
रोजगार पर मोदी का मास्टर स्ट्रोक, कौशल विकास पर बनेगी कमेटी, होगा आर्थिक सर्वेक्षण
नई दिल्ली। दूसरी बार सत्ता में आते ही मोदी सरकार ( Modi government ) का सामना बेरोजगारी दर ( unemployment ) के भयावह आंकड़ों से हुआ। सांख्यिकी मंत्रालय ने बताया कि देश में बेरोजगारी दर जुलाई 2017 से लेकर जून 2018 के दौरान एक साल में 6.1 फीसदी रही जोकि पिछले 45 साल का सर्वाधिक ऊंचा स्तर है। अब इस दाग को धोने के लिए मोदी सरकार 2.0 ने देशव्यापी आर्थिक सर्वेक्षण कराने का फैसला लिया है। वहीं दूसरी ओर रोजगार और कौशल विकास पर एक कैबिनेट कमेटी भी बनाई जा रही है।
सबसे अलग होगा इस बार का आर्थिक सर्वेक्षण
इस आर्थिक सर्वेक्षण की चर्चा इसलिए अधिक है क्योंकि ये अब तक हुए सभी सात सर्वेक्षणों से अलग होगा। इसमें पहली बार स्वरोजगार को शामिल किया जा रहा है। इसके तहत ठेले, रेहड़ी और अपना रोजगार करने वालों को मेनस्ट्रीम में शामिल करने की कोशिश होगी। विपक्ष की ओर से लगातार बेरोजगारी और कमजोर अर्थव्यवस्था के आरोपों को मोदी सरकार इस सर्वेक्षण के जरिए जवाब देना चाहती है। शायद इसीलिए इसमें हर उस शख्स शामिल किया जाएगा जो अपने पैर पर खड़ा है।
छह महीने में सामने आएगा डेटा
आर्थिक सर्वेक्षण को बिल्कुल जनगणना की तरह करने की तैयारी है। केंद्र सरकार ने इसके लिए राज्यों से भी बेरोजगारों और कामगारों का एक प्री डाटा मांगा है। सूत्रों के मुताबिक आर्थिक सर्वेक्षण जून के आखिरी हफ्ते में शुरू होगा। इसे छह महीने में पूरा करने का टारगेट रखा गया है। इस काम में पहले सरकारी शिक्षकों और आशा कार्यकर्ताओं समेत अन्य को लगाया जाता था। लेकिन सरकार किसी भी चूक से बचने के लिए इसबार आर्थिक सर्वेक्षण का ठेका सीएससी नाम की एजेंसी को दिया है।
Updated on:
06 Jun 2019 10:34 am
Published on:
05 Jun 2019 05:01 pm
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