scriptबिहार में बागी ढेर बगावत फेल, BJP ने ‘तीर’ चलाकर खिलाया कमल | nda clean sweep in bihar | Patrika News

बिहार में बागी ढेर बगावत फेल, BJP ने ‘तीर’ चलाकर खिलाया कमल

locationनई दिल्लीPublished: May 23, 2019 07:29:00 pm

Submitted by:

Kaushlendra Pathak

बिहार में महागठबंधन का सूपड़ा साफ
बागी नेताओं का भी हार तय
NDA को पिछली बार से ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान

nda vs mahagathbandhan

बिहार में बागी नेताओं की बगावती तेवर नहीं आया काम, BJP ने ‘तीर’ चलाकर खिलाया कमल

नई दिल्ली। 2019 लोकसभा चुनाव का परिणाम लगभग साफ हो चुका है। रुझानों के मुताबिक, एक बार फिर NDA को पूर्ण बहुमत मिलता हुआ दिखाई दे रहा है। वहीं, कई राज्यों में NDA का प्रदर्शन पिछली बार से ज्यादा बेहतर रहा है। बिहार में जिस NDA को रोकने के लिए महागठबंधन बनाया गया था, उसका सूपड़ा साफ हो गया। आलम ये है कि चालीस लोकसभा सीट वाले बिहार में महागठबंधन को केवल दो सीटें मिलते हुए दिखाई दे रहा है। इसके अलावा बीजेपी को जिन नेताओं ने बागी तेवर दिखाते हुए दूसरी पार्टी का सहारा लिया, उनकी जमानत जब्त होते हुए नजर आ रही है।

सबसे पहले एक नजर डालते हैं बिहार के लोकसभा सीटों पर

नंबरलोकसभा सीट एनडीए (BJP+)महागठबंधन (RJD+CONG+)
1.वाल्मीकि नगरवैद्यनाथ प्रसाद महतो (जेडीयू)शास्वत केदार (कांग्रेस)
2.पश्चिम चंपारणसंजय जायसवाल (बीजेपी)ब्रजेश कुमार कुशवाहा (आरएलएसपी)
3.पूर्वी चंपारणराधा मोहन सिंह (बीजेपी)आकाश कुमार सिंह (आरएलएसपी)
4.शिवहररमा देवी (बीजेपी)सैयद फैसल अली (आरजेडी)
5.सीतामढ़ीसुनील कुमार पिंटू (जेडीयू)अर्जुन राय (आरजेडी)
6.मधुबनीअशोक कुमार यादव (बीजेपी)बद्री कुमार पूर्वे (वीआईपी)
7.झंझारपुररामप्रीत मंडल (जेडीयू)गुलाब यादव (आरजेडी)
8.सुपौलदिलेश्वर कामत (जेडीयू)रंजीत रंजन (कांग्रेस)
9.अररियाप्रदीप कुमार सिंह (बीजेपी)सरफराज आलम (आरजेडी)
10.किशनगंजमहमूद अशरफ (जेडीयू)डॉ. मोहम्मद जावेद (कांग्रेस)
11.कटिहारदुलाल चंद्र गोस्वामी (जेडीयू)तारिक अनवर (कांग्रेस)
12.पूर्णियासंतोष कुमार कुशवाहा (जेडीयू)उदय सिंह (कांग्रेस)
13.मधेपुरादिनेश चंद्र यादव (जेडीयू)शरद यादव (आरजेडी)
14.दरभंगागोपाल ठाकुर (बीजेपी)अब्दुल बारी सिद्दीकी (आरजेडी)
15.मुजफ्फरपुरअजय निषाद (बीजेपी)डॉ राजभूषण चौधरी निषाद (वीआईपी)
16.वैशालीवीणा देवी (एलजेपी)रघुवंश प्रसाद सिंह (आरजेडी)
17.गोपालगंजडॉ. आलोक कुमार सुमन (जेडीयू)सुरेंद्र राम उर्फ महंत (आरजेडी)
18.सीवानकविता सिंह (जेडीयू)हिना शहाब (आरजेडी)
19.महाराजगंजजनार्दन सिंह सिग्रीवाल (बीजेपी)रणधीर सिंह (आरजेडी)
20.सारणराजीव प्रताप रूडी (बीजेपी)चंद्रिका राय (आरजेडी)
21.हाजीपुरपशुपति कुमार पारस (एलजेपी)शिव चंद्र राम (आरजेडी)
22.उजियारपुरनित्यानंद राय (बीजेपी)उपेंद्र कुशवाहा (आरएलएसपी)
23.समस्तीपुररामचंद्र पासवान (एलजेपी)डॉ. अशोक कुमार (कांग्रेस)
24.बेगूसरायगिरिराज सिंह (बीजेपी)कन्हैया कुमार (सीपीआई)
25.खगड़ियामहबूब अली कैसर (एलजेपी)मुकेश सहनी (वीआईपी)
26.भागलपुरअजय कुमार मंडल (जेडीयू)शैलेश कुननार उर्फ बुलो मंडल (आरजेडी)
27.बांकागिरधारी यादव (जेडीयू)जयप्रकाश नारायण यादव (आरजेडी)
28.मुंगेरराजीव रंजन सिंह ललन सिंह (जेडीयू)नीलम देवी (कांग्रेस)
29.नालंदाकौशलेंद्र कुमार (जेडीयू)अशोक कुमार आजाद (हिंदुस्तान आवाम मोर्चा)
30.पटना साहिबरविशंकर प्रसाद (बीजेपी)शत्रुघ्न सिन्हा (कांग्रेस)
31.पाटलिपुत्ररामकृपाल यादव (बीजेपी)मीसा भारती (आरजेडी)
32.आराराजकुमार सिंह (बीजेपी)राजू यादव (सीपीआई-एमएल)
33.बक्सरअश्विनी कुमार चौबे (बीजेपी)जगदानंद सिंह (आरजेडी)
34.सासारामछेदी पासवान (बीजेपी)मीरा कुमार (कांग्रेस)
35.काराकाटमहाबली सिंह (जेडीयू)उपेंद्र कुशवाहा (आरएलएसपी)
36.जहानाबादचंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी (जेडीयू)सुरेंद्र यादव (आरजेडी)
37.औरंगाबादसुशील कुमार सिंह (बीजेपी)उपेंद्र प्रसाद (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा)
38.गयाविजय कुमार मांझी (जेडीयू)जीतन राम मांझी (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा)
39.नवादाचंदन कुमार (एलजेपी)विभा देवी (आरजेडी)
40.जमुईचिराग पासवान (एलजेपी)भूदेव चौधरी (आरएलएसपी)
किशनगंज को छोड़कर NDA के उम्मीदवार सभी सीटों पर आगे हैं। वहीं, कुछ सीटों पर हार-जीत का फैसला भी हो चुका है। लेकिन, जो नेता चुनाव से पहले बीजेपी को चुनौती देते महागठबंधन में शामिल हो गए या फिर दूसरी पार्टी का दामन थाम लिया उन्हें भी NDA से करारी शिकस्त मिली है।
एक नजर बागी नेताओं पर

