इसके जवाब में जनता दल यूनाइटेड के नेताओं का कहना है कि ऐसे शब्द का इस्तेमाल आपत्तिजनक है। वह भी ऐसे व्यक्ति के मुंह से जिसने नीतीश कुमार को पिछले पांच वर्षों में सबसे नजदीक से देखा है।
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह बड़ा ऐलान- जम्मू और कश्मीर में जल्द लागू होगा डोमिसाइल कानून चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कहना है कि जब वो उन्हें श्पिछलग्गूश् कहते हैं तो उनके जैसे लोगों के सामने नीतीश कुमार का वह दृश्य होता हैं जब वह सार्वजनिक मंच से पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग करते हैं और प्रधानमंत्री खारिज कर देते हैं। इसके अलावा जब वह लोकसभा चुनाव में 40 में से 39 सीटों पर जीत दिलाते हैं लेकिन केंद्रीय मंत्रिमंडल में उनकी अनुपातिक प्रतिनिधित्व की मांग खारिज कर दी जाती है। जब बिहार को बाढ़ से निजात दिलाने के लिए वह निर्मल और अविरल गंगा के लिए बालू के गाद का समाधान करने की मांग करते हैं तब दो वर्ष बाद एक समिति बनाकर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
इसके साथ मसला चाहे नदियों को जोड़ने की हो या विशेष राज्य का दर्जा, सब पर केंद्र सरकार कुंडली मारकर बैठ जाती है। नीतीश सत्ता के चक्कर में मौन साध लेते है। नागरिक संशोधन कानून ( CAA ) को जिसके ड्राफ्ट का उन्होंने विरोध किया था उसका अगर लोकसभा में समर्थन किया तो किससे पूछ कर।
बिहारः CM नीतीश कुमार का दावा- विधानसभा चुनाव में जीतेंगे 200 सीटें पीके इन आरोपों का जवाब देते हुए जेडीयू के प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है कि नीतीश कुमार सिद्धांतों से राजनीति करते हैं। अगर ट्रिपल तलाक या धारा 370 पर बीजेपी हमारे विचारधारा के खिलाफ चली तो हमने संसद में इस बात की परवाह किए बिना कि जनता में इसका क्या असर है या होगा हमने इसका विरोध किया। उसी तरीके से एनआरसी ( NRC ) पर हमारा स्टैंड कायम है और एनपीआर ( NPR ) की नई प्रश्नावली पर अगर लोगों में चिंता है तो एनडीए की बैठक में हमारे लोकसभा में नेता ललन सिंह ने प्रधानमंत्री के सामने इस मुद्दे को उठाया है।