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सिल्वर सक्रीन के ऐसे सितारे, जिन्होंने राजनीतिक पार्टी से न जुड़कर बनाई अपनी पार्टी

कमल हास ने 2018 में बनाई मक्कल निधि माइम पार्टी रजनीकांत ने बस कंडक्टर से लेकर कुली का किया काम करुणानिधि ने द्रविड़ आंदोलन से जुड़कर की राजनीतिक सफर की शुरुआत

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सिल्वर सक्रीन के ऐसे सितारे, जिन्होंने राजनीतिक पार्टी से न जुड़कर बनाई अपनी पार्टी

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव में इस बार कई सितारे अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। सितारों का सिनेमा से राजनीति में आने का सिलसिला पुराना है। राजनीति में शामिल होने वाले सितारों की फेहरिस्त में ऐसे भी नाम हैं, जिन्होंने किसी अन्य राजनीतिक पार्टी या विचारधारा से ना जुड़कर अपनी पार्टी बनाकर देश के विकास में योगदान दिया। आइए आपको ऐसे ही सितारों के राजनीतिक सफर पर एक नजर डालें...

कमल हासन: अभिनेता से लेकर नेता तक...

राजनीतिक जीवन

कमल हासन अभिनेता के साथ एक राजनेता भी हैं। उन्होंने सिल्वर स्क्रीन से राजनीति में कदम रखा और अपने स्टराडम के दम पर किसी सियासी पार्टी में शामिल होने की जगह अपनी विचारधारा के साथ खुद की पार्टी की नींव रखी। उन्होंने मक्कल निधि माइम (एमएनएम) नाम की पार्टी की स्थापना की और साल 2018 में अपने 64वें जन्मदिन पर ऐलान किया कि वे तमिलनाडु में बीस सीटों पर होने वाले उपचुनाव में उम्मीदवार उतारेंगे। बता दें कि कमल हासन समय-समय पर देश के अहम मुद्दों पर अपनी राय रखते आए हैं। अभी हाल ही में 14 फरवरी को हुए पुलवामा हमले को लेकर उन्होंने अपनी राय रखते हुए जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने की बात कही थी। आपको बता दें कि कमल हासन लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, लेकिन अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के लिए लगातार चुनाव प्रचार कर रहे हैं।

फिल्मी करियर

साउथ फिल्मों से अपनी पहचान बनाने वाले और बॉलीवुड में अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाले कमल हासन का जन्म 7 नवम्बर 1954 मद्रास के परमकुडी में हुआ था। साउथ के सुपर स्टार कमल हासन अभिनेता, पटकथा लेखक, फ़िल्म निर्माता और किरदार को जीने वाले अभिनेताओं में से एक माने जाते हैं। उन्हें सर्वश्रेष्ठ विदेशी भाषा फिल्म के लिए अकादमी पुरस्कार प्रतियोगिता में भारत की तरफ से प्रस्तुत सर्वाधिक फिल्मों वाले अभिनेता होने का गौरव प्राप्त है। कमल पद्मश्री और चार बार राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कारों से नवाजे जा चुके हैं। इन पुरस्कारों के अलावा उन्हें कई अवॉड्स से सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने कई ऐसी हिन्दी और साउथ फिल्में की जिसमें उनके अभिनय को आज भी याद किया जाता है।

रजनीकांत: साउथ के सुपरस्टार से लेकर राजनेता...

राजनीतिक जीवन

रजनीकांत ने साल 2017 में राजनीति में कदम रखा। थलाइवा के नाम से मश्हूर रजनी ने किसी भी पार्टी में जुड़ने की जगह अपनी विचारधारा को आधार बनाकर 'रजनी मंदरम' नाम से क्षेत्रीय पार्टी बनाई । बता दें कि रजनीकांत इस बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ रहे। उन्होंने चुनाव से पहले ही यह साफ कर दिया कि वे और उनकी पार्टी 2019 में होने वाला लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी, क्योंकि उनका लक्ष्य तमिलनाडु विधानसभा है। उन्होंने किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं किया। रजनीकांत ने अपने प्रशंसकों को भी ये सलाह दी है कि कोई भी पार्टी अपने चुनाव प्रचार अभियान के लिए उनकी फोटो और नाम का इस्तेमाल ना करे।

