अचानक बुलाई गई बैठक और हो गया ऐतिहासिक फैसला
आम तौर पर केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक बुधवार को होती है, लेकिन इस बार सोमवार को ही बैठक बुलाकर अचानक सवर्ण के लिए 10 फीसदी आरक्षण प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। बैठक में हुए फैसलों के बारे में अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन न्यूज एजेंसी ने जानकारी दी कि सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर तबके के लोगों को सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया गया है। साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों में दाखिले में भी उन्हें 10 फीसदी आरक्षण देने का निर्णय लिया गया है।
मंगलवार को संसद में एक संग्राम की शंका
मंगलवार को संसद का अंतिम दिन होने के कारण इस सत्र में दोनों सदनों से इस विधेयक के पारित होने की संभावना नहीं है। खासकर यह देखते हुए कि राज्यसभा में सत्ता पक्ष के पास जरूरी बहुमत नहीं है। संविधान संशोधन विधेयक होने के नाते इसके लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी। सूत्रों का कहना है कि इसके लिए संविधान संशोधन विधेयक संसद के मौजूदा सत्र के अंतिम दिन मंगलवार को पेश किया जा सकता है। इसी मकसद से बीजेपी ने लोकसभा में अपने सांसदों के हाजिर रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है। वहीं कांग्रेस ने भी इसे लेकर अपने लोकसभा सांसदों को व्हिप जारी किया है। इसी बीच सरकार ने राज्यसभा के सत्र को एकदिन और बढ़ाकर अब 9 जनवरी कर दिया है।
आरक्षण के लिए संविधान में बदलाव करेगी सरकार
सवर्ण को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए कुछ शर्तों भी रखी गई हैं। जिसके मुताबिक इसका लाभ लेने के लिए अधिकतम आठ रुपए सालाना की पारिवारिक आय की सीमा तय की गई है। सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े तबके को आरक्षण देने के लिए संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में संशोधन करना होगा। बता दें कि अभी सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को कुल करीब 50 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी तय है लेकिन सरकार के इस फैसले ये 60 फीसदी हो जाएगी।