
कुलदेवता को पुष्पांजलि की बात आई तो असहज हुए प्रणब, भागवत ने यूं सुलझाई मुश्किल
नागपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम में शिरकत करने नागपुर गए पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को संघ के संस्थापक केशवराम बलिराम हेडगेवार के घर का भी दौरा किया। इस दौरान जब हेडगेवार के कुलदेवता को पुष्पांजलि अर्पित करने का मौका आया तो प्रणब और सरसंघचालक मोहन भागवत के बीच कुछ बातचीत हुई। बाद में भागवत ने प्रणब की मुश्किल सुलझाई। इस मौके पर कुछ पलों के लिए अजीबोगरीब स्थिति बन गई, हालांकि भागवत के हस्तक्षेप के बाद स्थिति सामान्य हो गई।
भागवत बोले- भावना अच्छी होनी चाहिए
दरअसल प्रणब पैरों में जूते होने के चलते पुष्पांजलि अर्पित करने में असहज महसूस कर रहे थे। प्रणब ने भागवत को इशारा किया और कहा कि उन्होंने अपने पैरों में जूते पहने हैं। इसका जवाब देते हुए भागवत ने कहा, 'आप आइए पुष्प अर्पित कीजिए कोई बात नहीं। भावना अच्छी होनी चाहिए।'
कांग्रेस ने बदले सुर
भागवत से इस बातचीत के बाद प्रणब ने डॉक्टर हेडगेवार के कुलदेवता को पुष्प अर्पित किया। पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद उन्होंने परिसर का अवलोकन किया। पूर्व राष्ट्रपति के इस बहुचर्चित नागपुर दौरे को लेकर देश में सियासत भी उफान पर थी। हालांकि पहले दबी जुबान में प्रणब के इस कदम की आलोचना कर रही कांग्रेस ने भाषण सुनने के बाद सुर बदल लिए।
'राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति अलग-अलग नहीं'
दीक्षांत समारोह में स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए प्रणब ने कहा, 'भारत की ताकत उसकी सहिष्णुता में निहित है और देश में विविधता की पूजा की जाती है। देश में यदि किसी धर्म विशेष, प्रांत विशेष, नफरत और असहिष्णुता के सहारे राष्ट्रवाद को परिभाषित करने की कोशिश की जाएगी तो इससे हमारी राष्ट्रीय छवि धूमिल हो जाएगी।' उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति को अलग-अलग देखना संभव नहीं है।
Published on:
08 Jun 2018 12:14 pm
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