scriptलोकसभा चुनाव: अंतिम चरण के मतदान में इन 5 कैबिनेट मंत्रियों की किस्मत का भी होगा फैसला | Loksabha Election: fate of these 5 cabinet ministers will also be decided in the final phase of poll | Patrika News

लोकसभा चुनाव: अंतिम चरण के मतदान में इन 5 कैबिनेट मंत्रियों की किस्मत का भी होगा फैसला

locationनई दिल्लीPublished: May 19, 2019 11:10:52 am

Submitted by:

Dhirendra

इन सीटों पर भाजपा प्रत्‍याशियों के लिए जीत हासिल करना आसान नहीं
बिहार और यूपी में भाजपा और महागठबंधन के बीच कांटे की टक्‍कर
मुश्किलों से भरा है अभिनेता से नेता बने सनी देओल के लिए जीत की राह

cabinet minister
नई दिल्‍ली। लोकसभा चुनाव 2019 के अंतिम चरण का मतदान रविवार सुबह सात बजे जारी है। इस चरण में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, मनोज सिन्हा, आरके सिंह, हरदीप सिंह पुरी और अनुप्रिया पटेल जैसे दिग्‍गजों के नाम जनता आज अपना फैसला सुनाएगी। इसके अलावा राजनीतिक दिग्गजों में पूर्व लोकसभा स्पीकर मीरा कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल, मनीष तिवारी, तृणमूल कांग्रेस सांसद सौगत रॉय और अभिनेता ने नेता बने सनी देओल की किस्मत का फैसला भी होना है।
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1. रविशंकर प्रसाद, पटना साहिब (बिहार)
बिहार के पटना साहिब से इस बार भाजपा ने अपने शत्रु के खिलाफ केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को उतारा है। इसलिए पटना साहिब सीट पर देश भर के लोगों की नजरें टिकी हुई हैं। रविशंकर प्रसाद पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उनका मुकाबला अपने ही करीबी और भाजपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले दिग्‍गज नेता शत्रुघ्‍न सिन्‍हा से है। इस सीट पर उच्च जातीय, खासकर कायस्थ समुदाय के वोट चुनाव नतीजों को बदल सकते हैं। दोनों ही उम्मीदवार कायस्थ हैं। इसलिए मुकाबला दिलचस्प है। इस सीट से शत्रुघ्न सिन्हा दो बार भाजपा से सांसद रह चुके हैं। 2014 में सिन्हा ने कांग्रेस प्रत्याशी और भोजपुरी अभिनेता कुणाल सिंह को 30.13 फीसदी वोटों के अंतर से हराया था।
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2. मनोज सिन्हा, गाजीपुर

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में केंद्रीय मंत्री मनोज सिन्हा के सामने सपा-बसपा गठबंधन के उम्मीदवार अफजाल अंसारी ने तगड़ी चुनौती पेश की है। सिन्हा गाजीपुर से मौजूदा सांसद हैं और तीन बार सांसद रह चुके हैं। सिन्हा का अफजाल अंसारी से 15 साल बाद मुकाबला हो रहा है। 2014 में सिन्हा ने यह सीट 32,400 वोट से जीती थी। सिन्हा को कुल 3.06 लाख वोट मिले थे। जबकि सपा और बसपा को मिलाकर 5.16 लाख वोट मिले थे। इस बार सपा-बसपा साथ मिलकर लड़ रहे हैं। अगर दोनों के वोटर एक साथ आते हैं तो सिन्हा के लिए जीत मुश्किल होगी।
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3. हरदीप सिंह पुरी, अमृतसर (पंजाब)

अमृतसर लोकसभा सीट से हरदीप सिंह पुरी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट से पुरी को बाहरी प्रत्‍याशी माना जा रहा है। यहां पर कांग्रेस प्रत्याशी गुरजीत सिंह औजला जाट सिख और स्थानीय हैं। डिप्लोमैट से नेता बने हरदीप सिंह पुरी उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सदस्य हैं। 2014 में अमृतसर सीट पर भाजपा के अरुण जेटली, मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से हार गए थे। पुरी दावा कर रहे हैं कि वे इस हार का बदला लेंगे। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने यहां 2017 में विधानसभा इस्तीफा दे दिया था, उसके बाद हुए उपचुनाव में औजला जीते थे। पुरी को जहां मोदी मैजिक और पंजाब में कांग्रेस सरकार के प्रति एंटी इनकम्बेंसी का सहारा है, लेकिन औजला ने यह सीट दो लाख से ज्‍यादा वोटों जीते थे जिसे पाटना देओल के लिए आसान नहीं होगा।
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4. आरके सिंह, आरा (बिहार)

केंद्रीय मंत्री राज कुमार सिंह भी अपनी सीट बचाए रखने के लिए नामांकन भरने के बाद से ही संघर्ष कर हरे हैं। उनका सीधा मुकाबला आरा में सीपीआई-एमएल के प्रत्याशी राजू यादव से हैं। राजू यादव को महागठबंधन का समर्थन है। 2014 के चुनाव में सिंह यह सीट 1.36 लाख वोटों के अंतर से यहां पर जीत हासिल की थी। उनसे हारने वाले आरजेडी के भगवान सिंह कुशवाहा को 2.55 लाख वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर यहां से जदयू प्रत्याशी मीना सिन्हा को 75,000 वोट मिले थे।
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5. अनुप्रिया पटेल, मिर्जापुर (उत्तर प्रदेश)

मिर्जापुर से सांसद और अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल केंद्र में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री हैं। इस बार चुनाव में पटेल को पूर्व विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी ललितेश पति त्रिपाठी से चुनौती मिल रही है। महागठबंधन की ओर से सपा ने राम चरित्र निषाद को मैदान में उतारा है। इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी और अपना दल के दूसरे धड़े द्वारा कांग्रेस प्रत्‍याशी का समर्थन करने की वजह से पटेल का यहां से जीत हासिल करना कठिन माना जा रहा है। अपना दल के इस धड़े का नेतृत्व अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल कर रही हैं। 2014 में अनुप्रिया पटेल को 40 फीसदी से अधिक वोट मिले थे। उन्होंने बसपा के समुद्र बिंद को लगभग दोगुने वोट के अंतर से हराया था। पिछले चुनावी आंकड़े पर गौर करें तो ऐसा समीकरण बनता दिख रहा है कि अगर सपा और बसपा दोनों के वोट मिला दिए जाएं तो पटेल हार सकती हैं।
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