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कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2018: जो पब्लिक के एजेंडे को पकड़ेगा उसी की बनेगी सरकार, जानिए 10 बातें

कर्नाटक के राजनेताओं के लिए अपने सेट एजेंडे के बल पर मतदाताओं का समर्थन हासिल करना आसान काम नहीं है।

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नई दिल्‍ली। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव प्रचार धीरे-धीरे चरम पर पहुंचने लगा है। हालांकि पीएम मोदी की चुनावी सभाएं वहां पर अभी शुरू नही हुई हैं। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह लगातार चुनाव दौरे पर हैं। गुजरात चुनाव की तरह एक बात यहां पर देखने को मिल रहा है कि राहुल गांधी भाजपा के हिदुत्‍व के एजेंडे को कमजोर करने के लिए सॉफ्ट हिंदुत्‍व की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके बावजूद यहां पर मतदाताओं को अपने पक्ष में करना इतना आसान हीं है। क्‍योंकि यहां का मतदाता दूसरे राज्‍यों की तुलना में अपनी समस्‍याओं को लेकर ज्‍यादा जागरूक है। प्रदेश के लोग उसी पार्टी का समर्थन करते हैं जो सिविल सोसाइटी के लिए बेहतर काम करने का वादा करे। यही कारण है कि यहां पर लोगों के अपने एजेंडे हैं और उसी से तय होगा कि प्रदेश में सरकार किसकी बनेगी? जानिए दस बातों से वहां के लोगों की चुनावी प्राथमिकताएं।

1. ट्रफिक जाम
दिल्‍ली और मुम्‍बई की तरह यहां पर भी ट्रैफिक की समस्‍याओं से लोगों को रूबरू होना पड़ता है। इस समस्‍या से कर्नाटक में रहने वाला हर इंसान परेशान है। ट्रैफिक जाम से हर रोज लोगों को घंटो समय आने जाने में बर्बाद हो जाता है। खासतौर से बेंगलूरु के लिए मेट्रो सेवा से हटकर अलग समाधान की जरूरत है। क्‍योंकि मेट्रो सेवाओं के सहारे यहां की ट्रैफिक जाम से लोगों को निजात दिलाना आसान नहीं है।

2. जागरूक नागरिक समाज
बेंगलुरु में नागरिक समाज जागरूक और सक्रिय है। नागरिक समाज के लोग हर मुद्दे पर सरकार और स्‍थानीय प्रशासन में अपनी भूमिका चाहते हैं। भ्रष्‍टाचार के मामले में यहां के लोग जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करते हैं। ऐसा नहीं करने पर नागरिक समाज के लोग सरकार और प्रशासन को अदालत तक घसीटने में देर नहीं लगाते।

3. जन सुरक्षा
महिला सुरक्षा, आतंकवाद का खतरा, स्‍थानीय अपराध के मुद्दे पर लोग तत्‍काल कार्रवाई चाहते हैं। इन घटनाओं पर बहस और चर्चा करने के बजाए जमीन पर घटनाओं को रोकने की मांग करते हैं। इसके बावजूद बढ़ती आपराधिक घटनाओं की वजह से कानून और व्‍यवस्‍था के प्रति लोगों का विश्‍वास पहले की तुलना में टूटा है। वो चाहते हैं कि राजनेता इस समस्‍याओं के समाधान को लेकर प्रभावी कार्ययोजना लेकर सामने आएं।

4. पेयजल संकट
पेयजल संकट यहां की मुख्‍य समस्‍याओं में से एक है। यह समस्‍या केवल कावेरी घाटी कि किसानों और लोगों के लिए ही नहीं बल्कि शहर के लोगों को भी इससे दो चार होना पड़ता है। न केवल पेयजल संकट का शहरी लोगों को सामना करना पड़ता है बल्कि वाटर लीकेज को लेकर भी लोग परेशान हैं। इस समस्‍या को दूर करने में अभी तक प्रदेश सरकार को सफलता नहीं मिली है। खासकर उत्तर-दक्षिण बेंगलूरु के लिए यह एक अहम समस्‍या है।

5. लचर परिवहन व्‍यवस्‍था
बेंगलूरु के लोगों की सिटी लाइफ सार्वजनिक परिवहन व्‍यवस्‍था पर निर्भर हैं। निजी वाहनों की संख्‍या में बढ़ोतरी के बावजूद आज भी सिटी ट्रांसपोर्ट ही कहीं आने जाने के लिए लाइफलाइन है। बीएमटीसी को हर रोज कम से कम 45 लाख लोग रोजाना अपनी सेवाएं देनी होती है। मेट्रो रेल सेवा से कुछ ही लोगों को राहत मिली है। इसलिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कनेक्टिविटी हर घर तक इस शहर के लोगों के चिंता का विषय है।

6. सुंदर आवोहवा

बेंगलूरु को फूलों के शहर के नाम से जाना जाता है। लेकिन तेजी से शहरीकरण की वजह से अब ये शहर वैसा नहीं रहा। यहां के लोग पहले की तरह सुंदर आवोहवा चाहते हैं। ताकि जब वो शहर में चले तो उन्‍हें इस बात का अहसास हो कि यह शहर वास्‍तव में फूलों का शहर है आज भी है।

7. नाइटलाइफ
परंपरागत रूप से बेंगलूरु को पेंशनर्स के लिए स्‍वर्ग माना जाता है। यहां पर पहले लोग नौ से पांच ऑफिस और उसी के अनुरूप नाइटलाइफ के आदी रहे हैं। लेकिन अब हालात बदल गए हैं। लोग नाइटलाइफ के आदी हो गए हैं। टेकी शहर होने की वजह से लोग सुबह से लेकर रात तक शहर में लोगों का आवागमन जारी रहता है। ऐसे में रात के समय भी उन्‍हें ट्रांसपोर्ट, सिक्‍योरिटी, पब, होटल्‍स, रेस्‍टोरैंट्स, की जरूरत पड़ने लगी है। जबकि यहां पर केवल वेकेंड के दिन एक बजे रात तक बाजार खुलता है। अन्‍य दिनों ये सुविधाएं उन्‍हें नहीं मिल पाती, जो यहां के लोगों के लिए एक गंभीर समस्‍या है।

8. बिजली संकट
एक दशक पहले वाले हालात अब यहां पर नहीं रहे। हालांकि बिजली की स्थिति में पहले की तुलना में सुधार हुआ है। इसके बावजूद कभी-कभी लंबे समय तक बिजली कटौती से लोगों को दो चार होना पड़ता है।

9. बुनियादी सुविधा
टेकी शहर होने के कारण बेंगलूरु का दुनिया भर नाम है। शहर का विस्‍तार तेजी से हुआ है। इसके बावजूद यहां के लोग बुनियादी सरकारी सेवाओं के लिए काफी परेशान होना पड़ता है और समय बर्बाद करना पड़ता है।

10. पारदर्शी और भ्रष्‍टाचामुक्‍त प्रशासन की मांग
बेंगलूरु के लोगों का दूसरे राज्‍यों की तुलना में अधिक पढ़े लिखे हैं। सिविक सेंस स्‍तर भी ज्‍यादा है। इसलिए लोग भ्रष्‍टाचाररहित, ईमानदार शासन और प्रशासन चाहते हैं। इतना ही नहीं सरकारी कामकाम में वो पारदर्शी व्‍यवस्‍था के भी हिमायती हैं।