6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Ram Mandir: राजस्थान के इस जिले में माता सीता ने काटा था वनवास, अब 22 जनवरी को जलेंगे खुशियों के दीपक

Ram Mandir: अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश में उत्सव है। 22 जनवरी को देशभर में महोत्सव मनाया जाएगा। प्रतापगढ़ के सीतामाता अभयारण्य स्थित उस स्थान को भी दीपों से रोशन किया जाएगा, जहां माता सीता ने वनवास काटा था।

2 min read
Google source verification
mother_sita_spent_her_exile_in_pratapgarh.jpg

Ram Mandir: अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर पूरे देश में उत्सव है। 22 जनवरी को देशभर में महोत्सव मनाया जाएगा। प्रतापगढ़ के सीतामाता अभयारण्य स्थित उस स्थान को भी दीपों से रोशन किया जाएगा, जहां माता सीता ने वनवास काटा था। यहां के सीता माता मंदिर और हनुमान मंदिर भी सजाए जाएंगे। साधु-संत सियाराम के भजन-कीर्तन गाकर खुशियां मनाएंगे। आसपास के गांवों में भी घरों में दीपक जलाए जाएंगे।

यह भी पढ़ें : कारसेवक डॉ. भारत भूषण ओझा ने कहा -14 साल का था तब, स्कूल से निकलकर दल के साथ पहुंच गया अयोध्या

यह भी मान्यता
राजा राम के अश्वमेध यज्ञ का घोड़ा वाल्मीकि ऋषि के तपोवन में आ गया। लव-कुश ने घोड़ा पेड़ से बांध दिया। घोड़े ने छूटने का प्रयास किया। इससे उसके तने पर घोड़े के खुरों के निशान बन गए। इन निशानों को लोग अश्वमेध यज्ञ से जोड़ते हैं। कहा जाता है कि हनुमान को इसी स्थान पर बांधा गया। अभयारण्य में हनुमान मंदिर भी है। एक शिलालेख में लिखा है कि पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रेतायुग में अश्वमेघ यज्ञ के दौरान छोड़ा घोड़ा लव-कुश ने यहां बांधा था और रामजी की सेना को परास्त किया था।

यहां है सीता डेरी
कांठल के इतिहासकार मदन वैष्णव का कहना है कि धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीराम के राजतिलक के बाद अग्निपरीक्षा के बावजूद सीता पर अंगुली उठाने पर श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि उन्हें दूर-दराज के ऐसे गहन जंगल में छोड़ आओ। तब लक्ष्मण उन्हें इस घने पहाड़ी जंगल में छोड़ गए। इस स्थान को सीता डेरी के नाम से जाना जाता है।

यह भी पढ़ें : अयोध्या राम मंदिर के प्रोजेक्ट इंचार्ज विनोद मेहता ने कहा- पत्थरों की नक्काशी में जोधपुर का अनुभव काम आया

यहीं हुआ था लव-कुश का जन्म
वनवास के लिए छोड़े जाते समय माता सीता गर्भवती थी। सीताडेरी से 15 कोस दूर वाल्मीकि ऋषि का आश्रम था। गर्भवती सीता ने यहीं लव-कुश को जन्म दिया। यहां गर्म व ठंडे पानी से भरा लवकुश कुंड व 12 बीघा में फैला बरगद का वह पेड़ भी है, जहां लव-कुश खेलकूद कर बड़े हुए थे।