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PM मोदी के ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर चुनाव आयोग ने दिया ‘एक साल, एक चुनाव’ का विकल्प

चुनाव आयोग ने एक बीच का रास्ता निकाला है। आयोग ने 'एक देश-एक चुनाव' की जगह 'एक साल-एक चुनाव' का फॉर्मूला दिया है।

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Election Commission

PM मोदी के 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर चुनाव आयोग ने दिया 'एक साल, एक चुनाव' का विकल्प

नई दिल्ली। देश में लंबे समय से 'वन नेशन-वन इलेक्शन' पर बहस जारी है, खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस पर खासा फोकस है। इस संबंध में अब चुनाव आयोग ने एक बीच का रास्ता निकाला है। आयोग ने 'एक देश-एक चुनाव' की जगह 'एक साल-एक चुनाव' का फॉर्मूला दिया है। यह नया विकल्प उस पत्र के जवाब में आया है जिसमें विधि आयोग ने चुनाव आयोग से पांच संवैधानिक मुद्दों के अलावा 15 सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक मुद्दों पर राय मांगी थी। हालांकि चुनाव आयोग ने प्रधानमंत्री के सुझाव का भी समर्थन किया है। यह प्रस्ताव चुनाव खर्च कम करने और विकास की गतिविधियों को प्रभावित होने से रोकने के लिए प्रस्तावित कराया था।

नया फॉर्मूला लागू करना ज्यादा आसान

वर्तमान में चुनाव आयोग उन राज्यों में चुनाव एक साथ कराता है जहां की विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने में होने एक या दो महीने का अंतर हो। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 15 के तहत किसी राज्य की विधानसभा की अवधि समाप्त होने से छह महीने पहले चुनाव कराना प्रतिबंधित है। हालांकि विशेषज्ञों के मुताबिक इसमें आंशिक बदलाव के जरिए एक साल, एक चुनाव को संभव बनाया जा सकता है। लेकिन एक देश, एक चुनाव के लिए संवैधानिक जटिलताओं को दूर करना पड़ेगा।

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...क्यों चली एक देश, एक चुनाव पर बहस

भारत में केंद्र के साथ-साथ अलग-अलग राज्यों में मिलाकर अक्सर चुनाव चलते रहते हैं। आचार संहिता के चलते विकास कार्य प्रभावित होते हैं। इसके अलावा बार-बार चुनाव होने से खर्च भी काफी ज्यादा होता है। इसी के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक देश, एक चुनाव यानी लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर जोर दिया था। हालांकि विपक्ष के कई दल इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं।

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