के मामलों में दखल देना अक्सर चर्चा की वजह बन जाता है।
उत्तराखंड: कभी लेटर बम तो कभी सोशल मीडिया पर तीखे बोल
राज्य में भी कांग्रेस में सब ठीक नहीं है। यहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि पार्टी कई गुटों में बंटी नजर आ रही है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खेमे के लोग उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनवाना चाहते हैं। खुद रावत कई बार कभी पत्र लिखकर तो कभी सोशल मीडिया के जरिए आलाकमान के फैसलों पर सवाल खड़े कर चुके हैं। बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी आलाकमान ने जब हार का हिसाब पूछा तो उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखकर कहा कि प्रचार में जाने नहीं दिया अब हार का हिसाब पूछ रहे।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो