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रोहिंग्याओं की घर-वापसी: ओवैसी बोले टूट रहा कानून तो स्वामी ने कहा ये देश धर्मशाला नहीं

Published: Oct 04, 2018 05:33:10 pm

Submitted by:

Chandra Prakash

रोहिंग्याओं को म्यांमार भेजे जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी आमने सामने आ गए हैं।

Rohingya Muslims

रोहिंग्याओं की घर-वापसी: ओवैसी बोले टूट रहा कानून तो स्वामी ने कहा ये देश धर्मशाला नहीं

नई दिल्ली। भारत में अवैध तरीके से रहने वाले रोहिंग्याओं को म्यांमार भेजे जाने के केंद्र सरकार के फैसले पर जमकर राजनीतिक रोटी सेंकी जा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने भी सात रोहिंग्याओं के निर्वासन पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दी है। इस मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी आमने सामने आ गए हैं।

भारत देश है धर्मशाला नहीं : स्वामी

एक निजी चैनल से बात करते हुए स्वामी ने कहा कि भारत एक देश है कोई धर्मशाला नहीं, जहां जो चाहे आए और चटाई लेकर बस जाए। उन्होंने कहा कि रोहिंग्या मुसलमान तो कभी भारत में हमारे साथ आए ही नहीं थे, इसलिए उन्हें यहां क्यों रखा जाए। आजादी के पहले तो ये लोग जिन्ना का गुणगान करते थे लेकिन फंसने के बाद अब उन्हें भारत की याद आ रही है। ऐसे लोग भारत के लिए बड़ा खतरा हैं।

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ये अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन : ओवैसी

वहीं दूसरी ओर हैदराबाद से सांसद और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मोदी सरकार रोहिंग्याओं पर अंतरराष्ट्रीय कानून का खुला उल्लंघन कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत एक ओर से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता चाहता है लेकिन दूसरी ओर इस तरह के फैसले लेता है। दुनिया के कई संगठनों ने भारत के इस फैसले का विरोध किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की रोहिंग्याओं के पक्ष में दायर याचिका

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उन सात रोहिंग्याओं के निर्वासन पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया, जिन्हें आज (गुरुवार ) ही म्यांमार भेजा जा रहा है। ये 2012 में भारत आए थे और असम के सिलचर में एक शिविर में रह रहे थे। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति संजय कृष्ण कौल और न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ ने प्रशांत भूषण की याचिका खारजि कर दी क्योंकि केंद्र ने सूचित किया है कि म्यांमार ने इन रोहिंग्याओं को अपने नागरिकों के रूप में स्वीकार कर लिया है।

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