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लोकसभा चुनाव 2019: गेम चेंजर साबित हो सकतें है नीतीश कुमार

locationनई दिल्लीPublished: May 17, 2019 09:43:44 am

Submitted by:

Mohit sharma

चुनाव परिणाम आने से पहले बदले जेडीयू के सुर, उठाई बिहार को विशेष राज्य के दर्जे की मांग
कांग्रेस ने जेडीयू को लेकर दिखाया सॉफ्ट कॉर्नर, नीतीश चाहें तो देश में गैर भजपा सरकार का बनना तय
‘नीतीश की पार्टी इस मुद्दे के सहारे अपने लिए सुरक्षित ठिकाने तलाशने की शुरुआत कर चुकी है’

लोकसभा चुनाव 2019

गेम चेंजर साबित हो सकतें है नीतीश कुमार

नई दिल्ली। देश में लोकसभा चुनाव का रण छिड़ा है। अब जबकि चुनाव का अंतिम चरण शेष बचा है, ऐसे में कांग्रेस और भाजपा समेत सभी राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत चुनाव प्रचार में झोंक दी है। चुनाव विश्लेषकों की मानें तो इस बार भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही स्पष्ट जनादेश मिलता नजर नहीं आ रहा है। अगर ऐसा हुआ तो क्षेत्रीय दल किंग मेकर की भूमिका में नजर आ सकते हैं। ऐसे ही क्षेत्रीय क्षत्रपों पर में एक नाम नीतीश कुमार का भी शुमार है। जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार गेम चेंजर साबित हो सकते हैं। हालांकि जेडीयू एनडीए में भाजपा के साथ है, लेकिन हाल ही में बदले उसके सुर भविष्य की संभावनाओं पर विचार करने को मजबूर करते हैं। दरअसल, जेडीयू ने अचानक बिहार को विशेष राज्य की मांग वाले मुद्दे को फिर से उठा दिया है। यूं तो यह जेडीयू का पुराना मुद्दा रहा है, लेकिन अब जबकि लोकसभा चुनाव के 6 चरण पूरे हो चुके हैं और बिहार में केवल 8 सीटों पर ही मतदान होना शेष है। ऐसे में जेडीयू द्वारा बिहार को विशेष राज्य की मांग उठाना साधारण बात नहीं।

विशेष राज्य का दर्जा देने वाली मांग

दरअसल, जेडीयू नेता केसी त्यागी ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि साल 2000 में विभाजन के बाद बिहार पिछले 18 सालों से राज्य से प्राकृतिक संसाधनों के भंडार और उद्योगों के अभाव से दो-चार हो रहा है। जिस हिसाब से राज्य का विकास जैसे होना चाहिए था, नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि केंद्रीय वित्त आयोग को इस मुद्दे पर नए सिरे से विचार करना होगा। चुनाव पर पैनी नजर रखने वालों का तो यह भी मानना है कि शायद जेडीयू को यह आभास हो गया है कि इस बार चुनाव में भाजपा का कमल नहीं खिलने वाला। यही वजह है कि जेडीयू समय रहते अपने आपको सुरक्षित करना चाहता है। हालांकि जेडीयू नेता ने एनडीए में रह कर ही बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने वाली मांग को उठाने की बात कही है, लेकिन कयास लगाए जा रहे हैं कि नीतीश की पार्टी इस मुद्दे के सहारे अपने लिए सुरक्षित ठिकाने तलाशने की शुरुआत कर चुकी है।

कांग्रेस ने दिखाया सॉफ्ट कॉर्नर

इसके साथ ही मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने समय की नजाकत को समझते हुए जेडीयू को लेकर सॉफ्ट कॉर्नर दिखाया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजाद ने मौके को लपकते हुए कहा कि अगर चुनाव परिणाम आने के बाद नीतीश कुमार जैसे कुछ नेता साथ दें तो केंद्र में गैर भाजपा सरकार का गठन किया जा सकता है। आजाद ने तो यहां तक कह डाला कि यदि गठबंधन में कांग्रेस को प्रधानमंत्री का पद नहीं भी मिला तो यह पार्टी के लिए कोई मुद्दा नहीं होगा। उन्होंने कहा कि चुनाव परिणाम के पहले शीर्ष पद के दावेदारी पर आम सहमति का स्वागत किया जाएगा।

कब-कब उठाया विशेष राज्य का मुददा—

क्या है स्थिति —

40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में जेडीयू को 2014 में केवल 2 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था। हालांकि उस समय जेडीयू एनडीए का हिस्सा नहीं थी। अब चूंकि बिहार में भाजपा और जेडीयू मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में पार्टी नेता 12 से 14 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो जेडीयू चुनाव के बाद सरकार बनाने में महती भूमिका में निभा सकती है।

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