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नीतीश कुमार का बड़ा खुलासा, भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं ने किया फोन तो प्रशांत किशोर को बनाया उपाध्यक्ष

locationनई दिल्लीPublished: Jan 16, 2019 12:02:02 pm

नीतीश कुमार बड़ा खुलासा, भाजपा के दो वरिष्ठ नेताओं ने किया फोन तो प्रशांत किशोर को बनाया उपाध्यक्ष

नई दिल्ली। बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार ने एक बार फिर बड़ा बयान देकर प्रदेश की राजनीति में घमासान शुरू कर दिया है। दरअसल पिछले दिनों पार्टी के उपाध्यक्ष पद पर हुई प्रशांत किशोर की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री ने बड़ा खुलासा किया है। नीतीश कुमार ने कहा है कि ये नियुक्ति उनकी मर्जी से नहीं बल्कि भाजपा के इशारे पर हुई थी। नीतीश के इस बयान से पार्टी में प्रशांत किशोर की भूमिका और आगामी चुनावों की रणनीति पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।

नीतीश कुमार ने अपने इस खुलासे में उस व्यक्ति के नाम से भी पर्दा हटाया जिसके कहने पर उन्होंने पीके के एंट्री दी। सीएम की माने तो उन्होंने ये फैसला भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के कहने पर किया था। नीतीश कुमार ने इस बात का खुलासा एक निजी चैनल के कार्यक्रम में किया। नीतीश कुमार ने कहा कि प्रशांत किशोर को जदयू में पद देने के लिए अमित शाह ने उन्हें दो बार फोन किया था। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें भी प्रशांत किशोर से स्नेह रहा है।
युवाओं को जोड़ने की जिम्मेदारी
प्रशांत किशोर को जिम्मेदारी दिए जाने के सवाल पर नीतीश ने कहा कि फिलहाल उन्हें युवाओं को पार्टी से जोड़ने का जिम्मा दिया गया है। आपको बता दें कि प्रशांत किशोर को जेडीयू का अगला उत्तराधिकारी बताया जा रहा था, लेकिन नीतीश कुमार के इस बयान ने अपने पीछे कई सवाल छोड़ दिए हैं। जब नीतीश से पूछा गया कि पार्टी का उत्तराधिकारी कौन होगा तो उन्होंने इसके जवाब में कहा ये फैसला जनता करेगी।

लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जेडीयू प्रमुख का ये बयान निश्चित रूप से काफी मायने रखता है। प्रदेश में जेडीयू भाजपा की सरकार है ऐसे में नीतीश का ये बयान कि भाजपा के कहने पर पीके को उपाध्यक्ष बनाना पार्टी में चल रहे दबाव को दर्शाता है। ये मजबूरी कभी भी बड़ा बवाल खड़ा कर सकती है। हाला में लोकसभा सीटों को लेकर उठा घमासान भी ये संकेत दे रहा था कि गठबंधन के बीच कुछ तो गड़बड़ है।

बता दें, किशोर को पिछले साल सितंबर में जद (यू) में शामिल किया गया था और कुछ ही हफ्ते बाद उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया गया था। इससे ऐसी अटकलें लगने लगी कि कुमार उन्हें अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाने के बारे में सोच रहे हैं।

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