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पहले विनोद खन्ना ने बिखेरी ‘चांदनी’ अब ‘ढाई किलो का हाथ’ से मुकाबला, गुरदासपुर में भाजपा का ‘एक्टर-फैक्टर’

locationनई दिल्लीPublished: Apr 24, 2019 03:46:12 pm

Submitted by:

Kaushlendra Pathak

विनोद खन्ना के सहारे गुरदासपुर में पहली बार भाजपा को मिली थी जीत
तीन बार लगातार चुनाव जीते थे विनोद खन्ना
उपचुनाव में हार गई थी भाजपा
सनी देओल के सहारे फिर जीत की तैयारी में पार्टी

sunny deol and vinod khnna

पहले विनोद खन्ना ने बिखेरी ‘चांदनी’ अब ‘ढाई किलो हाथ’ से मुकाबला, गुरदासपुर में भाजपा का ‘एक्टर-फैक्टर’

नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव (Loksabha Election) कई मायनों में अहम होता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस (CONGRESS) के लिए यह नाक की लड़ाई बन चुका है। दोनों ही पार्टियों ने दिल्ली की सत्ता पर काबिज होने के लिए एड़ी-चोटी का जोर दिया है। इस चुनाव में गठबंधन, दल-बदल और नामचीन चेहरों की बयार सी आ गई है। अपनी साख और सीट को बचाने के लिए पार्टियों ने सारे पत्ते खोल दिए हैं और आखिरी समय तक नए-नए दांव-पेंच लगाए जा रहे हैं। पंजाब (PUNJAB) के गुरदासपुर (Gurdaspur) लोकसभा सीट के लिए भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कुछ ऐसा ही समीकरण तैयार किया है, जिस पर कभी दिवंगत अभिनेता और नेता विनोद खन्ना (Vinod Khanna) अपनी राजनीति से पार्टी के लिए ‘चांदनी’ बिखरते थे। उसी ‘चांदनी’ को एक बार फिर बिखेरने के लिए भाजपा ने ‘ढाई किलो हाथ’ वाले सनी देओल (Sunny Deol) को यहां से अपना उम्मीदवार घोषित किया है।
पढ़ें- ढाई किलो का ‘हाथ’, अब भाजपा के साथ : सनी देओल होंगे गुरदासपुर से भाजपा प्रत्याशी

vinod khanna
‘गुरदासपुर’ का सियासी समीकरण

पंजाब में भाजपा शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है। सीट बंटवारे के तहत ‘गुरदासपुर’ भाजपा के खाते में है। हालांकि, 1980 में पार्टी की नींव पड़ने के बाद भाजपा ने 1985 में पहली बार गुरदासपुर सीट से अपना उम्मीदवार उतारा। पार्टी ने बलदेव प्रकाश को टिकट दिया, लेकिन वह चुनाव नहीं जीत सके और दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद से भाजपा ने गुरुदासपुर में अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करनी शुरू कर दी। लेकिन, पार्टी को कई सालों तक कामयाबी नहीं मिली। यहां कांग्रेस के दिग्गज नेता सुखबंस कौर भिंडर का एकक्षत्र राज था।
पढ़ें- लोकसभा चुनाव: भाजपा में शामिल हुए अभिनेता सनी देओल, गुरदासपुर से लड़ सकते हैं चुनाव

narendra modi and vinod khanna
विनोद खन्ना के कदम पड़ते ही खुल गई भाजपा की किस्मत

अटल बिहारी वाजेपीय की भविष्यवाणी ‘अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा’ गुरुदासपुर में सच हुआ साल 1998 में, जब पार्टी ने मशहूर अभिनेता विनोद खन्ना को यहां से टिकट दिया। विनोद खन्ना 1998, 1999 और 2004 में गुरदासपुर में कमल खिलाने में कामायाब हुए। विनोद खन्ना ने कांग्रेस के दिग्गज नेता नेता सुखबंस कौर भिंडर को करारी शिकस्त दी, जो 5 बार 1980, 1985, 1989, 1992 और 1996 में चुनाव जीते थे। गुरदासपुर में पार्टी का झंडा बुलंद हो गया और भाजपा की तूती बोलने लगी। लेकिन, तीन बार जीतने के बाद 2009 में भाजपा को फिर झटका लगा। इस आम चुनाव में विनोद खन्ना कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा से चुनाव हार गए। विनोद खन्ना भले ही चुनाव हार गए, लेकिन लोगों के दिलों पर राज कर रहे थे और क्षेत्र में पार्टी की स्थिति लगातार मजबूत करने में लगे थे। 2014 का चुनाव हुआ और विनोद खन्ना ने एक बार फिर यहां कमल खिला दिया।
vinod khnna
‘चांदनी की चमक खत्म, मुरझा गया कमल’

साल 2017 में विनोद खन्ना इस दुनिया को अलविदा कह गए और साथ ही गुरदासपुर में खत्म हो गई उनकी राजनीतिक ‘चांदनी’। पार्टी ने कद्दावर नेता को खो दिया और समय आ गया उपचुनाव का। गुरदासपुर से भाजपा किसे टिकट दे, पार्टी के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती थी। काफी विचार-विमर्श के बाद भाजपा ने व्यापारी स्वर्ण सिंह सलारिया को अपना प्रत्याशी घोषित किया। लेकिन, भाजपा का यह दांव सफल नहीं हुआ और कांग्रेस उम्मीदवार सुनील सिंह जाखड़ उपचुनाव जीत गए। सवर्ण सिंह सलारिया को 3,06,553 वोट मिले, जबकि सुनील सिंह जाखड़ को 4,99,752 वोट मिले थे। गुरदासपुर में ‘चांदनी’ की चमक खत्म होते ही कमल ‘मुरझा’ गया।
sunny deol
गुरदासपुर में भाजपा एक्टर-फैक्टर

2019 में काफी जद्दोजह के बाद भाजपा ने ‘ढाई किलो हाथ’ वाले सनी देओल को गुरदासपुर से अपना उम्मीदवार घोषित किया है। हालांकि, बीच में यह भी कयास लगाए जा रहे थे कि विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना को भाजपा यहां से अपना उम्मीदवार घोषित कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब गुरदासपुर में चुनावी रैली करने गए थे तो उन्होंने इसके संकेत भी दिए थे। लेकिन, शायद भाजपा को पुराने दिन और उपचुनाव याद आ गए होंगे। लिहाजा, पार्टी ने गुरदासपुर सीट को लेकर ‘एक्टर-फैक्टर’ की राजनीति करना ही बेहतर समझा। बीच में अभिनेता अक्षय कुमार का भी नाम उछला था, क्योंकि वह भी पंजाब से तालुक रखते हैं। लेकिन, अंतिम मुहर और आखिरी उम्मीद के रूप में भाजपा ने गुरदासपुर सन्नी देओल के हवाले कर दिया। अब देखना यह है कि गुरदासपुर में भाजपा के लिए जो ‘चांदनी’ विनोद खन्ना ने बिखेड़ी थी, उसे बचाने के लिए कांग्रेस के लिए ‘घातक’ बनेंगे सनी देओल या हो जाएंगे ‘घायल’।

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