
पश्चिम बंगाल में राहुल के सामने बंगाल में पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने की चुनौती
नई दिल्ली। पीएम मोदी को लोकसभा चुनाव में पटखनी देने के लिए कांग्रेस महागठबंधन को तुरुप का पत्ता मानकर चल रही है। इसके लिए कांग्रेस ने हर सीट पर भाजपा के खिलाफ एक ही विपक्षी उम्मीदवार उतारने का फॉर्मूला भी उछाला है। लेकिन पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की स्थिति बहुत खराब है। यहां पर सीट शेयरिंग के बदले पार्टी के अंदर बड़े पैमाने पर मनमुटाव है। पार्टी अपने पहचान को बनाए रखने के लिए भी संकट के दौर से गुजर रही है। जनाधार के लिहाज से यहां पर कांग्रेस की स्थिति टीएमसी, वामपंथी और भाजपा के बाद चौथे नंबर के पार्टी की है। राहुल गांधी के लिए यहां पार्टी की पहचान को बरकरार रखने की है। न कि गठबंधन पर जोर देने की।
टीएमसी से गठबंधन को लेकर स्थिति साफ नहीं
दरअसल पश्चिम बंगाल कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। पार्टी नेताओं के बीच मतभेद चरम पर है। पार्टी हाईकमान से प्रदेश इकाई के कई दिग्गज नेता असंतुष्ट नजर आ रहे हैं। गुटबाजी के चलते पार्टी की सियासी हालत सभी प्रमुख पार्टियों में सबसे बदतर है। कांग्रेस की हालत का इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि पंचायत चुनाव में पार्टी टीएमसी, भाजपा और वाममोर्चा के बाद चौथे स्थान पर है। पार्टी हाईकमान की सोच महागठबंधन के दम पर भाजपा को रोकने की है लेकिन इस बारे में प्रदेश इकाई को स्पष्ट संकेत नहीं दिया गया है। दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने भी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। ये भी स्पष्ट नहीं है कि कांग्रेस और टीएमसी आपस में हाथ मिलाने को तैयार होंगे या नहीं।
टीएमसी में जाने का दे चुके हैं संकेत मोइनुल हक
पार्टी के इस ढुलमुल रवैये की वजह से पश्चिम बंगाल कांग्रेस के कुछ नेता असमंजस में हैं। अपनी दावेदारी मजबूत करने के लिए पार्टी के ई बड़े नेता टीएमसी में जाने का रास्ता तैयार करने में लगे हैं। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद अबु हशेम खान चौधरी, विधायक और पार्टी सचिव मोइनुल हक टीएमसी महासचिव पार्थ चटर्जी से लगातार संपर्क में हैं। इसके अलावा कुछ और विधायक भी टीएमसी में जाने की सोच रहे हैं। यानी पश्चिम बंगाल का एक बड़ा तबका टीएमसी में शामिल होने को लगभग तैयार है। मोइनुल हक तो ने एक जनसभा के दौरान कांग्रेस छोड़ने का एलान करते हुए इन कयासों पर मुहर भी लगा दी है। आपको बता दें कि मोइनुल हक झारखंड के लिए कांग्रेस के पर्यवेक्षक भी हैं।
6 जुलाई को अहम बैठक
पश्चिम बंगाल में इस उठापटक को देखते हुए दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान के कान भी खड़े हो गए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष 6 जुलाई को दिल्ली में पश्चिम बंगाल के सांसदों, विधायकों और अन्य नेताओं के साथ बैठक करने वाले हैं। इस बैठक में पश्चिम बंगाल को लेकर पार्टी की भावी रणनीति पर चर्चा करने के साथ अपने घर को भी एकजुट रखने पर जोर दिया जाएगा। बताया जा रहा है इस बैठक के बाद पार्टी हाईकमान अपनी रणनीति का खुलासा पार्टी नेताओं के सामने कर सकते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष के सुर अलग
पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी कुछ अलग ही सुर में बोल रहे हैं। वह शुरू से टीएमसी के साथ किसी भी तरह का गठबंधन करने के सख्त खिलाफ हैं। अभी कुछ ही दिन पहले चौधरी ने अपनी पार्टी के सांसद और वकील अभिषेक मनु सिंघवी पर पार्टी के खिलाफ काम करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से शिकायत भी की थी। चौधरी का कहना था कि जिन मामलों को लेकर प्रदेश कांग्रेस टीएमसी को बंगाल में घेर रही है उन्हीं की सिंघवी पैरवी करते नजर आते हैं। सके अलावा पश्चिम बंगाल से कांग्रेस के दमदार नेताओं में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की सक्रिय राजनीति में लौटने की संभावना ना के बराबर है। ऐसे में कांग्रेस के पास पश्चिम बंगाल में ऐसा कोई दमदार नेता नजर नहीं आता जिसे पार्टी ममता बनर्जी के सामने खड़ा कर सके।

Published on:
04 Jul 2018 08:32 am
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