
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगना तय, अगले महीने खत्म हो रहा राज्यपाल शासन
नई दिल्ली। एक ड्रामैटिक घटनाक्रम में बुधवार रात को जम्मू और कश्मीर विधानसभा को भंग कर दिया गया। विधानसभा भंग होने से पहले इससे पहले मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों ने एक साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा पेश किया था। इसके विरोध में उतरी भाजपा समर्थित पीपल्स कांफ्रेंस के नेता सज्जाद लोन ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया था। वहीं, विधानसभा भंग होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगना तय माना जा रहा है।
दरअसल, 19 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन खत्म हो जाएगा। इसके बाद यहां राट्रपति शासन लगना तय है। सांविधानिक विशेषज्ञों के अनुसार राष्ट्रपति शासन के दौरान राज्यों में चुनाव कराए जा सकते हैं। बस इसके लिए केवल भारतीय चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होगी। अगर चुनाव आयोग यह लिख देता है कि राज्य में चुनाव के लिए स्थिति अनुकूल है और यहां चुनाव कराए जा सकते हैं। राज्यपाल शासन के समाप्त होते ही राज्य में 6 माह के लिए राष्ट्रपति शासन लग जाएगा। इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि इससे पहले यहां चुनाव कराना भी संभव नहीं हैं। हां केंद्र सरकार अगर चाहे तो राज्य में राष्ट्रपति शासन की अवधि 6 माह के लिए और बढ़ाया जा सकता है।
आपका बता दें कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने एक संक्षिप्त बयान में घोषणा की कि वे जम्मू और कश्मीर के संविधान से मिली शक्तियों का उपयोग करते हुए विधानसभा को भंग कर रहे हैं, जिसका कार्यकाल अभी दो साल बाकी था। विधानसभा को भंग करने की घोषणा से तुरंत पहले पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस ने साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा किया था। वहीं, भाजपा भी पीडीपी के विद्रोही विधायकों और सज्जाद लोन के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश में जुटी थी।
Published on:
22 Nov 2018 07:52 am
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