बीएसएनल के विरुद्ध प्रस्तुत परिवाद खारिज
प्रतापगढ़ जिला स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष योगेशकुमार शर्मा ने भारत संचार निगम लि. के विरुद्ध दर्ज परिवाद को खारिज करने का आदेश दिया है।इसके साथ ही परिवादी को अर्नगल परिवाद दर्ज कराने से बचने की सख्त हिदायत दी है।
प्रकरण के अनुसार परिवादी नंदलाल लोहारिया ने भारत संचार निगम लि. प्रतापगढ़ के विरुद्ध एक प्रकरण 2015 में इस आशय का प्रस्तुत किया कि उसने बेसिक टेलिफोन नं. 223554 ले रखा है, जो आए दिन खराब रहता है। यह कहते हुए सन् 2014 से 2017 तक लगातार प्रकरण उपभोक्ता मंच में पेश किए थे, जो खारिज हो चुके है। एक प्रकरण बेबुनियाद होने पर उपभोक्ता मंच ने परिवादी पर 5 हजार रुपए कॉस्ट के रुप में आरोपित किए।इसके बावजूद भी नंदनलाल लोहारिया ने एक प्रकरण स्थाई लोक अदालत में पेश किया।जो 5 मई 2016 को निर्णित होकर खारिज हो गया था। जिसे परिवादी ने इसी प्रकरण को 28 जून 2018 को पुन: नम्बर पर लेकर सुनवाई का निवेदन किया। जिसे निर्णित कर खारिज करते हुए स्थाई लोक अदालत ने समस्त तथ्यों, परिस्थितियों का अवलोकन किया। जिसमें यह पाया कि प्रार्थी इस तरह के परिवाद पेश करने का आदी है। परिवाद को टूल बनाकर अनर्गल प्रकरण दायर करता रहता है। जो निश्चित रुप से गलत है।ऐसे मामले में न्यायालय को प्रार्थी के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाना न्यायोचित नहीं है।साथ ही उसे आगाह किया कि भविष्य में किसी भी विभाग के प्रति अनर्गल तथ्यों के आधार पर प्रकरण पेश करेगा तो न्यायालय को उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही किये जाने को विवश होना पड़ेगा। प्रकरण में भारत संचार निगम लिमिटेड की ओर से ललित कुमार भावसार ने पैरवी की। स्थाई लोक अदालत में सदस्य अजयकुमार पिछोलिया, देवेन्द्र कुमार अहिवासी भी शामिल थे।
प्रतापगढ़ जिला स्थाई लोक अदालत के अध्यक्ष योगेशकुमार शर्मा ने भारत संचार निगम लि. के विरुद्ध दर्ज परिवाद को खारिज करने का आदेश दिया है।इसके साथ ही परिवादी को अर्नगल परिवाद दर्ज कराने से बचने की सख्त हिदायत दी है।
प्रकरण के अनुसार परिवादी नंदलाल लोहारिया ने भारत संचार निगम लि. प्रतापगढ़ के विरुद्ध एक प्रकरण 2015 में इस आशय का प्रस्तुत किया कि उसने बेसिक टेलिफोन नं. 223554 ले रखा है, जो आए दिन खराब रहता है। यह कहते हुए सन् 2014 से 2017 तक लगातार प्रकरण उपभोक्ता मंच में पेश किए थे, जो खारिज हो चुके है। एक प्रकरण बेबुनियाद होने पर उपभोक्ता मंच ने परिवादी पर 5 हजार रुपए कॉस्ट के रुप में आरोपित किए।इसके बावजूद भी नंदनलाल लोहारिया ने एक प्रकरण स्थाई लोक अदालत में पेश किया।जो 5 मई 2016 को निर्णित होकर खारिज हो गया था। जिसे परिवादी ने इसी प्रकरण को 28 जून 2018 को पुन: नम्बर पर लेकर सुनवाई का निवेदन किया। जिसे निर्णित कर खारिज करते हुए स्थाई लोक अदालत ने समस्त तथ्यों, परिस्थितियों का अवलोकन किया। जिसमें यह पाया कि प्रार्थी इस तरह के परिवाद पेश करने का आदी है। परिवाद को टूल बनाकर अनर्गल प्रकरण दायर करता रहता है। जो निश्चित रुप से गलत है।ऐसे मामले में न्यायालय को प्रार्थी के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाना न्यायोचित नहीं है।साथ ही उसे आगाह किया कि भविष्य में किसी भी विभाग के प्रति अनर्गल तथ्यों के आधार पर प्रकरण पेश करेगा तो न्यायालय को उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही किये जाने को विवश होना पड़ेगा। प्रकरण में भारत संचार निगम लिमिटेड की ओर से ललित कुमार भावसार ने पैरवी की। स्थाई लोक अदालत में सदस्य अजयकुमार पिछोलिया, देवेन्द्र कुमार अहिवासी भी शामिल थे।