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लालू के कुनबे में क्यों मची है रार, क्या वाकई तेज प्रताप हैं परिवार से पीड़ित?

लालू एंड फैमिली से भड़के हैं तेज प्रताप यादव पत्नी और ससुर को मिली तवज्जो से दुखी छोटे भाई का बढ़ता कद भी कर रहा परेशान

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tej pratap

लालू के कुनबे में क्यों मची है रार, क्या वाकई तेज प्रताप हैं परिवार से पीड़ित?

नई दिल्ली : ज्यों-ज्यों बिहार (Bihar) में मतदान की तिथि नजदीक आती जा रही है लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के परिवार में तेज प्रताप यादव के तेवर तीखे होते जा रहे हैं। एक तरफ लालू बीमारी से जूझ रहे हैं और दूसरी तरफ परिवार चुनाव के साथ साथ तेज प्रताप के नखरे और बगावत झेल रहा है। आखिर लालू का ये लाल किससे और क्यों रूठा है। क्या वजह है जो कभी लालू के चहेते तेज प्रताप यादव आज अपने ही माता पिता और भाई से बगावत करने पर अमादा हो गए हैं। हाल ही में नई पार्टी बनाने की धमकी देकर तेज प्रताप ने साफ संकेत दे दिया है कि टिकटों का बंटवारा उनकी मर्ज़ी से नहीं हुआ है और इस दशा को वो बिल्कुल स्वीकार नहीं करेंगे।

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आइए बात करते हैं उन वजहों की, जिसके कारण लालू प्रसाद यादव के परिवार में ये फूट पड़ी है और वो भी चुनावों से ऐन पहले। हालांकि इनमें से कुछ महीनों पुराने हैं और कुछ विवाद ताजा हैं जो तेज प्रताप यादव को टीस रहे हैं।

1. तेज प्रताप की पत्नी ऐश्वर्या राय

जब लालू प्रसाद यादव ने चंद्रिका राय की बेटी ऐश्वर्या राय से अपने बड़े बेटे तेज प्रताप की शादी की थी तो किसी को यकीन नहीं था कि कुछ ही महीनों में तेज प्रताप ऐश्वर्या राय से इस कदर विमुख हो जाएंगे कि उनके साथ एक घर में रहना तक गवारा नहीं करेंगे। खैर हम तेज प्रताप और ऐश्वर्या राय के बीच की तल्खियों में नहीं जाएंगे लेकिन इतना तय है कि तेज प्रताप जब ऐश्वर्या राय से अलग हुए तो लालू एंड फैमिली ने बेटे की बजाय बहू का साथ दिया। और तो और तेज प्रताप घर छोड़ गए और ऐश्वर्या राय ससुराल में डटी रहीं। तेज प्रताप परिवार की इस बेरुखी से काफी नाराज हुए और बागी तेवर अपना लिए।

2. आग में घी यानी चंद्रिका राय को टिकट

अभी ऐश्वर्या राय का मसला हल न हुआ था और तेजस्वी के कहने पर लालू प्रसाद यादव ने अपनी लोकप्रिय सीट सारण का टिकट तेज प्रताप के ससुर चंद्रिका राय को सौंप दिया। तेज प्रताप के लिए यह कदम आग में घी के समान था। वो इस सीट पर दो बातें चाह रहे थे, पहली यह कि चंद्रिका राय को राजद से टिकट न मिले और दूसरी यह कि सारण से तेज प्रताप के चहेते को टिकट मिले ताकि उनकी भी हैसियत बरकरार रहे। हालांकि दोनों ही बातें पूरी न हुई और तेज प्रताप का गुस्सा सातवें आसमान तक पहुंच गया। जाहिर तौर पर तेजस्वी यादव और लालू का ये कदम तेज प्रताप को राजद में कमजोर साबित करने वाला था और हुआ भी कुछ ऐसा ही।

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3. भाई तेजस्वी का बढ़ता रुतबा

एक सामान्य परिवार में भी बड़े भाई का रुतबा छोटे भाई से बड़ा होता है। बड़े भाई की पहले सुनी जाती है और छोटा भाई उसका अनुसरण करता है। लेकिन लालू फैमिली में ऐसा कतई नहीं है और शायद इसकी एक बड़ी वजह खुद तेज प्रताप ही हैं। लेकिन तेज प्रताप ऐसा नहीं सोचते। जबसे लालू अस्पताल पहुंचे और राबड़ी भी अस्वस्थ रहने लगीं, तबसे पार्टी की बागडोर खुद ब खुद तेजस्वी के हाथ में आने लगी। अपने नित नए कारनामों और बयानों के चलते पार्टी में उन्हें हलके लिया जाने लगा और इस मामले में तेजस्वी, तेज प्रताप यादव से ज्यादा लकी भी निकले। कांग्रेस से गठबंधन हो या चुनाव में टिकटों का बंटवारा पार्टी तेजस्वी के फैसलों से संतुष्ट दिखी और इसमें तेज प्रताप कहीं नहीं थे। बड़े के होते छोटे की इतनी पूछ से भी तेज प्रताप खाए बैठे हैं जिसका असर आने वाले चुनावों मे देखने को मिल सकता है।

जैसा कि कहा जा रहा है कि राजद से अलग होकर तेज प्रताप लालू राबड़ी मोर्चा बना सकते हैं और खुद सारण से चंद्रिका राय को टक्कर दे सकते हैं। दूसरी तरफ ये भी बातें उठ रही हैं कि सारण के साथ साथ तेज प्रताप शिवहर और जहानाबाद से भी अपने करीबियों को उतारने के मूड में हैं।

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कुल मिलाकर इतना तय है कि लालू के बड़के बेटे तेज प्रताप नाराज हैं और इतने नाराज हैं कि अगर ये नाराजगी समय रहते दूर न की गई तो राजद को नुकसान तो अवश्य ही पहुंचेगा। नुकसान भले ही न पहुंचे लेकिन राजद के दो भावी नेताओं के बीच ये तनातनी कहीं कैडेट को उदासीन न कर दे, इसकी चिंता लालू प्रसाद यादव को जरूर करनी चाहिए।