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स्कूलों में देरी से पहुंचेगी लाखों किताबें, जिले के 70 हजार विद्यार्थियों को करना होगा इंतजार

locationप्रतापगढ़Published: Apr 29, 2020 08:29:15 pm

Submitted by:

Rakesh Verma

-लॉकडाउन के चलते अटका वितरण कार्य, हर बार अप्रेल में शुरू हो जाती थी प्रक्रिया

स्कूलों में देरी से पहुंचेगी लाखों किताबें, जिले के 70 हजार विद्यार्थियों को करना होगा इंतजार

स्कूलों में देरी से पहुंचेगी लाखों किताबें, जिले के 70 हजार विद्यार्थियों को करना होगा इंतजार

प्रतापगढ़. जिले के करीब 70 हजार सहित राजस्थान के लाखों विद्यार्थियों को इस बार नि:शुल्क पुस्तकों के लिए इंतजार करना पड़ेगा। लॉकडाउन के चलते राजस्थान राज्य पाठ्यपपुस्तक मंडल की स्कू लों में पुस्तक वितरण के कार्य पर ब्रेक लगा दिए। मंडल ने इस बार अप्रेल में ही स्कूलों तक किताबें पहुंचाने की तैयारी की थी, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण की महामारी के कारण सारी तैयारियां धरी रह गई। परिवहन के साधन बंद होने से किताबों को जिलों के संग्रहण केंद्रों तक पहुंचने और यहां से ब्लॉक नोडल केंद्रों तक पहुंचाने की प्रक्रिया बंद पड़ी है।
बीच में ही अटक गया वितरण
पाठ्यपुस्तक मंडल ने लॉकडाउन से पहले 2.44 करोड़ किताबें तो जिलों के संग्रहण केंद्रों तक पहुंचा भी दी थी, लेकिन इनका वितरण बीच में ही अटक गया। प्रदेश में इस बार कक्षा 6 से 9 और 11 वीं में एनसीईआरटी का सिलेबस लागू होगा। लेकिन विद्यार्थियों को नई किताबों के लिए अभी काफी इंतजार करना होगा। लॉकडाउन के चलते इस बार इसमें देरी हो रही है और जुलाई तक ही किताबें विद्यार्थियों के हाथों में पहुंचने की संभावना है। हालांकि पाठ्यपुस्तक मंडल का दावा है कि किताबें पहुंचाने की हमारी तैयारी पूरी है। स्कूल खुलते ही नए सिलेबस की किताबें विद्यार्थियों के हाथों में होंगी। सरकारी स्कूलों में पहली से 12वीं कक्षा तक सभी विद्यार्थियों को निशुल्क किताबें दी जाती है। पिछले साल 3.36 करोड़ किताबों का वितरण हुआ था। इस बार कोर्स में बदलाव के कारण करीब 5 करोड़ किताबों का वितरण होना है।
जिले में गत वर्ष बंटी थी 12 लाख पुस्तकें
प्रतापगढ़ में सरकारी स्कू लों में करीब 70 हजार विद्यार्थियों का नामांकन है। गत वर्ष पहली से 12 वीं तक करीब 12 लाख पुस्तकें वितरित की गई थी। हर बार यह प्रक्रिया अप्रेल में शुरू होकर जून तक पूरी हो जाती थी। इससे बच्चों को जुलाई तक पुस्तकें मिल सके। हालांकि गत वर्ष पुस्तक वितरण का काम पहली बार ऑनलाइन हुआ था। इसकी वजह से इसमें देरी हो गई थी। लेकिन इस बार पाठ्यपुस्तक मंडल की पूरी तैयारी थी। लेकिन लॉकडाउन से सारी प्रक्रिया में व्यवधान आ गया।
मंडल ने छपवाई है 6 करोड़ किताबें
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों से सरकारी स्कू लों के लिए मिली किताबों की डिमांड और पुस्तक विक्रेताओं से मिली डिमांड के आधार पर पाठ्य पुस्तक मंडल ने इस छह करोड़ किताबें छापी है। इसमें से 4.50 करोड़ से 5 करोड़ किताबों का वितरण सरकारी स्कूलों में होगा। शेष किताबें पुस्तक विक्रेताओं दी जाएंगी। 6 करोड किताबों में से 2.44 करोड़ किताबें संग्रहण केंद्रों पर पहुंच गई। शेष किताबें प्रिंटिंग प्रेस में ही है। इनमें से कुछ किताबें तो छापने की प्रक्रिया में भी है।
यह है किताबें वितरित करने का नियम
पहली से पांचवी कक्षा तक के विद्यार्थियों को सभी किताबें नई वितरित की जाती है। यदि कोर्स बदलता है तो कक्षा 6 से 12 वीं तक सभी किताबें नई वितरित की जाती है। यदि पाठ्यक्रम में बदलाव नहीं होता तो पांचवीं तक के बच्चों को नई किताबें मिलती है, जबकि छठी से 12वीं तक विद्यार्थियों को 50 फीसदी किताबें नई दी जाती है, जबकि शेष 50 फीसदी किताबें पुराने विद्यार्थियों से वापस लेकर वितरित की जाती है।

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