फिल्मी जीवन

साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत को किसी पहचान की जरूरत नहीं। एक बस कंडक्टर से अपने करियर की शुरुआत करने वाले रजनीकांत आज साउथ से लेकर बॉलीवुड में महान अभिनेता के तौर पर जाने जाते हैं। 67 साल के रजनीकांत का जन्म 12 दिसंबर 1950 को बेंगलुरु के एक मराठी परिवार में हुआ। वे संपन्न परिवार से नहीं थे। उन्होंने कुली से लेकर बस कंडक्टर तक का काम किया है। बस में अपने टिकट काटने के अनोखे अंदाज के कारण बहुत फेमस थे। रजनीकांत का एक्टर बनने का सपना उनके दोस्त राज बहादुर की मदद से पूरा हुआ। इन्होंने ही रजनीकांत को मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने के लिए प्रेरित किया। इस बीच उनकी मुलाकात फिल्म डायरेक्टर के.बालचंद्र से हुई। उन्होंने अपने फिल्मी करियर के 10 साल में ही 100 फिल्में पूरी कीं। रजनीकांत ने तमिल, हिंदी, मलयालम, कन्नड़ और तेलुगु के साथ एक बांग्ला फिल्म में भी काम किया है। रजनीकांत को 2000 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया। उन्हें 1984 में सर्वश्रेष्ठ तमिल अभिनेता के लिए पहला फ़िल्म फेयर पुरस्कार भी मिल चुका है।

एम. करुणानिधि: पटकथा लेखक से राजनेता...

राजनीतिक जीवन

करुणानिधि ने द्रविड़ आंदोलन से जुड़कर अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की। उस आंदोलन के प्रचार में उन्‍होंने अहम भूमिका निभाई। दरअसल वे सामाजिक बदलाव को बढ़ावा देने वाली ऐतिहासिक और सामाजिक कथाएं लिखने के लिए लोकप्रिय रहे थे और अपनी इसी कहानी कथन प्रतिभा का इस्‍तेमाल उन्‍होंने तमिल सिनेमा में किया और एक फिल्म 'पराशक्ति' के जरिए राजनीतिक विचारों का प्रचार करना शुरू किया। जस्टिस पार्टी के अलगिरिस्वामी के एक भाषण से प्रेरित होकर करुणानिधि ने 14 साल की उम्र में राजनीति में प्रवेश किया और हिंदी विरोधी आंदोलन में भाग लिया। इसके बाद उन्होंने अपने इलाके के स्थानीय युवाओं के लिए एक संगठन बनाया। 'तमिलनाडु तमिल मनावर मंद्रम' नामक छात्र संगठन की स्थापना की जो द्रविड़ आंदोलन का पहला छात्र विंग था। कल्लाकुडी में हिंदी विरोधी प्रदर्शन में उनकी भागीदारी, तमिल राजनीति में अपनी जड़ मजबूत करने में करूणानिधि के लिए मददगार साबित होने वाला पहला प्रमुख कदम था। करूणानिधि को तिरुचिरापल्ली जिले के कुलिथालाई विधानसभा से 1957 में तमिलनाडु विधानसभा के लिए पहली बार चुना गया।

शुरुआती जीवन

करुणानिधि के समर्थक उन्हें प्यार से 'कलाईनार' कहकर बुलाते थे। उनके बचपन का नाम दक्षिणमूर्ति था। करुणानिधि का जन्म 1924 में थिरुक्कुवालाई गांव में हुआ। 14 साल की उम्र में उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी थी और राजनीतिक सफर पर निकल पड़े थे। 1937 में जब स्कूलों में हिन्दी को अनिवार्य कर दिया गया था तब दक्षिण भारत में हिंदी विरोध पर मुखर होते हुए करुणानिधि ने भी 'हिंदी-हटाओ आंदोलन' में भाग लिया था। इसके बाद उन्होंने तमिल भाषा को अपना हथियार बनाया और तमिल में ही नाटक, अखबार और फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिखने लगे। करुणानिधि ने अपने जीवन में तीन शादियां की, जिसमें उनकी पहली पत्नी का नाम पद्मावती, दूसरी पत्नी का नाम दयालु अम्माल और तीसरी पत्नी का नाम रजति अम्माल हैं। पद्‍मावती का निधन हो चुका है, जबकि दयालु और रजती जीवित हैं।

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