नामपार्टीसीट
शत्रुघ्न सिन्हाकांग्रेसपटनासाहिब
उपेन्द्र कुशवाहाRLSPकाराकाट और उजियारपुर
कीर्ति आजादकांग्रेसधनबाद, झारखंड
congress leader
शत्रुघ्न सिन्हा

2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से ही शत्रुघ्न सिन्हा पार्टी लाइन से अलग चल रहे थे। पीएम नरेन्द्र मोदी के खिलाफ शत्रुघ्न सिन्हा ने खुलकर बयानबाजी की और उनपर कई गंभीर आरोप भी लगाए। मजबूरन BJP ने पटनासाहिब से उनका टिकट काट दिया। चुनाव से ठीक पहले शॉटगन कांग्रेस में शामिल हो गए और भाजपा के रविशंकर प्रसाद के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरे। लेकिन, रुझानों के मुताबिक बिहारी बाबू पटनासाहिब सीट से हारते हुए नजर आ रहे हैं। गौरतलब है कि भाजपा में रहते हुए सिन्हा ने दो बार लगातार पटना साहिब सीट से जीत हासिल की थी। लेकिन, मोदी की ‘आंधी’ के शॉटगन का स्टारडम बिहार में फेल हो गया।

उपेन्द्र कुशवाहा

लोकसभा चुनाव 2019 की आहट के बीच राजनीतिक नफे नुकसान को भांपते हुए RLSP प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने 2018 में एनडीए से नाता तोड़ लिया था। एनडीए में जेडीयू की वापसी के बाद उनके लिए स्थितियां अनुकूल नहीं रह गई थी। सीट बंटवारे को लेकर भी आपसी सहमति नहीं बनी और बिहार में जेडीयू के साथ लगातार जुबानी जंग जारी रहा। आखिरकार, कुशवाहा NDA से अलग हो गए और महागठबंधन का हिस्सा बन गए। इस चुनाव में उपेन्द्र कुशवाहा दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनकी पार्टी पांच सीटों पर चुनाव लड़ रही है। आलम यह है कि RLSP पांचों सीटों पर चुनाव हारते हुए नजर आ रही है। गौरतलब है कि 2014 लोकसभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा रहते हुए एलजेपी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था और उसे सभी सीटों पर जीत मिली थी।
कीर्ति आजाद

बागी नेताओं में कीर्ति आजाद का भी नाम शामिल है। बयानबाजी के कारण कीर्ति आजाद को बीजेपी से सस्पेंड भी कर दिया गया था। चुनाव से पहले आजाद ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया और उन्हें दरभंगा से उठकार धनबाद भेज दिया गया। परिणाम यह हुआ कि कीर्ति आजाद धनबाद से चुनाव हार रहे हैं। कुल मिलाकर बिहार में जिस एनडीए को रोकने के लिए महागठबंधन नामक चक्रव्यूह रचा गया, वो भी इस चुनाव में छिन्न-भिन्न हो गया।
mahagathbandhan
आखिर क्यों असफल हुआ महागठबंधन?

बिहार में एनडीए को रोकने के लिए आरजेडी, कांग्रेस, रालोसपा, हम, वीआईपी ने मिलकर चुनाव से पहले महागठबंधन बनाया। लेकिन, शुरुआत से ही महागठबंधन में अंतरकलह जारी रहा। वहीं, सीट और टिकट बंटवारे को लेकर यह कलह खुलकर सामने आई गई। परिणाम यह हुआ कि कई नेता पार्टी छोड़ गए, इनमें कांग्रेस के शकील अहमद, आरजेडी से अली अशरफ फातमी समेत कई दिग्गज नेता शामिल हैं। इतना ही नहीं कुछ नेताओं ने चुनाव के दौरान खुलकर महागठबंधन के विरोध में प्रचार भी किया। इसके अलाव प्रचार के दौरान महागठबंधन में कही भी एकजुटता नहीं दिखी और उम्मीदवार हर सीट पर अलग-थलग पड़ते हुए नजर आए। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि महागबंधन में एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ गया और आपसी कलह के कारण चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि बिहार में एक बार फिर मोदी लहर ने असर दिखाया है और जेडीयू के साथ तालमेल बनाकर चलने से एनडीए को काफी फायदा भी हुआ है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो