नीतियों के खिलाफ है विरोध पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि किसानों के हितों के लिए अपने सामर्थय के अनुसार उन्होंने यह आंदोलन शुरू किया है और उनका यह आंदोलन किसी व्यक्ति विशेष या पार्टी के विरोध में नहीं है। उनका विरोध नीतियों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि- मैं पार्टी का मेंबर हूं। पार्टी चाहे तो मुझे हटा सकती है। सिन्हा ने कहा कि दिल्ली और भोपाल में बैठे लोग किसानों की दुर्दशा के बारे में पूरी तरह नहीं जानते हैं। इसीलिए किसानों और बेरोजगारों की समस्याओं को हल करने के लिए यह आंदोलन शुरू किया गया है।
देश में है डर का माहौल सिन्हा ने अपनी ही पार्टी की केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जांच एजेंसियों का अलग सोच रखने वालों के खिलाफ दुरोपयोग किया जा रहा है। इससे भाजपा के भीतर ही नहीं, बल्कि पूरे देश में डर का माहौल बना हुआ है। उन्होंने कहा कि एक हालिया इकोनॉमिक सवेक्षण में बेरोजगारी, शिक्षा से संबंधित संकट और किसानों की समस्याओं के बारे में चेताया गया है। यह समस्याएं कोई रातों-रात पैदा नहीं हुई हैं। इसका सीधा मतलब है कि इन फ्रंटों पर सरकार विफल रही है।
किसानों की किसी को चिंता नहीं सिन्हा ने कहा कि भाजपा का सदस्य होने के बजाय देश का नागरिक होना ज्यादा मायने रखता है। देश का नागरिक होने के नाते ही मैं किसानों और बेरोजगारों के लिए आंदोलन कर रहा हूं। चूंकि लगता है देश में किसानों के बारे में किसी को भी कोई चिंता नहीं है। उन्होंने मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा में एनटीपीसी के पावर प्लांट के खिलाफ धरना दे रहे किसानों के साथ प्रशासन की ओर से किए गए अमानवीय व्यवहार की निंदा की।