आरटीआई में हुआ खुलासा
आपको बता दें कि आरटीआई के तहत यह खुलासा हुआ है कि केजरीवाल सरकार की मुफ्त पानी योजना के तहत दिल्ली जल बोर्ड को 808 करोड़ का घाटा हुआ है। आरटीआई के जवाब में कहा गया है कि 2013-14 से वर्ष 2015-16 तक जल बोर्ड को एक पैसे का घाटा नहीं हो रहा था। इसके बाद वर्ष 2016-17 में 533 करोड़ व वर्ष 2017-18 में 275 करोड़ रुपये का घाटा हुआ। एक अधिकारी ने बताया कि वेतन बढोतरी के बाद अचानक ज्यादा खर्च बढ़ गया। हालांकि बीते तीन वर्ष से पानी के बिल में कोई बढोतरी नहीं की गई थी। पहले यह प्रावधान था कि हर वर्ष 10 फीसदी पानी की दरों में बढ़ोतरी की जाएगी। यदि हर वर्ष ऐसा होता तो यह स्थिति नहीं आती। यही कारण है कि इस वर्ष पानी की दरों में 20 फीसदी की बढ़ोतरी की गई। इतना ही नहीं जल बोर्ड के घाटे की भरपाई के लिए दिल्ली सरकार से करीब 500 करोड़ रुपए अतिरिक्त बजट की मांग भी की गई थी और वर्ष 2017-18 में सरकार ने 200 करोड़ रुपए की सहायता राशि भी दी थी। बता दें कि यह राशि जल बोर्ड को मुफ्त पानी आपूर्ति के बदले सरकार से मिलने वाली सब्सिडी से अलग है।
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दिल्ली हाईकोर्ट भी सरकार के मुफ्त पानी योजना पर उठा चुका है सवाल
आपको बता दें कि दिल्ली हाईकोर्ट आम आदमी पार्टी सरकार के मुफ्त पानी योजना पर सवाल उठा चुका है। बीते महीने 24 मई को कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि किसी को भी मुफ्त में कुछ भी नहीं दिया जा सकता है। कार्यकारी मुख्य जस्टिस गीता मित्तल और जस्टिस सी हरी शंकर की बेंच ने दिल्ली सरकार पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि किसी को भी कुछ भी मुफ्त में नहीं दिया जाना चाहिए। चाहें तो आप 10 पैसा या 1 पैसा चार्ज करें लेकिन मुफ्त में किसी को भी कुछ न दें।