scriptमॉब लिंचिंग पर मोदी सरकार की सख्‍त कानून बनाने की तैयारी, राज्य सरकारों से भी होगी चर्चा | Preparation to make Modi govt strict law on mob lynching | Patrika News

मॉब लिंचिंग पर मोदी सरकार की सख्‍त कानून बनाने की तैयारी, राज्य सरकारों से भी होगी चर्चा

locationनई दिल्लीPublished: Jul 29, 2018 02:27:55 pm

Submitted by:

Dhirendra

केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति ने भीड़ की हिंसा के मामले में सख्‍त कानून बनाने की पक्षधर है।

mob lynching

मॉब लिंचिंग पर मोदी सरकार की सख्‍त कानून बनाने की तैयारी, राज्यों सरकारों से भी होगी चर्चा

नई दिल्‍ली। मॉब लिंचिंग की घटनाओं से परेशान और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर सख्‍त कानून बनाने का मन बना लिया है। इस मामले में केंद्र की योजना एक मॉडल कानून बनाने की है। बताया जा रहा है कि इस मामले में केंद्र सरकार बिल का ड्राफ्ट तैयार करने से पहले राज्‍य सरकारों से इस मुद्दे पर विचार विमर्श करेगी। इस मामले में केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति ने भीड़ की हिंसा के मामले में व्यापक विचार-विमर्श शुरू कर दिया है।
तहसीन ने दिया प्रेजेंटेशन
समिति ने अपनी दूसरी बैठक में मॉब लिंचिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाले तहसीन पूनावाला को प्रेजेंटेशन के लिए बुलाया था। समिति ने पूनावाला से भीड़ की हिंसा रोकने के लिए सुझाए गए ड्राफ्ट कानून पर समिति ने सवाल जवाब किया। इस केंद्र द्वारा गठित समिति समाज के अलग-अलग वर्ग के लोगों, सिविल सोसाइटी, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों की राय भी लेगी। सोमवार को समिति की पहली बैठक में सदस्यों ने आपस में विचार-विमर्श किया था। समिति को चार सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है।
कानून की जरूरत पर जोर
इस मामले में गृह सचिव ने सभी पक्षों से पूछा है कि आखिर कानून में बदलाव या नए कानून की जरूरत क्यों है? मॉब लिंचिंग पर सीआरपीसी में संशोधन का सुझाव भी एक सचिव की ओर से सामने आया। पूनावाला ने हिंसा को परिभाषित करने की जरूरत पर जोर देते हुए ड्राफ्ट में भीड़ की हिंसा की प्रकृति के आधार पर सजा का सुझाव दिया। इसमें सात साल की सजा और एक लाख जुर्माने के अलावा अधिकतम कठोर आजीवन कारावास का प्रावधान करने का प्रस्ताव है। समिति के कुछ सदस्यों ने मौजूदा कानूनों का हवाला देते हुए कहा कि सीआरपीसी में इस तरह के मामलों में सजा का प्रावधान है और उसी पर प्रभावी तरीके से अमल करने की जरूरत है।
केंद्र ने कानून बनाने का निर्णय क्‍यों लिया?
आपको बता दें कि जब से गौरक्षा के मामले ने तूल पकड़ा है तभी से मॉब लिंचिंग की घटनाओं में इजाफा हुआ है। सबसे पहले पहलू खां की मॉत 2017 में हुई थी। उसी साल उमर खान की, दिसंबर, 2017 में जाकिर खान पर जानलेवा हमला हुआ और अब 20 जुलाई, 2018 को अकबर उर्फ रकबर खान की मॉल लिंचिंग करने वालों ने हत्‍या कर दी। इसके अलावा भी कई अन्‍य घटनाएं हुईं जिसमें दूसरे समुदायों के लोग भी मॉब लिंचिंग के शिकार हुए। अकेले महाराष्ट्र में जून से जुलाई के शुरुआती सप्ताह में महज 25 दिनों के भीतर 14 घटनाएं हुईं जिसमें नौ लोगों की मौत होने की खबर सामने आई। इसी बीच तहसीन पूनावाला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्‍य सरकारों से सख्‍त कानून बनाने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद से सरकार हरकत में और कानून बनाने के लिए दो समितियों का गठन किया गया। यह समिति अब इस मुद्दे पर रायशुमारी में जुटी है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो