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नीतीश कुमार आज करेंगे कैबिनेट का विस्तार, बिहार विधानसभा चुनाव की है तैयारी?

केंद्र सरकार में शामिल न होकर नीतीश ने चली दूर की चाल NDA में मंत्री पद ठुकराने के बाद कर रहे अपना कैबिनेट विस्तार बिहार विधानसभा चुनाव में अलग होने की हो सकती है तैयारी

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nitish kumar and amit shah

नीतीश कुमार करेंगे कैबिनेट का विस्तार, कहीं NDA छोड़ने की तैयारी तो नहीं?

नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार ( Modi government ) में मन मुताबिक मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से खफा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( Nitish Kumar) अब अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रहे हैं। सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) के चीफ ने राज्यपाल लालजी टंडन से राजभवन में मुलाकात की। नीतीश ने राज्यपाल को मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में जानकारी दी है। इस विस्तार के कई सियासी मायने हैं।

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चार विधायक बन जाएंगे मंत्री

जानकारी के मुताबिक रविवार की सुबह करीब 11 बजे नए मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी। इस विस्तार में चार नए सदस्यों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। राज्य सरकार के सूत्रों के मुताबिक जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार, रालोसपा छोड़कर आए विधायक ललन पासवान, कांग्रेस छोड़कर आए विधान पार्षद अशोक चौधरी और पूर्व मंत्री रंजू गीता को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा संजय झा, श्याम रजक, राम सेवक सिंह कुशवाहा, नरेंद्र नारायण यादव, लक्ष्मेश्वर राय और बीमा भारती का नाम भी रेस में है।

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विधानसभा के चार सीट खाली

बता दें कि इस लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल से तीन सदस्यों जीत दर्ज की, जिससे विधानसभा के तीन सीट खाली हो गए हैं। तीनों सीटों के खाली होने के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार तय माना जा रहा था। इसके अलावा मुजफ्फरपुर बालिका गृहकांड में आरोपी मंजू वर्मा के इस्तीफे के बाद उनकी सीट भी खाली ही है।

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बीजेपी- लोजपा को तवज्जो नहीं

कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि नीतीश कुमार आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कुछ मंत्रियों के विभाग बदल भी सकते हैं या उनकी छुट्टी भी कर सकते हैं। बताया यह भी जा रहा है कि नीतीश कुमार ने केंद्र की बीजेपी को झटका देने के लिए मंत्रिमंडल विस्तार में किसी भी बीजेपी और लोजपा के विधायक को शामिल नहीं करने का मन बना लिया है।

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विधानसभा चुनाव की तैयारी में तो नहीं हैं नीतीश?

वैसे तो नीतीश कुमार लंबे समय से मंत्रिमंडल का विस्तार करना चाह रहे थे लेकिन अब केंद्र में सरकार गठन के फौरन बाद उठाए जा रहे इस कदम के कई सियासी मायने हैं। धारा 370, 35 ए और यूनिफॉर्म सिविल कोड समेत कई मुद्दों पर बीजेपी और जेडीयू के बीच मतभेद है। लोकसभा चुनाव के दौरान खुद नीतीश कुमार ने कहा था कि ऐसे मुद्दों पर वे बीजेपी के साथ खड़े नहीं है। यही वजह है कि पहली बार जेडीयू ने बगैर घोषणापत्र के लोकसभा चुनाव लड़ा है। अब प्रचंड बहुमत के साथ केंद्र में मोदी सरकार है। ऐसे में नीतीश कुमार समझ गए हैं कि आने वाले दिनों में कश्मीर और राम मंदिर मुद्दे पर दोनों दलों में मतभेद होना संभव है। राज्य मंत्री का सीट ठुकराने के पीछे भी कहीं ना कहीं नीतीश के दिमाग में यही बातें रही होंगी। अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव होना है। मौजूदा सियासी विवाद को देखते हुए सुशासन बाबू बीजेपी और एनडीए से दूरी बनाने के मूड में नजर आ रहे हैं। कहीं ना कहीं इसका असर विधानसभा चुनाव पर भी दिखेगा।