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कभी नीतीश के करीबी थे बिहार के ‘छोटे सरकार’, अब जेल में रहकर जेडीयू के छुड़ा रहे पसीना

मोकामा विधानसभा सीट से आरजेडी के उम्मीदवार अनंत कुमार सिंह, कभी जेडीयू से लड़ा था चुनाव
जेल में रहकर लड़ा है पूरा चुनाव, दो बार जेडीयू और एक बार निर्दलीय के रूप में कर चुके हैं जीत हासिल

Nov 10, 2020 / 11:03 am

Saurabh Sharma

Know About Bihar's 'Chhote Sarkar' anant singh leading in mokama seat

Know About Bihar’s ‘Chhote Sarkar’ anant singh leading in mokama seat

नई दिल्ली। बिहार की राजनीति में बाहुबलियों और अपराधिक बैकग्राउंड के लोगों का अहम रोल रहा है। ऐसे ही एक बाहूबली हैं जो मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव ही नहीं लड़े बल्कि अब नतीजों में अपने विरोधी प्रत्याशी का पसीना भी छुड़ा रहे हैं। कभी नीतीश कुमार के करीबी रहे मोकामा के छोटे सरकार अनंत कुमार सिंह इस बार आरजेडी के प्रत्याशी हैं और जीत की ओर कदम बढ़ा चुके हैं। खास बात तो ये है कि मोकामा में वो जेल रहकर चुनाव लड़े हैं। उनकी पत्नी भी निर्दलीय उम्मीदवार खड़ी हुई थी। घर के बाहर भी जश्न का माहौल देखने को मिल रहा है।

मोकामा के ‘छोटे सरकार’
चार के बार के विधायक मोकामा में अनंत कुमार सिंह को छोटे सरकार से संबोधित किया जाता है। उनके दबदबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब नीतीश कुमार से 2015 में उनकी खटपट शुरू हुई तो उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा। उसमें भी वो जीत गए। इस बार उन्हें आरजेडी की ओर से टिकट मिला और जीत की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

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नीतीश के साथ रहे हैं अच्छे संबंध
कभी नीतीश कुमार के साथ बाहुबली अनंत कुमार सिंह के काफी अच्छे संबंध रहे हैं। इसलिए वो 2005 और 2010 के चुनावों में जेडीयू के टिकट पर मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीते भी। कभी सभाओं में नीतीश और अनंत को साथ देखा गया है। आज वहीं अनंत कुमार सिंह जेडीयू प्रत्याशी राजीव लोचन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।

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जेल से लड़ा है चुनाव
यह बात किसी से छिपी नहीं कि अनंत कुमार पहले जेडीयू के नेता थे, 2015 में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं किया और वो पार्टी से अलग हो गए। उसके बाद 2019 में अनंत सिंह के घर से एके-47 सहित अन्य हथियार मिले और यूएपीए मामले में गिरफ्तार किया गया और बेउर जेल में रखा गया। 2015 के चुनाव से पहले पुलिस ने पटना के मॉल रोड में उनके आधिकारिक निवास पर छापा मारकर एक इंसास राइफल और कुछ खून से सने कपड़े से छह खाली कारतूस जब्त किए थे। अनंत सिंह तब गिरफ्तार नहीं हुए, बाद में अपहरण और हत्या के एक अलग मामले में जेल में डाल दिया गया। अभी भी वो जेल में हैं और वहीं से ही उन्होंने पूरा चुनाव लड़ा है।

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