इससे पहले गुरुवार तड़के घंटों चली बहस में तीन जजों की संविधान पीठ ने येदियुरप्पा को शपथ ग्रहण का न्योता दिलाने लेने के लिए राज्यपाल के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। लेकिन शीर्ष अदालत ने कांग्रेस की याचिका को आज के सुरक्षित रख लिया था। तीन जजों की पीठ ने सरकार बनाने के दावे के लिए येदियुरप्पा ने राज्यपाल को जो चिट्ठी लिखी थी, उसे कोर्ट के समक्ष पेश करने को कहा था। आज उसी चिट्ठी के आधार पर बहस होनी है। यही कारण है कि सीएम येदियुरप्पा की सरकार के भविष्य को लेकर कयासबाजी का दौर पहले की तरह जारी है।
आपको बता दें कि इस बात को लेकर पिछले 24 घंटे से न सिर्फ कांग्रेस और जेडीएस, बल्कि पूरा देश इस सवाल के जवाब का इंतजार कर रहा है कि शुक्रवार को येदियुरप्पा का क्या होगा? क्या वो अपनी सरकार को बचा पाएंगे या फिर कोर्ट फैसला उनके विरोध में जाएगा। इस बीच देश भर के लोग सुबह से सुनवाई शुरू होने का इंतजार कर रहे थे। राजनीतिक दलों से लेकर देश भर के लोगों को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने का इंतजार इसलिए भी है कि कर्नाटक का मसला कानूनी दावपेंच में उलझकर रह गया है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत न मिलने से हंग असेंबली का जनादेश है। ऐसे में सबसे बड़ी पार्टी भाजपा को सरकार गठन का न्यौता देना कांग्रेस-जेडीएस को नागवार गुजरा और यह विवाद का विषय बन गया। अब इसी विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई है। जस्टिस सीकरी, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोबडे की तीन जजों की बेंच इस मामले पर बहस को सुनेंगे और उसके बाद अपना फैसला सुनाएंगे।
बुधवार देर रात कांग्रेस ने याचिका के जरिए मांग की थी कि येदियुरप्प सरकार के शपथ ग्रहण पर रोक लगाई जाए। राज्यपाल के फैसले कोर्ट खारिज करे। साथ ही विधानसभा में फ्लोर टेस्ट तक एक एंग्लो इंडियन विधायक को मनोनीत न करने की मांग की गई है। जबकि मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल को यह अधिकार है कि वो राज्यपाल को एंग्लो इंडियन विधायक को मनोनीत करने का सुझाव दे। मंत्रिमंडल के सुझावों के अनुरूप राज्यपाल एंग्लो इंडियन विधायक मनोनीत कर सकते हैं।