तेलंगाना में शाह की हुंकारः किसी भी दल से समझौता नहीं करेगी भाजपा, ‘रुकी प्रगति’ के खिलाफ होगी लड़ाई केबिनेट मंत्री का था दर्जा
प्रशांत किशोर बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में प्रमुख सलाहाकर पद पर तैनात थे, जो केबिनेट मंत्री के समकक्ष पद है। बता दें कि प्रशांत के प्रबंधन में महागठबंधन ने बिहार में चुनाव लड़ा था और बड़ी जीत हासिल की थी। 2015 में महागठबंधन की सरकार के बाद किशोर मुख्यमंत्री के प्रमुख सलाहाकार के अलावा बिहार विकास के एजेंडे को लेकर बनाए गए बिहार विकास मिशन (बीवीएम) का काम देख रहे थे। नीतीश के एनडीए में शामिल हो जाने के बाद वह नीतीश कुमार से अलग हो गए। बता दें कि 2014 में पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने भाजपा के लिए चुनावी रणनीति बनाई थी। साल 2014 के चुनाव प्रचार में भाजपा के प्रचार को उन्होंने ‘मोदी लहर’ में बदल दिया था और नतीजा भाजपा की बंपर जीत के तौर पर सामने आया था। वहीं 2015 में महागठबंधन और 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के लिये काम कर चुके हैं। कहा जा रहा कि देश की बड़े राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस से उन्हें पार्टी से जुड़ने का प्रस्ताव था। लेकिन उन्होंने क्षेत्रिय स्तर की पार्टी चुनकर सभी को हैरान कर दिया है। अब उनके सामने 2019 को ध्यान में रखकर सबसे पहले भाजपा के साथ मिलकर सीट बंटवारा कराना पहली चुनौती होगी।
प्रशांत किशोर बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार में प्रमुख सलाहाकर पद पर तैनात थे, जो केबिनेट मंत्री के समकक्ष पद है। बता दें कि प्रशांत के प्रबंधन में महागठबंधन ने बिहार में चुनाव लड़ा था और बड़ी जीत हासिल की थी। 2015 में महागठबंधन की सरकार के बाद किशोर मुख्यमंत्री के प्रमुख सलाहाकार के अलावा बिहार विकास के एजेंडे को लेकर बनाए गए बिहार विकास मिशन (बीवीएम) का काम देख रहे थे। नीतीश के एनडीए में शामिल हो जाने के बाद वह नीतीश कुमार से अलग हो गए। बता दें कि 2014 में पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर ने भाजपा के लिए चुनावी रणनीति बनाई थी। साल 2014 के चुनाव प्रचार में भाजपा के प्रचार को उन्होंने ‘मोदी लहर’ में बदल दिया था और नतीजा भाजपा की बंपर जीत के तौर पर सामने आया था। वहीं 2015 में महागठबंधन और 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस के लिये काम कर चुके हैं। कहा जा रहा कि देश की बड़े राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस से उन्हें पार्टी से जुड़ने का प्रस्ताव था। लेकिन उन्होंने क्षेत्रिय स्तर की पार्टी चुनकर सभी को हैरान कर दिया है। अब उनके सामने 2019 को ध्यान में रखकर सबसे पहले भाजपा के साथ मिलकर सीट बंटवारा कराना पहली चुनौती होगी।
पहले राजनीति में नहीं आने की बात की थी हाल की में 41 साल के प्रशांत किशोर ने हैदराबाद के इंडियन स्कूल ऑफ बिजनस (आईएसबी) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि वह किसी भी पार्टी के लिए कैंपेन नहीं करेंगे। ना ही किसी पार्टी के साथ जुड़ने जा रहे हैं।